Maharashtra News: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने एक बार फिर विपक्ष के ऊपर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि उनका लगातार दिल्ली दौरे महायुति गठबंधन के सहयोगियों भाजपा और राकांपा के लिए कोई परेशानी का कारण नहीं हैं. बल्कि उनका लगातार दिल्ली दौरा विपक्षी खेमे में बेचैनी पैदा कर रहा है.
Trending Photos
Eknath Shinde: महाराष्ट्र की सियासत में अक्सर तकरार देखी जाती है. पक्ष-विपक्ष एक दूसरे के ऊपर निशाना साधते रहते हैं. चुनाव आयोग के ऊपर आरोप लगाने के बाद सीएम फडणवीस ने शरद पवार पर कई सवाल खड़ा किया था. अब महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि उनके लगातार दिल्ली दौरे महायुति गठबंधन के सहयोगियों भाजपा और राकांपा के लिए कोई परेशानी का कारण नहीं हैं. बल्कि उनका लगातार दिल्ली दौरा विपक्षी खेमे में बेचैनी पैदा कर रहा है. इसके अलावा क्या कुछ कहा जानते हैं.
विपक्ष को होती है दिक्कत
अपने लगातार दिल्ली दौरों को लेकर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के विकास से जुड़े कई मुद्दे अभी लंबित है जिसकी वजह से वो संसद सत्र के दौरान शिवसेना सांसदों से मिलने और पार्टी के अन्य नेताओं से मिलने जाते हैं. महायुति गठबंधन में किसी तरह की चिंता की बात नहीं है हालांकि विपक्षी पार्टियां काफी ज्यादा असहज महसूस करती हैं. बता दें कि विपक्षी शिवसेना-यूबीटी और कांग्रेस शिंदे के दिल्ली दौरे के पीछे निशाना साधते हुए तर्क देते हैं कि उनके और महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस के बीच तनाव है और सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.
क्यों छोड़ी थी शिवसेना
इसके अलावा आगे बोलते हुए कहा कि क्या उन लोगों से मिलना गलत है जिन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर या अयोध्या में राम मंदिर बनाकर बालासाहेब ठाकरे के सपनों को पूरा किया? शिंदे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की शिवसेना-कांग्रेस और राकांपा की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को यह कहते हुए गिरा दिया कि ठाकरे ने शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे द्वारा प्रतिपादित हिंदुत्व के सिद्धांतों को त्याग दिया है.
'बिना काम के नहीं आता हूं'
साथ ही साथ कहा कि जब भी मैं अपने गांव जाता हूं या दिल्ली आता हूं, विपक्ष को बहुत परेशानी होती है लेकिन, मैं अपना काम करता रहता हूं, वे जो चाहें सोचने के लिए स्वतंत्र हैं मैं बिना किसी काम के यहां नहीं आता. बता दें कि बीते हफ्ते शिंदे ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की थी. शिवसेना-यूबीटी के लिए उनके दिल्ली दौरों की आलोचना करना आसान है, लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि उन्होंने उन लोगों से हाथ मिला लिया है जिन्होंने बालासाहेब ठाकरे को छह साल तक मताधिकार से वंचित करके उनका अपमान किया है. बता दें कि साल 2022 में शिंदे शिवसेना के दो-तिहाई से ज्यादा विधायकों और सांसदों के साथ बाहर चले गए थे.