वो हमें गोलियों से भूनते रहे और हम उनको बिरयानी खिलाने चले...राज्यसभा में गरजे नड्डा, कांग्रेस पर हल्ला बोल
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वो हमें गोलियों से भूनते रहे और हम उनको बिरयानी खिलाने चले...राज्यसभा में गरजे नड्डा, कांग्रेस पर हल्ला बोल

Monsoon Session 2025: राज्यसभा में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि उनकी (तत्कालीन कांग्रेस सरकार की) तुष्टिकरण की सीमा को समझने की जरूरत है. 

वो हमें गोलियों से भूनते रहे और हम उनको बिरयानी खिलाने चले...राज्यसभा में गरजे नड्डा, कांग्रेस पर हल्ला बोल

JP Nadda: कल लोकसभा में पीएम मोदी की दहाड़ देखने को मिली थी. आज राज्यसभा में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि हमें उनकी (तत्कालीन कांग्रेस सरकार की) तुष्टिकरण की सीमा को समझने की जरूरत है. 2008 में इंडियन मुजाहिद्दीन द्वारा किए गए जयपुर बम विस्फोटों के बाद, भारत और पाकिस्तान ने ऐसे कदम उठाए जिससे दोनों की बीच साझेदारी बढ़े. वो हमें गोलियों से भूनते रहे और हम उनको बिरयानी खिलाने चले. उन्होंने कंट्रोल लाइन पार करने के लिए ट्रिपल-एंट्री परमिट की अनुमति दी.

इसके अलावा आगे बोलते हुए नड्डा ने कहा कि हमारे पास वही पुलिस और सेना थी, लेकिन कोई राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी. 2009 के SCO शिखर सम्मेलन में 2008 में हुए इतने बड़े आतंकी हमले का कोई जिक्र नहीं हुआ. तत्कालीन सरकार ने 2005 के दिल्ली सीरियल बम विस्फोटों, 2006 के वाराणसी आतंकी हमले, 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन बम विस्फोटों में कोई कार्रवाई नहीं की. मुद्दा यह है कि तब भारत और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद और व्यापार और पर्यटन जारी रहा.

साथ ही साथ नड्डा ने कहा कि उरी सर्जिकल स्ट्राइक की बात करें तो 1947 के बाद यह पहली बार था कि भारतीय प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से कहा कि (उरी) हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. तीन दिनों के भीतर सर्जिकल स्ट्राइक की गईं और आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया गया. यह बदलता भारत है उन लोगों की तुलना में राजनीतिक इच्छाशक्ति देखिए जिन्होंने कहा था कि हम देखेंगे कि क्या करना है.

जबकि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, 2010-2014 के बीच पत्थरबाजी की घटनाएं 2000 से घटकर शून्य हो गईं. पिछले तीन वर्षों में, कश्मीर घाटी एक दिन के लिए भी बंद नहीं हुई, आज, स्थानीय आतंकवाद समाप्त हो गया है, केवल विदेशी आतंकवादी ही बचे हैं. एक आतंकवादी का औसत जीवन अब केवल 7 दिन का है. यह आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता का परिणाम है.

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