DNA Analysis: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ वाली दादागीरी का DNA टेस्ट करेंगे. अभी तुरंत हमने आपको निसार सैटेलाइट के लॉन्च होने की खबर दिखाई. जानते हैं, इस सैटेलाइट के लॉन्च होने का ट्रंप के टैरिफ से क्या कनेक्शन है?
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DNA Analysis: अब हम सबसे पहले, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ वाली दादागीरी का DNA टेस्ट करेंगे. अभी तुरंत हमने आपको निसार सैटेलाइट के लॉन्च होने की खबर दिखाई. जानते हैं, इस सैटेलाइट के लॉन्च होने का ट्रंप के टैरिफ से क्या कनेक्शन है? कनेक्शन है टाइमिंग का. कनेक्शन है भारत और अमेरिका के संबंधों का. ये निसार सैटेलाइट भारत के इसरो ने और अमेरिका के नासा ने मिलकर बनाया है और जिस वक्त श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F16 रॉकेट के जरिए निसार सैटेलाइट लॉन्च किया जा रहा था, उसी वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस में बैठकर भारत पर टैरिफ बम लॉन्च कर रहे थे.
एक तरफ नासा और इसरो की मित्रता और सहयोग का प्रमाण अंतरिक्ष की ओर बढ़ रहा था और दूसरी तरफ, भारत को सबसे अच्छा दोस्त बताने वाले डोनाल्ड ट्रंप, भारत के लिए ही 25% टैरिफ वाला पोस्ट लिख रहे थे. ट्रंप अपने 'टैरिफ टेरर' से भारत-अमेरिका की दोस्ती पर ही स्ट्राइक कर रहे थे.
DNA मित्रों, आज से हम अमेरिका के प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप को मिस्टर 25 परसेंट का नाम दे रहे हैं और ऐसा इसलिए क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर सहमति नहीं बन पाने के बाद ट्रंप ने भारत पर एकतरफा 25% टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया. टैरिफ की नई दरें एक अगस्त से लागू होंगी. आज आपके लिए ये जानना जरूरी है कि इस टैरिफ अटैक का देश पर और आपकी-हमारी जेब पर कितना असर पड़ेगा. आज आपके लिए ये समझना भी जरूरी है कि क्या ट्रंप को भारत और रूस की दोस्ती पसंद नहीं आई, इसलिए उन्होंने 25 परसेंट टैरिफ लगाया. या ट्रंप को ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर के दावों को लेकर फजीहत का सामना करना पड़ा.
भारत-रूस की दोस्ती..ट्रंप से नहीं देखी गई? ट्रंप के 'टैरिफ टेरर' का 'एनकाउंटर' करेगा भारत?
भारत पर अमेरिकी टैरिफ का असर कितना होगा? @pratyushkkhare pic.twitter.com/w22z9Irdj1
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क्या इसलिए उन्होंने भारत पर 25 परसेंट टैरिफ लगाया? आपको इन सभी सवालों का जवाब आज तथ्यों के साथ मिलेगा लेकिन पहले आप ये देखिए, मिस्टर 25 परसेंट ने भारत पर टैरिफ वाले पोस्ट में क्या-क्या बड़ी बातें कही हैं. उन्होंने कहा- भारत अमेरिकी वस्तुओं पर हाई टैरिफ लगाता है यानी ज्यादा टैरिफ लगाता है. भारत अपने ज्यादातर सैन्य उपकरण रूस से खरीदता है, भारत रूस के तेल का सबसे बड़ा खरीदार है.
भारत को दोस्त बताकर 25% टैरिफ लगाने वाले ट्रंप का अब दर्द समझिए, दरअसल ट्रंप चाहते हैं कि भारत अमेरिकी सामान पर टैरिफ कम करे, भारत रक्षा खरीद में अमेरिका को महत्व दे और भारत रूस के बजाए अमेरिका से तेल खरीदे, मित्रों ट्रंप एक राष्ट्राध्यक्ष की तरह नहीं किसी चतुर और जिद्दी व्यापारी की तरह सोच रहे हैं. ट्रंप चाहते हैं कि भारत तेल भी अमेरिका से खरीदे, हथियार भी अमेरिका से ही खरीदे, उनकी इच्छा है कि जो देश अमेरिका का दुश्मन है. उसे भारत भी अपना दुश्मन समझे, उससे कारोबार और दोस्ती दोनों छोड़ दे.
ट्रंप की 'टैरिफ वाली दादागीरी' का DNA टेस्ट... भारत पर 25% टैरिफ का मतलब क्या है?
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यानी एक तरह से ट्रंप दादागीरी पर उतर आए हैं लेकिन क्या उनके कहने से भारत रूस से दोस्ती तोड़ लेगा? वो कहेंगे तो रूस के साथ व्यापार होगा, वो कहेंगे तो रूस के साथ व्यापार नहीं होगा, मजाक चल रहा है क्या? अब क्या भारत ट्रंप की मर्जी से चलेगा? भारत एक स्वतंत्र देश है. दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और ये हमारा अधिकार है, कि हम जिससे चाहें व्यापार करें, जिससे चाहें व्यापार ना करें. रूस की तरह अमेरिका से भी हमारे मजबूत कारोबारी रिश्ते हैं.
भारत और अमेरिका के बीच करीब 190 अरब डॉलर का कारोबार होता है. भारत के कुल एक्सपोर्ट में अमेरिका का हिस्सा करीब 18 प्रतिशत है. वहीं, भारत के कुल आयात में अमेरिका का हिस्सा करीब 6 प्रतिशत है. यानी भारत अमेरिका से आयात कम और निर्यात ज्यादा करता है. यानी हम अमेरिका से खरीदते कम हैं, बेचते ज्यादा हैं. ट्रंप को यही बात अखर रही थी. इसलिए ट्रंप भारत को पहले से धमकाते आ रहे थे और अब जाकर उन्होंने भारत पर 25% टैरिफ लगा दिया है.
ट्रंप ने भारत पर जो एतरफा टैरिफ लगाया है उसकी बड़ी वजह भारत का रूस से हथियार और तेल खरीदना है. मित्रों हम आज आपको बताना चाहेंगे कि रूस से हथियार और तेल खरीदना भारत के राष्ट्रहित में कैसे है. इसे ऐसा समझिए कि भारत कुल कच्चे तेल की खपत का 85% से ज्यादा आयात करता है, रूस भारत को करीब 25 डॉलर प्रति बैरल सस्ता तेल दे रहा है रूस के साथ लेन-देन रूबल और रुपए में होता है, लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट की वजह से भारत को रूस ने कई राहत भी दी है. रूस से तेल खरीदने से भारत को विदेशी मुद्रा की बचत हो रही है साथ ही फ्यूल सब्सिडी का बोझ भी कम हो रहा है. सस्ता क्रूड आयल खरीदने से तेल के दाम भी नहीं बढ़ रहे हैं. यानी हमें सस्ता तेल मिल रहा है.
अगर टैरिफ के डर से भारत ने अमेरिका से कच्चा तेल खरीदा होता तो तेल के दाम 20 प्रतिशत तक बढ़ गए होते. यानी रूस से खरीदने पर अगर एक लीटर तेल की कीमत 100 रुपये है तो अमेरिका से खरीदने पर एक लीटर तेल के दाम 120 रुपये हो जाते. अब समझे फर्क. इससे जाहिर है देशहित में सरकार ने रूस से तेल खरीदना उचित समझा. जैसे ट्रंप अमेरिका के हित में भारत पर तेल खरीदने का दबाव बना रहे हैं. ठीक वैसे ही भारत ने अपने राष्ट्रहित में रूस से तेल खरीदा है.
सिर्फ भारत ने ही नहीं ट्रंप के दोस्त कहे जाने वाले कई यूरोपीय देश भी घुमा-फिरा कर रूस से ही तेल खरीद रहे हैं लेकिन ये बात ट्रंप को नहीं दिखती है. यही बात रक्षा क्षेत्र के लिए भी है. रूस भारत का पुराना और भरोसेमंद मित्र है. ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को सबक सिखानेवाली ब्रह्मोस मिसाइल भी भारत और रूस का ज्वाइंट वेंचर रहा है. दोनों देशों ने ब्रह्मोस को मिलकर बनाया है. भारत अपनी रक्षा जरूरत के हिसाब से हथियार खरीदता है. यहां हम आपको बताना चाहेंगे कि रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा साझेदार है और अमेरिका चौथा बड़ा रक्षा साझीदार है.
भारत ने रूस से करीब 45 अरब डॉलर के हथियार खरीदे. तो अमेरिका से करीब 22 अरब डॉलर के हथियार खरीदे, भारत ने रूस से करीब 20 मिलियन टन कच्चा तेल खरीदा, तो इसी दौरान अमेरिका से करीब 4 मिलियन टन तेल खरीदा. भारत की क्रूड ऑयल सप्लाई में रूस की हिस्सेदारी करीब 35 प्रतिशत है, वहीं अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 8 प्रतिशत रही है. वैसे, भारत की निर्भरता सिर्फ रूस पर नहीं है या अमेरिका पर नहीं है. भारत अपनी सुरक्षा से जुड़ी जरूरत के मुताबिक दूसरे देशों से भी हथियार खरीद रहा है. भारत रक्षा जरूरत के हिसाब से फ्रांस से भी राफेल विमान खरीद चुका है लेकिन ट्रंप का शायद मन है कि भारत उनसे पूछकर हथियार खरीदा करे.
यहां हम आपको बताना चाहेंगे कि ट्रंप की चिंता व्यापार कम और भारत की बढ़ती ताकत ज्यादा है. भारत ब्रिक्स जैसे संगठन में मजबूत भूमिका में है. दुनिया में अमेरिका की बादशाहत कायम करने का ख्वाब देखनेवाले ट्रंप को ब्रिक्स से चुनौती मिल रही है इसलिए ट्रंप ने ब्राजील पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है. रूस पर ट्रंप ने कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए है, भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, चीन पर 30 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, दक्षिण अफ्रीका पर 30 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, यानी ट्रंप के टारगेट पर ब्रिक्स देश हैं हालांकि ब्रिक्स संगठन में शामिल सभी देशों में अभी भी सबसे कम टैरिफ भारत पर है.
मित्रों जैसा की हमने आपको पहले बताया कि भारत अमेरिका को ज्यादा निर्यात करता है. इसलिए 25% टैरिफ से अमेरिका को होनेवाले निर्यात पर असर पड़ेगा. अमेरिका को भारत की ओर से निर्यात करने वाले सेक्टर की अब आपको डिटेल देते हैं. डायमंड और ज्वैलरी सेक्टर
जनरिक दवाओं वाला सेक्टर. टेक्सटाइल और रेडीमेड गारमेंट्स सेक्टर, एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट्स का निर्यात करनेवाले व्यापारियों पर असर पडेगा,वहीं अमेरिका से आयात होनेवाले सिविल एयरक्राफ्ट और एयरक्राफ्ट पार्ट्स मेडिकल डिवाइसेज, इलेक्ट्रॉनिक गुड्स लक्जरी आइटम्स, मशीनरी भी महंगी होगी.
यहां हम आपको बताना चाहेंगे कि ट्रंप ने बेशक अभी भारत के खिलाफ 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का एकतरफा ऐलान किया है. लेकिन भविष्य में ये टैरिफ कम भी हो सकता है, क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ पर अभी भी बातचीत चल रही है. ट्रंप चीन पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने के बाद टैरिफ कम कर चुके है. यानी 25 प्रतिशत टैरिफ का दांव हो सकता है ट्रंप ने भारत पर दबाव बनाने के लिए किया हो.
जैसे की हमने आपको बताया ट्रंप टैरिफ पर कई बार यू-टर्न ले चुके हैं. इसलिए उम्मीद यही है कि ट्रंप भारत पर 25 प्रतिशत ट्रैरिफ लगाने वाले फैसले को लेकर भी यू टर्न ले सकते हैं. मित्रों हम यहां बताना चाहेंगे कि आखिर ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान क्यों किया है. दरअसल अमेरिका भारत में GM क्रॉप, एग्रिकल्चर और डेरी सेक्टर खोलने की मांग कर रहा था लेकिन सरकार ने भारतवासियों के हित में अमेरिका की ये शर्त मानने से इनकार कर दिया. भारत और अमेरिका के बीच अप्रैल महीने से ही टैरिफ पर बात हो रही थी. ट्रंप ने भारत को फैसला करने के लिए 90 दिन का समय दिया था.
इसी बीच सरकार ने ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता किया, यानी ब्रिटेन का बाजार अब भारत के लिए पूरी तरह खुल गया, ट्रंप ने जिन देशों पर ज्यादा टैरिफ लगाया है उनपर भी भारत की नज़र है, ब्रिक्स देशों के बाजार पर भी भारत की नजर है, यानी भारत ट्रंप के टैरिफ का नुकसान कम करने की तैयारी में जुटा है. भारत की नज़र अब नए बाजार पर है. वैसे ट्रंप के 25% टैरिफ का नुकसान अमेरिका को भी है. क्योंकि दवाओं जैसे कई जरूरी वस्तुएं भारत अमेरिका को निर्यात करता है. जाहिर है टैरिफ से ये सारी वस्तुएं महंगी होंगी. इससे नुकसान आम अमेरिकी लोगों का होगा. ऐसे में ट्रंप आनेवाले दिनों में भारत के साथ टैरिफ को लेकर समझौता भी कर सकते हैं.
अब आपको..ट्रंप के ट्रैरिफ वाले ऐलान की टाइमिंग पर भी गौर करने की जरूरत है. ट्रंप ने 25 प्रतिशत टैरिफ का ऐलान ऐसे वक्त किया है, जब हमारी संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो रही है. चर्चा के दौरान बार-बार विपक्ष ने सवाल पूछा कि क्या सीजफायर में अमेरिका का हाथ था. सरकार ने साफ-साफ कहा कि सीजफायर किसी दूसरे के कहने पर नहीं हुआ. सीजफायर पाकिस्तान के गिड़गिड़ाने पर हुआ.
आपको पता ही होगा भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने का श्रेय कैसे ट्रंप ले रहे हैं. उन्होंने बार-बार दोहराया है कि सीजफायर उन्होंने ही कराया लेकिन भारत सरकार संसद में भी ये साफ कर चुकी है कि सीजफायर में ट्रंप का इसमें कोई रोल नहीं है. ये बात तो ऐसी ही हुई जैसे सीजफायर पर ट्रंप की फजीहत हो गई. कुछ लोग तो ये भी कह रहे हैं कि सीजफायर को लेकर ट्रंप की हुई फजीहत का बदला टैरिफ से लिया जा रहा है.