RSS in Manipur: मणिपुर में जमीनी स्तर पर हालात सुधारने और मैतेई और कुकी समुदायों के बीच विश्वास बहाली के लिए आरएसएस भी जमीनी स्तर पर काम कर रहा है. वो संवाद और संपर्क के जरिये दोनों पक्षों को शांति की राह में लाने में जुटा है.
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मणिपुर में सरकार के गंभीर प्रयासों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी जमीनी मोर्चा संभाल लिया है. आरएसएस के प्रचार प्रभारी सुनील आंबेकर के मुताबिक, संघ कार्यकर्ता मैतेयी और कुकी समुदाय के बीच संवाद के लिए सेतु का काम कर रहे हैं. इससे शांति बहाली के प्रयासों को सकारात्मक दिशा मिली है. आंबेकर ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर बैठक में क्षेत्रीय प्रतिनिधियों से संवाद के दौरान मणिपुर में संघ के प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर गहन चर्चा की. इस बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी थे.
उधर, केंद्र सरकार भी नई दिल्ली में मणिपुर के मैतेई और कुकी समूहों के बीच संपर्क और संवाद के जरिये विश्वास बहाली में जुटी है,ताकि इस जातीय संघर्ष का स्थायी समाधान निकाला जा सके.
आरएसएस मणिपुर में स्थानीय स्तर पर मैतेई और कुकी समुदायों की आशंकाओं, उचित मांगों और उनके समाधान को गंभीरता से सुनकर फीडबैक तैयार कर रहा है. हालांकि उसे पता है कि दो साल में खराब हुए हालातों को रातोंरात सुधारा नहीं जा सकता. प्रचारकों की बैठक में भी यही निष्कर्ष निकला कि अविश्वास की जो खाई पैदा हुई है, उसका समाधान संवाद और सहयोग के जरिये ही निकाला जा सकता है.
आंबेकर ने कहा, मैतेयी और कुकी जनता के बीच शांति और परस्पर सौहार्द्र के लिए उनके बीच भरोसा कायम करने के उपायों पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. उनके बीच सकारात्मक माहौल रहे और संवादहीनता से संदेह का कोई वातावरण न बने, इसको लेकर दोनों पक्षों में कई स्तरों पर संपर्क कायम किया जा रहा है.
आरएसएस की ये पहले ऐसे वक्त हुई है, जब सरकार अपने पूर्वोत्तर के सलाहकार एके मिश्रा के जरिये मैतेई सिविल सोसायटी समूहों और कुकी उग्रवादी समूहों के बीच ऑपरेशन स्थगित करने को लेकर हर हफ्ते बैठक कर रही है.
मई 2023 में जातीय संघर्ष की शुरुआत के करीब दो साल बाद ऑपरेशनल समूहों के बीच अभियान को रोकने को लेकर की गई केंद्र की पहल को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यह मणिपुर में बेरोकटोक आवाजाही और दोनों समुदायों के ऑपरेशनल गुटों को अपने कैंप इंफाल घाटी से बाहर ले जाने पर सहमति बनाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं.सूत्रों का कहना है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने से भी हिंसा में कमी लाने में मदद मिली है और वार्ता के नतीजे निकलने की उम्मीद बढ़ी है.