Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि टीवी, इंटरनेट और सोशल मीडिया बहुत कम उम्र में ही किशोर की मासूमियत को निगल रहे हैं. सरकार इसपर नियंत्रण भी नहीं लगा पा रही है.
Trending Photos
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बच्चों पर टीवी, इंटरनेट और सोशल मीडिया के प्रभावों को लेकर चिंता जाहिर की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि टीवी, इंटरनेट और सोशल मीडिया के विनाशकारी प्रभावों से किशोर मासूमियत खो रहे हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ये माध्यम बहुत कम उम्र में ही किशोर की मासूमियत को निगल रहे हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार भी इन प्रौद्योगिकियों की अनियंत्रित प्रकृति के प्रभाव को नियंत्रित नहीं कर पा रही है. यह टिप्पणी जस्टिस सिद्धार्थ की सिंगल बेंच ने एक बच्चे की अर्जी पर सुनवाई करते हुए की है.
यह है पूरा मामला
दरअसल, कौशांबी में रहने वाले किशोर पर नाबालिग लड़की से संबंध बनाने में पॉक्सो सहित अन्य आरोपों के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था. ट्रायल कोर्ट और किशोर न्याय बोर्ड ने उस पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. किशोर ने इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. हाईकोर्ट ने मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन रिपोर्ट पर गौर किया जिसमें पाया गया कि 16 वर्षीय याची का आईक्यू (आईक्यू) 66 था, जो उसे बौद्धिक कार्यप्रणाली की सीमांत श्रेणी में रखता है.
किशोर न्याय बोर्ड की ओर से एक किशोर के रूप में मुकदमा चलाया जाए
वहीं, मनोवैज्ञानिक टेस्ट रिपोर्ट में उसकी मानसिक आयु मात्र 6 साल आंकी गई. साथ ही सामाजिक व्यवहार में कठिनाइयां, खराब शैक्षणिक प्रदर्शन और सीमित संपर्क का उल्लेख भी किया गया. कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह पता चले कि किशोर के अंदर आदतन अपराध करने की प्रवृत्ति है. सिर्फ इसलिए कि उसने एक जघन्य अपराध किया है, उसे एक वयस्क के बराबर नहीं रखा जा सकता. कोर्ट ने आदेश दिया कि याची पर किशोर न्याय बोर्ड की ओर से एक किशोर के रूप में मुकदमा चलाया जाए.
यह भी पढ़ें : अखिलेश यादव मानसिक संतुलन खो चुके हैं... ओमप्रकाश राजभर का तीखा हमला, छांगुर बाबा पर भी दिया बड़ा बयान
यह भी पढ़ें : कांवड़ यात्रा में शिवभक्त कम, गुंडे-मवाली ज्यादा दिख रहे हैं... सपा विधायक का विवादित बयान