Varanasi News: जब तिरंगा पर लगी पाबंदी तो हथियार बनी ये मिठाई, जानें बनारस की तिरंगा बर्फी का रोचक इतिहास
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Varanasi News: जब तिरंगा पर लगी पाबंदी तो हथियार बनी ये मिठाई, जानें बनारस की तिरंगा बर्फी का रोचक इतिहास

Tiranga Barfi History: शुभअवसरों पर एक दूसरे को मिठाई खिलाना भारतीय परंपरा रही है. माना जाता है ये रिश्तों में मिठास घोलती है. लेकिन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब तिरंगा फहराने और तिरंगा यात्रा पर पाबंदी लगा दी गई थी तो यूपी के एक प्रसिद्ध शहर में तिरंगा बर्फी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आंदोलन में हथियार  बनी थी. पढ़ें दिलचस्प किस्सा. 

Varanasi News: जब तिरंगा पर लगी पाबंदी तो हथियार बनी ये मिठाई, जानें बनारस की तिरंगा बर्फी का रोचक इतिहास

Varanasi News: बनारस सिर्फ घाटों, मंदिरों और संस्कृति के लिए ही नहीं, बल्कि अपने अनोखे खानपान और मिष्ठान परंपरा के लिए भी विख्यात है. इन्हीं में एक मिठाई है, जो आजादी के इतिहास में मीठी मगर असरदार कहानी बयां करती है- तिरंगी बर्फी. 

1942 में पहली बार बनी खास बर्फी
इस खास बर्फी का जन्म हुआ था सन् 1942 में, जब ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौर में अंग्रेजी हुकूमत ने काशी में किसी भी तरह के मार्च और तिरंगा फहराने पर सख्त पाबंदी लगा दी थी. उस समय वाराणसी के गुप्ता परिवार ने एक अनोखी तरकीब निकाली—तिरंगे को मिठाई के रूप में घर-घर पहुंचाने की.

आजादी के संदेश का वाहक बनी तिरंगा बर्फी
गुप्ता परिवार ने पंचमेवा से बनी तीन परतों वाली बर्फी तैयार की. नीचे हरी परत, बीच में सफेद और ऊपर केसरिया रंग—बिलकुल तिरंगे की तरह. इस मिठाई को न केवल मिठास का स्वाद मिला, बल्कि यह आजादी के संदेश की भी वाहक बन गई. बिना झंडा लहराए, हर घर की थाली में तिरंगा सजने लगा.

स्थानीय लोग बताते हैं कि उस दौर में तिरंगी बर्फी सिर्फ मिठाई नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में उत्साह और एकता का प्रतीक थी. काशी में पाबंदियों के बीच यह मिठाई देशभक्ति का मीठा इशारा बन गई.

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आज भी 15 अगस्त और 26 जनवरी के मौके पर इसकी मांग चरम पर होती है. स्कूल, कॉलेज, संस्थान और कई संगठन इसे विशेष ऑर्डर पर बनवाकर बांटते करते हैं. वाराणसी में तिरंगा बर्फी बनाने परंपरा को आगे बढ़ाने वाले गुप्ता परिवार के दुकानदार गर्व से कहते हैं, “यह सिर्फ मिठाई नहीं, हमारे परिवार का आजादी की लड़ाई में योगदान है, जिसे हम पीढ़ियों से संभाले हुए हैं.”

इतिहास, स्वाद और देशभक्ति के इस संगम को अब GI टैग भी मिल चुका है, जिससे इसकी पहचान और मजबूत हो गई है. बनारस की तिरंगी बर्फी सिर्फ मिठाई नहीं, बल्कि एक मीठी विरासत है, जो हर निवाले के साथ आजादी का स्वाद चखाती है.

Disclaimer: लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता का दावा या पुष्टि ज़ी यूपी/यूके नहीं करता.

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