UP Vidhansabha Monsoon Session Update: उत्तर प्रदेश विधानसभा में बुधवार को मानसून सत्र के तीसरे दिन कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने अपनी बात रखते हुए बगैर नाम लिये सपा को फूलन देवी का हत्यारा बता दिया. यह सुन सपा ने तुरंत हंगामा करना शुरू कर दिया. जिसके चलते स्पीकर सतीश महाना को संजय निषाद का माइक बंद करने का आदेश देना पड़ा.
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Lucknow News: यूपी विधानसभा में बुधवार शाम विजन 2047 पर चल रही चर्चा उस समय हंगामे में बदल गई, जब कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने विपक्षी सदस्यों को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी. उन्होंने सदन में बोलते हुए कहा कि “फूलन देवी और जमुना निषाद के हत्यारे आप लोग हैं.” यह सुनते ही सपा विधायकों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया और नारेबाजी करते हुए वेल में पहुंच गए.
आरक्षण के मुद्दे पर बोल रहे थे संजय निषाद
चर्चा की शुरुआत में संजय निषाद ने हमेशा की तरह निषाद समाज के आरक्षण का मुद्दा उठाया. विपक्ष की ओर से टोका-टाकी होने पर उन्होंने कहा कि वह सिर्फ निषादों का नहीं, बल्कि 578 जातियों का नेतृत्व कर रहे हैं. इसी बीच उन्होंने फूलन देवी की हत्या का जिक्र करते हुए सीबीआई जांच की मांग की. फिर अचानक उन्होंने विपक्ष पर ही हत्या का आरोप लगा दिया, जिसके बाद माहौल गरमा गया. संजय निषाद ने कहा कि फूलन देवी ने एकलव्य पार्टी बनाई जिसके 27 दिन बाद उनकी हत्या हो गई. उन्होंने कहा कि निषादों को कोई नेता नहीं बचा केवल में अकेला बचा हूं. जब कोई नहीं बचेगा तो निषादों का नेतृत्व कौन करेगा. संजय निषाद की बात के बीच में जब टोका-टाकी बढ़ी तो उन्होंने यहां तक कह दिया कि फूलनदेवी और जमुना निषाद के हत्यारे आप लोग हैं.
सपा विधायक हंगामा करते हुए वेल तक पहुंचे
सपा विधायक मंत्री की बेंच तक पहुंच गए, जबकि पीठासीन अध्यक्ष मंजू सिवाच लगातार सभी से शांत रहने और अपनी-अपनी सीट पर लौटने की अपील करती रहीं. विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडेय ने मंत्री का बयान कार्यवाही से बाहर करने की मांग की. सिवाच ने मामले की जांच और बयान को दिखवाने का आश्वासन दिया, लेकिन संजय निषाद लगातार बोलते रहे.
स्पीकर सतीश महाना को जोड़ने पड़े हाथ
हंगामा बढ़ता देख स्पीकर सतीश महाना खुद सदन में पहुंचे. उन्होंने आते ही आदेश दिया—“मंत्री जी का माइक बंद कर दीजिए.” महाना ने कहा कि मंत्री का समय समाप्त हो गया है और उन्हें बैठ जाना चाहिए. जब संजय निषाद फिर भी नहीं रुके, तो स्पीकर ने हाथ जोड़कर निवेदन किया—“कृपया बैठ जाइए, यह अच्छा नहीं लगता कि किसी मंत्री से बार-बार कहूं.”
काफी देर की तनातनी के बाद आखिरकार संजय निषाद अपनी सीट पर बैठे और सदन की कार्यवाही आगे बढ़ सकी. हालांकि, विपक्ष ने मंत्री के बयान को लेकर अपना विरोध दर्ज कराते हुए स्पष्ट किया कि यह मामला यहीं खत्म नहीं होगा.
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