महिलाओं को उनकी खूबसूरती से जज किया जाता है, लेकिन अगर चेहरे पर अनचाहे बाल निकलने लग जाएं, तो उना सेल्फ कॉन्फिडेंस काफी लो हो जाता है.
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What is Hirsutism: महिलाओं के लिए उसकी सुंदरता काफी मायने रखती है, लेकिन हर्सुटिज्म की बीमारी उनकी ब्यूटी हेल्थ को काफी अफेक्ट करती है. हर्सुटिज्म एक ऐसी कंडीशन है जिसमें महिलाओं के शरीर पर पुरुषों जैसी सख्त और घने बालों का इजाफा होने लगता है. ये बाल आमतौर पर चेहरे, ठोड़ी, छाती, पीठ, पेट या जांघों पर दिखाई देते हैं. ये परेशानी अक्सर हार्मोनल इम्बैलेंस, खासकर एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) के स्तर बढ़ने के कारण होती है. हालांकि बालों का हल्का-फुल्का बढ़ना सामान्य है, लेकिन जब ये बढ़त असामान्य पैटर्न में और मोटाई में दिखाई देने लगे, तो इसे हर्सुटिज्म कहा जाता है.
हर्सुटिज्म के कारण
हर्सुटिज्म के पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जैसे-
1. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS): महिलाओं में हर्सुटिज्म का सबसे आम कारण, जिसमें ओवरीज पर सिस्ट बनने के साथ-साथ हार्मोनल चेंजेज होते हैं.
2. एंड्रोजन हार्मोन का बढ़ना: अधिवृक्क ग्रंथियों (Adrenal Glands) या अंडाशय द्वारा एंड्रोजन का ज्यादा उत्पादन.
3. कुशिंग सिंड्रोम: शरीर में कॉर्टिसोल का स्तर असामान्य रूप से बढ़ना.
4. कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट: जैसे स्टेरॉयड, डैनाज़ोल या कुछ हार्मोनल दवाएं.
5. जेनेटिक फैक्टर: कुछ महिलाओं में परिवारिक इतिहास के कारण ये समस्या अधिक देखी जाती है.
6. अनजान कारण (Idiopathic Hirsutism): जहां कोई स्पष्ट मेडिकल वजह नहीं मिलती, लेकिन हार्मोन के प्रति बालों की जड़ों की संवेदनशीलता ज्यादा होती है.
शुरुआती लक्षण
हर्सुटिज्म के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं और अक्सर महिलाओं के लिए मानसिक और सामाजिक परेशानी का कारण बन सकते हैं. शुरुआती लक्षण इस प्रकार हैं:
1. चेहरे पर बाल: ऊपरी होंठ, ठोड़ी, गाल पर मोटे और गहरे रंग के बाल आना.
2. छाती और पेट पर बाल: सामान्य से ज्यादा और पुरुषों की तरह पैटर्न में बढ़ना.
3. पीठ और जांघों पर बाल: हल्के बालों की जगह मोटे और घने बाल होना.
4. एक्ने और तैलीय त्वचा: एंड्रोजन बढ़ने से त्वचा पर तेलीयता और पिंपल्स.
5. आवाज़ में भारीपन: गंभीर मामलों में आवाज पुरुषों जैसी भारी हो सकती है.
6. हेयरलाइन का पीछे हटना (Hair Thinning): पुरुषों जैसे पैटर्न में बाल झड़ना.
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डायग्नोसिस (Diagnosis)
हर्सुटिज्म का सही कारण पता लगाना इलाज के लिए जरूरी है. डॉक्टर कुछ जरूरी टेस्ट कर सकते हैं, जैसे-
1. मेडिकल हिस्ट्री और फिजिकल एग्जामिनेशन: लक्षणों का पैटर्न, शुरुआत का वक्त और फैमिली हिस्ट्री जानना.
2. हार्मोन टेस्ट: खून की जांच के जरिए टेस्टोस्टेरोन, DHEAS, LH, FSH और कॉर्टिसोल लेवल की जांच.
3. अल्ट्रासाउंड: ओवरी पर सिस्ट या दूसरी एब्नॉर्मेलिटी देखने के लिए ये जरूरी है.
4. CT स्कैन या MRI: एड्रेनल ग्लैंड या दूसरे ट्यूमर का पता लगाने के लिए.
5. Ferriman-Gallwey Score: ये शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर बालों की मात्रा नापने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला स्कोरिंग सिस्टम है.
इलाज
हर्सुटिज्म का इलाज उसके कारण पर डिपेंड करता है. इसका मकसद हार्मोन को बैलेंस करना और अनचाहे बालों को कम करना होता है.
1. मेडिकल ट्रीटमेंट
ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स (OCPs): एंड्रोजन लेवल को कम करके नए बालों के इजाफे को स्लो करती हैं.
एंटी-एंड्रोजन दवाएं: जैसे स्पिरोनोलैक्टोन, फ्लूटामाइड या फिनास्टराइड, जो बालों की जड़ों पर एंड्रोजन का असर रोकती हैं.
इंसुलिन-सेन्सिटाइजिंग दवाएं: जैसे मेटफॉर्मिन, खासकर PCOS के मामलों में.
2. कॉस्मेटिक और हेयर रिमूवल तकनीकें
लेजर हेयर रिमूवल: बालों की जड़ों को नष्ट करके लंबे समय तक बालों को कम करता है.
इलेक्ट्रोलाइसिस: हर बाल की जड़ को इलेक्ट्रिक करंट से खत्म करना, परमानेंट सॉल्यूशन के लिए.
वैक्सिंग, थ्रेडिंग, शेविंग: अस्थायी लेकिन तुरंत असर देने वाले तरीके.
डिपिलेटरी क्रीम: बालों को सतह से घोलकर हटाना.
3. लाइफस्टाइल चेंज
वजन नियंत्रण: खासकर PCOS में वजन घटाने से हार्मोन बैलेंस में सुधार होता है.
हेल्दी डाइट: कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली डाइट, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर भोजन.
रेगुलर एक्सरसाइज: हार्मोनल स्वास्थ्य के लिए मददगार.
कॉम्पलिकेशंस और मेंटल हेल्थ असर
हर्सुटिज्म सिर्फ फिजिकल प्रॉब्लम नहीं है, बल्कि ये महिलाओं में कॉन्फिडेंस की कमी, डिप्रेशन और सोशल डिसकंफर्ट का कारण भी बन सकता है. वक्त रहते इलाज न करने पर ये PCOS, बांझपन और अन्य हार्मोनल बीमारियों से जुड़ सकता है.
बचने और कंट्रोल करने के तरीके
पीरियड्स में इरेगुलैरिटी, अचानक वजन बढ़ना या बालों के बढ़ने में बदलाव दिखे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.
बैलेंस्ड डाइट, एक्सरसाइज और स्ट्रेस मैनेजमेंट पर ध्यान दें.
लंबे वक्त तक स्टेरॉयड या हार्मोनल दवाओं का इस्तेमाल बिना डॉक्टर की सलाह के न करें.
रेगुलर हेल्थ चेकअप करवाएं, खासकर अगर परिवार में हार्मोनल बीमारियों का इतिहास रहा हो.
इन बातों को समझें
हर्सुटिज्म एक कॉमन लेकिन सेंसिटिव प्रॉब्लम है जो महिलाओं के कॉन्फिडेंस और लाइफ की क्वालिटी को अफेक्ट कर सकती है. इसका वक्त पर डायग्नोसिस और सही इलाज न सिर्फ अनचाहे बालों के इजाफे को रोक सकता है, बल्कि इसके पीछे छिपे गंभीर हार्मोनल डिसऑर्डर्स को भी कंट्रोल कर सकता है. याद रखें, बालों की एब्नॉर्मल ग्रोथ सिर्फ कॉस्मेटिक मसला नहीं है, बल्कि ये आपके हार्मोनल हेल्थ का इशारा भी हो सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.