Vijay Mallya and Kingfisher Airlines Downfall: एक दौर था, जब बॉलीवुड से लेकर खेल और कॉर्पोरेट जगत में उसकी तूती बोलती है, लेकिन अपनी गलतियों की वजह से विजय माल्या के नाम से साथ 'भगोड़ा' टैगलाइन लग चुका है. जिस कहानी की शुरुआत पिता के थप्पड़ के साथ हुई, उसका अंत देश से भागने के साथ हुआ.
Rise and Fall of Vijay Mallya's Kingfisher: किंगफिशर पक्षी जितनी देखने में सुंदर होती है, उतनी ही तेज तर्रार. आसमान की ऊंचाईयों से लेकर पानी में गोता लगाने की काबिलियत उसके भीतर होती है. नाम की तरह लिकर किंग, द मैन ऑफ गुड टाइम्स के नाम से मशहूर विजय माल्या (Vijay Mallya) ने भी एयरलाइन की शुरुआत की, लेकिन उसकी एयरलाइंस ने जब आसमान की ऊंचाइयों से एक बार गोता लगाया, तो ऐसी क्रैश हुई कि फिर कभी उठ नहीं पाई. आज कहानी विजय माल्या की उस जल्दीबाजी और उस गलती कि, जिसकी वजह से बर्बाद हो गई किंगफिशर एयरलाइंस ( Kingfisher Airlines)
एक दौर था, जब बॉलीवुड से लेकर खेल और कॉर्पोरेट जगत में उसकी तूती बोलती है, लेकिन अपनी गलतियों की वजह से विजय माल्या के नाम से साथ भगोड़ा टैगलाइन लग चुका है. जिस कहानी की शुरुआत पिता के थप्पड़ के साथ हुई, उसका अंत देश से भागने के साथ हुआ. 'फ्लाई द गुड टाइम्स' और 'द टेस्ट ऑफ रियल इंडिया' जैसे टैगलाइन के साथ कारोबार के चरम पर पहुंचे विजय माल्या की कहानी किसी फिल्मी स्क्रीप्ट से कम नहीं है.
विजय माल्या के पिता विठ्ठल माल्या भी कारोबारी थे. परिवार शराब के कारोबार में था. माल्या की रुचि न कारोबार में थी, न ही पढ़ाई में. एक दिन पिता से जोरदार थप्पड़ ने उनकी किस्मत बदल दी और विजय माल्या कारोबार के किंग बन गए. Kingfisher Beer बनाने वाली कंपनी United Brewerise group की जिम्मेदारी विजय माल्या के पास आ गई. शराब के कारोबार को माल्या ने नया अवतार दे दिया.
आम तौर पर लोग इसे लेकर खुलकर बात नहीं करते थे, वहां माल्या ने टीवी, अखबारों में किंगफिशर बियर के विज्ञापन देना शुरू कर दिया. उन्होंने शराब के कारोबार को कार्पोरेट का रूप दिया. मार्केटिंग के लिए बॉलीवुड हसीनाओं के साथ किंगफिशर कैंलेंडर की शुरुआत की. उ ला ला ला ले ओ…जैसे धुन ने किंगफिशर के बिजनेस को नया रूप दिया. लोग इस धुन के दीवाने हो गए.
किंगफिशर के एड के लिए उन्होंने एमएस धोनी से लेकर विराट कोहली और क्रिस गेल जैसे क्रिकेटरों और फिल्मी सितारों को उ ला ला ला ले ओ…की धुन पर नचाया. साल 2003 में उन्होंने एयरलाइंस बिजनेस में कदम रखा. किंगफिशर एयरलाइंस की शुरुआत की, लेकिन इसका ऑपरेशन साल 2005 में शुरू किया. उनकी ओहदा इतना बढ़ चुका था कि उन्होंने बेटे सिद्धार्थ माल्या को बर्थ डे पर किंगफिशर एयरलाइंस गिफ्ट कर दी. किंगफिशर एयरलाइंस की पेरेंट कंपनी यूनाइटेड बुअरीज ही थी.
किंगफिशर ने पहली उड़ान 2005 में भरी. मुंबई और दिल्ली के बीच पहली उड़ान भरी. सफर के दौरान लोगों को फ्री में खाना, लग्जरी सीट, मनोरंजन, फ्री की बीयर, हेडफोन...सब मिलता था. माल्या ने हवाई सफर तो आलीशान बना दिया. अगले दो साल में किंगफिशर ने अपने बेड़े को चार से बढ़ाकर 20 एयरबस A320 तक कर लिया. 26 डेस्टिनेशन के लिए किंगफिशर एयरलाइंस थी. किंगफिशर के गोल्डन पीरियड में उनके फ्लीट में 69 एयरक्राफ्ट थे .
माल्या ने किंगफिशर में सफर के दौरान लग्जरी का मजा जो दिया. लोगों को राजाओं वाली फिलिंग करवाई, लेकिन कस्टमर को राजा बनाने के चक्कर में वो अपना बाजा बजा बैठे. कहा ये भी जाता है कि माल्या ने अपने बियर ब्रांड का प्रचार करने के लिए किंगफिशर एयरलाइंस की शुरुआत की. विजय माल्या किंगफिशर की अंतरराष्ट्रीय उड़ान जल्दी शुरू करना चाहते थे, लेकिन नियम है कि कोई भी एयरलाइन पांच साल से पहले इंटरनेशनल फ्लाइट नहीं शुरू कर सकती.
नियमों को ताख पर रखकर माल्या ने सबसे बड़ी गलती कर दी. माल्या ने पहले से कर्ज में डूबी और आर्थिक रूप से से बदहाल एयर डेक्कन (Air Deccan) को 950 करोड़ रुपये में खरीद लिया. ये डील माल्या और किंगफिशर की सबसे बड़ी गलती साबित हुई. माल्या ने लो कॉस्ट एयरलाइन खरीदा, ताकि मिडिल क्लास को टारगेट कर सके और इंटरनेशनल उड़ान सेवा शुरू कर सके. उन्होंने सोचा कि मिडिल क्लास के लिए एयर डेक्कन होगी और लग्जरी एयर ट्रैवल के लिए किंगफिशर. उन्होंने एयरडेक्कन को किंगफिशर रेड के नाम से लॉन्च किया, लेकिन स्थति सोच से उलट साबित हो गई.
जो लोग भारी भरकम टिकट खरीदकर किंगफिशर में सफर कर रहे थे, उनके पास कम प्राइस में एयर डेक्कन में सफर करने का विकल्प मिल गया. किंगफिशर की फ्लाइटों की सीट खाली रहने लगी, वहीं लागत और खर्च बढ़ता रहा. कमाई कम होती रही और खर्च बढ़ता गया. लिहाजा कंपनी कर्ज के जंजाल में फंस गई. साल 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी ने उसमें आग में घी का काम किया. फ्यूल के दाम बढ़ने से चीजें बेकाबू होने लगीं. किंगफिशर की फ्लाइटें रद्द होने लगी. कर्ज के मर्ज ने किंगफिशर को एकदम तबाह कर दिया. हालात ऐसे बने कि कंपनी के पास न तो कर्ज चुकाने के पैसे थे और न ही कर्मचारियों को सैलरी देने के.
किंगफिशर का करियर बहुत छोटा रहा. कंपनी कभी भी मुनाफे में नहीं आ सकी. कंपनी कर्ज के ऐसे जंजाल में फंसी कि माल्या उसे बेचने की कोशिश करने लगे, लेकिन उनकी ये कोशिश भी नाकाम रही. कंपनी के लिए कोई निवेशक नहीं मिल सका. माल्या की बदकिस्मती थी कि उस वक्त विदेशी एयरलाइंस को भारतीय विमानन कंपनी में निवेश की इजाजत नहीं थी. हालात ऐसे बदतर हुए कि अक्टूबर 2012 में एविएशन रेगुलेटर डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने किंगफिशर का लाइसेंस रद्द कर दिया. कभी भारत की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन का दिवाला निकल गया.
विजय माल्या की कंपनियां डूब रही थी, लेकिन उनकी रईसी और उनके लाइफस्टाइल में कोई बदलाव नहीं आया. कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा था, लेकिन माल्या की पार्टियों, लाइफस्टाइल में कोई फर्क नहीं पड़ा. आखिरकार साल 2014 में किंगफिशर 9000 करोड़ रुपए का लोन नॉन परफॉर्मिंग एसेट बन गया और माल्या को देश छोड़कर भागना पड़ा. भारतीय बैंकों का करोड़ों का लोन लेकर इंग्लैड भाग चुके माल्या पर प्रत्यार्पण को लेकर मामले चल रहे हैं
फोर्ब्स बिलिनियर्स लिस्ट 2013 के मुताबिक विजय माल्या की संपत्ति 750 मिलियन डॉलर यानी करीब 64,03,43,62,500 रुपये थी, लेकिन अपनी गलतियों और अपने महंगे शौक में उसकी कंपनियां बंद होती चली गई, कर्ज का बोझ बढ़ता चला गया और माल्या की दौलत घटती चली गई.
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