History of India: भारत का इतिहास काफी ज्यादा गौरवशाली है. देश भर में कई ऐसे राजा हुए जिन्होंने बाहरी आक्रमणकारियों को धूल चटाई, इन्हीं नें से एक थे दिल्ली के शासन पर राज करने वाले आखिरी हिंदू राजा हेमचंद्र विक्रमादित्य 'हेमू'. इनके साहस के आगे दुश्मन थर-थर कांपते थे.
Hemchandra Vikramaditya Hemu: एक वक्त था जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था. भारत दुनिया भर में सबसे धनवान देश हुआ करता था. देश में हीरे- मोती, सोने चांदी और उपजाऊ जमीन की बाहुल्यता होती थी. इसी बाहुल्यता की वजह से दुनिया भर के तमाम आक्रांताओं ने भारत पर हमला किया, दिल्ली की सल्तनत पर कब्जा करने के लिए एक के बाद एक कई हमले हुए, कई राजाओं ने दुश्मनों की हुकूमत स्वीकार कर ली तो कई ने बाहरी आक्रमणकारियों से लोहा लिया. ऐसे ही हम बात करने जा रहे हैं दिल्ली के शासन पर राज करने वाले आखिरी हिंदू राजा हेमचंद्र विक्रमादित्य 'हेमू' के बारे में. एक साधारण से परिवार में जन्मे हेमू ने अपने कौशल और सैन्य क्षमता के बदौलत दिल्ली शासन तक का सफर तय किया और कई बड़े युद्ध में दुश्मनों को धूल चटाई.
मुगलों की बढ़ती हुई ताकत के आगे अपनी असाधारण सैन्य क्षमता का प्रदर्शन करने वाले आखिरी हिंदू राजा हेमू का जन्म 1501 में राजस्थान के अलवर जिले में एक साधारण परिवार में हुआ था. बचपन से ही इनमें देश के लिए कुछ करने की ललक थी हालांकि बचपन में इन्होंने सब्जियां तक बेची इसके बावजूद भी इनका साहस कम नहीं हुआ.
हेमू ने जीवन के शुरुआती समय में सूर साम्राज्य के शासक आदिल शाह सूरी के अधीन होकर सेनापति के रूप में काम किया. इसके बाद वे वजीर बन गए. बाद में इन्हें अफगान आर्मी का कमांडर इन चीफ बना दिया गया. अपनी सैन्य क्षमताओं के बदौलत हेमू लगातार आगे बढ़ते चले गए.
1553 से लेकर पानीपत युद्ध के पहले तक हेमू ने 22 युद्ध लड़े और इन युद्धों में हर समय हेमू ने विपक्षी राजाओं को मात दी. हेमू के पराक्रम के आगे कोई भी दुश्मन नहीं टिक पाता था. ये लड़ाईयां उन्होंने आदिल शाह के लिए लड़ी थी.
हेमू की बढ़ती हुई सैन्य क्षमता विरोधियों को पसंद नहीं आती थी. जिसका नतीजा ये हुआ कि साल 1555 में इब्राहिम शाह सूरी को गद्दी से हटाकर हेमू के खिलाफ विद्रोह कर दिया गया. जिसकी वजह से सूरी वंश को चार क्षेत्रों में बंट गया. हालांकि 26 जनवरी 1556 को जब हुमायूं की मौत के बाद अकबर को बादशाह घोषित किया गया.
जिस समय अकबर को बादशाह घोषित किया उस समय हेमू बंगाल में थे और जैसे ही ये खबर उनके कानों में गई उन्होंने दिल्ली पर कब्जे का मनाया और यही उचित समय समझा. बंगाल से एक रैपिड मार्च शुरू किया और बयाना, इटावा, संभल, कालपी और नारनौल से मुगलों को खदेड़ते हुए दिल्ली की ओर कूच किया.
इसके बाद दिल्ली में तुगलकाबाद में युद्ध हुआ और हेमू ने मुगलों को मात दी और 6 अक्टूबर, 1556 में एक दिन की लंबी लड़ाई के बाद दिल्ली जीतकर कब्जा कर लिया. हेमू ने 7 अक्टूबर 1556 से 5 नवंबर 1556 तक दिल्ली पर शासन किया.
हेमू की सबसे ऐतिहासिक लड़ाईयों में से एक पानीपत की लड़ाई, 5 नवंबर 1556 को पानीपत की लड़ाई में हेमू ने अकबर के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपने साहस का परिचय दिया. युद्ध के दौरान दुर्भाग्य से हेमू की आंख में तीर लग गई और फिर वो बेहोश हो गए. जिसके बाद अकबर के सेनापति बैरम खां ने हेमू की हत्या कर दी.
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