Eklingeshwar Mahadev Temple: देश में भगवान शिव के कई प्रसिद्ध मंदिर मौजूद हैं. लेकिन, एक मंदिर ऐसा हो जो कि साल में सिर्फ एक बार खुलता है. आइए जानते हैं एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर के बारे में.
Trending Photos
Mahashivratri 2025: देश के कोने-कोने में महाशिवरात्रि का पर्व पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. वैसे तो देश में भगवान शिव के कई मंदिर मौजूद हैं, लेकिन एक मंदिर ऐसा है जो साल सिर्फ एक बार ही भक्तों के दर्शन के लिए महाशिवरात्रि के दिन खुलता है. कहते हैं भगवान शिव का यह मंदिर रहस्यों से भरा हुआ है. आइए जानते हैं भगवान शिव के इस रहस्यमयी मंदिर के बारे में.
कहां है एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर?
राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित एकलिंगेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन और पवित्र मंदिर है. इसे मेवाड़ के राजाओं के आराध्य देव के रूप में पूजा जाता है. यह मंदिर अपनी भव्य स्थापत्य कला, धार्मिक महत्व और ऐतिहासिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है.
मेवाड़ शासकों के कुल देवता हैं एकलिंगेश्वर महादेव
एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में मेवाड़ के शासक बप्पा रावल द्वारा करवाया गया था. इसे कई बार नष्ट किया गया और पुनर्निर्माण किया गया. वर्तमान संरचना 15वीं शताब्दी में महाराणा रायमल द्वारा पुनर्निर्मित कराई गई थी. एकलिंगजी को मेवाड़ के शासकों का कुल देवता माना जाता है और इसे मेवाड़ राज्य का संरक्षक देवता भी कहा जाता है.
मंदिर की वास्तुकला है खास
मंदिर नागर शैली में निर्मित है और इसकी नक्काशीदार संरचना राजस्थानी स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है. मंदिर परिसर में 108 छोटे-बड़े मंदिर हैं, जो भगवान शिव के विभिन्न रूपों को समर्पित हैं. मंदिर में स्थित चारमुखी शिवलिंग (चार दिशाओं में मुख) इसकी सबसे प्रमुख विशेषता है. मंदिर परिसर में सुंदर नक्काशीदार मंडप, गुंबद और विशाल स्तंभ हैं, जो इसकी भव्यता को बढ़ाते हैं.
भगवान एकलिंगेश्वर की मूर्ति
मंदिर में स्थापित भगवान शिव की प्रतिमा चारमुखी शिवलिंग के रूप में है, जो काले पत्थर से बनी हुई है. इस शिवलिंग के चार मुख अलग-अलग दिशाओं में दर्शाए गए हैं. यह शिवलिंग चांदी से जड़े हुए नाग से ढंका रहता है, जिसे पूजा के समय हटाया जाता है.
पूर्व मुख – सूर्यदेव का प्रतीक
पश्चिम मुख – भगवान ब्रह्मा का प्रतीक
उत्तर मुख – भगवान विष्णु का प्रतीक
दक्षिण मुख – भगवान रुद्र (शिव) का प्रतीक
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
मेवाड़ के महाराणा स्वयं को इस मंदिर का सेवक मानते थे और इसे मेवाड़ का आधिकारिक देवस्थान माना जाता है. भगवान एकलिंगनाथ को मेवाड़ राज्य के वास्तविक शासक और महाराणा को उनका प्रतिनिधि माना जाता था. हर सोमवार को विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.
मंदिर परिसर में अन्य प्रमुख स्थल
परशुराम मंदिर- मंदिर परिसर में ऋषि परशुराम से जुड़ा एक विशेष मंदिर स्थित है.
गणेश और विष्णु मंदिर- शिव के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी यहां मौजूद हैं.
इंद्रकुंड और पानी की बावड़ी- यह मंदिर परिसर के जल स्रोत हैं, जिन्हें पवित्र माना जाता है.
कैसे पहुंचे?
निकटतम शहर- उदयपुर (22 किमी दूर)
निकटतम रेलवे स्टेशन- उदयपुर रेलवे स्टेशन (23 किमी)
निकटतम हवाई अड्डा- महाराणा प्रताप एयरपोर्ट, उदयपुर (35 किमी)
सड़क मार्ग- उदयपुर से नियमित बस और टैक्सी सेवा उपलब्ध है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)