Lord Parshuram on Mahashivratri 2025: भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम ने जिस जगह कठोर तपस्या कर भोलेनाथ का आशीर्वाद हासिल किया था. आज वहां पर हजारों श्रद्धालुओं का रेला उमड़ने जा रहा है.
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History of Pura Mahadev Temple Baghpat: आज महाशिवरात्रि का महापर्व है. इस बार 60 साल बाद त्रिग्रही में महाशिवरात्रि का अद्भुत संयोग है. जिसमें सच्चे मन से पूजा करने वाले शिवभक्तों की महादेव हर मनोकामना पूरी करेंगे. ऐसे ही भक्तों की हर मनोकामना पूर्ति करने वाला परशुरामेश्वर महादेव मंदिर है जहां बड़ी संख्या में भक्त जलाभिषेक करने आते हैं और मनचाही कामना पूरी करते हैं. क्या मंदिर का ऐतिहासिक महत्व और भगवान परशुराम से कैसे जुड़ा है मंदिर का रहस्य.
भगवान विष्णु के अवतार परशुराम!
भगवान परशुराम जिनका क्रोध, जिनकी युद्ध क्षमता और जिनका युद्धकौशल देवताओं और असुरों के लिए भय का कारण बना रहता था. वही भगवान परशुराम महादेव के सबसे बड़े उपासक थे. भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में जो पूरी सृष्टि में प्रसिद्ध हुए वो जिस मंदिर में महादेव का ध्यान लगाते थे. जहां उन्होंने महादेव के शिवलिंग की स्थापना की थी. आज हम आपको महादेव के उसी मंदिर में लेकर आए हैं.
पश्चिमी यूपी का जिला बागपत. बागपत के पुरा गांव में एक बड़ा टीला है. इस टीले पर भगवान भोलेनाथ का मंदिर है जिसे परशुरामेश्वर महादेव मंदिर के के नाम से जाना जाता है. भोलेनाथ का ये मंदिर पुरातन और सनातन मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर की भव्यता, दिव्यता और अलौकिकता के समागम की अनूभूति आपको यहां पहुंचते ही आसानी से होने लगती है.
भगवान शिव ने दिया था वरदान
मान्यता है कि भगवान परशुराम ने कठिन तपस्या और घोर साधना इसी मंदिर में की थी. जिससे प्रसन्न होकर आदिदेव महादेव ने उन्हें वरदान भी दिया था. इसी मंदिर से वरदान प्राप्त करने के पश्चात परशुराम जी ने शिवलिंग की स्थापना कर जलाभिषेक किया था.
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक बागपत के बालेनी क्षेत्र का जंगल प्राचीन काल में कजरी वन के नाम से जाना जाता था. इसी वन में ऋषि जमदग्नि का आश्रम था. उस आश्रम में ऋषि जमदग्नि अपनी पत्नी के साथ रहकर तपस्या करते थे. परशुराम जी भी उनके साथ रहते थे. भगवान परशुराम ने अपनी मां को जीवित करने के लिए पश्चाताप करते हुए कजरी वन में घोर तपस्या की थी.
तब भगवान शिव ने उन्हें दर्शन देकर कहा था कि वे शिवलिंग की स्थापना कर हरिद्वार ओर गोमुख से गंगाजल लाकर जलाभिषेक करेंगे तो उनकी मां जीवित हो जाएगी. जिसके चलते ही भगवान परशुराम जी ने यहां शिवलिंग की स्थापना कर जलाभिषेक किया था. तभी से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.
साल में 2 बार ऐतिहासिक मेले का आयोजन
महाशिवरात्रि पर पुरा के परशुरामेश्वर महादेव मंदिर पर बड़ी संख्या में कांवड़िये व श्रद्धालु पहुंचकर जलाभिषेक करते हैं. भक्ति अपनी मनचाही इच्छा पूर्ति के लिए विधि विधान से औघड़दानी की पूजा करते हैं. जिसके लिए भक्त भगवान शिव को दही, बेलपत्र, धतूरा, मिष्ठान, भस्म और गन्ने का रस चढ़ाते हैं. मान्यता है कि यहां की गई पूजा से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
हर साल सावन और फाल्गुन मास में भोलेनाथ के दरबार में ऐतिहासिक मेले का आयोजन किया जाता है. इस बार भी मेले का आयोजन किया गया है. इस मंदिर का महत्व ऐसा है कि साल दर साल महादेव के इस धाम में भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही है. प्रशासन का अनुमान है कि इस साल तीन दिनों में तीन लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन के लिए आ सकते हैं. इसलिए प्रशासन ने इस बार की महाशिवरात्रि पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था बनाने के साथ ही श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए व्यवस्थाओं को पहले से बेहतर किया गया है.
अधिकारियों ने लिया मेला स्थल का जायजा
डीएम ने मेले में तैनात अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के साथ बैठक की और कहा कि मेला परिसर में लगने वाली सभी दुकानों का सत्यापन किया जाए और ओवर रेटिंग नहीं होनी चाहिए. खाद्य सामग्री की दर निर्धारित की जाए और बिजली, साफ सफाई व अन्य व्यवस्थाओं पर ध्यान दिया जाए. इसमें लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई होगी.
महाशिवरात्रि पर परशुरामेश्वर महादेव मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ता है. इसीलिए भक्तों की भीड़ को देखते हुए पूरा प्रशासन एक्टिव मोड में है. डीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए तो मंडलायुक्त ने मेले का जायजा लिया. बैरिकेडिंग, गर्भ गृह, मंदिर आने जाने वाले रास्ते, सीसीटीवी कैमरे, पार्किंग, कांवड़ शिविर आदि का निरीक्षण किया.
आज दर्शन के लिए पहुंचेंगे लाखों श्रद्धालु
जाहिर है महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. लिहाजा प्रशासन एक्शन में है. वहीं मंदिर के पुरातन प्रभाव का अनुभव पाने के लिए और भगवान परशुराम की कृपा पाने के लिए श्रद्धालुओं की आस्था मंदिर को एक बार फिर सराबोर करने वाली है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)