Dak Bam: ‘डाक बम’ क्या होती है, जिसके लिए 'कांवड़िया' बन गई है पुलिस? क्या आपने देखी है 'हठ योग' वाली ये अनूठी शिव भक्ति
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Dak Bam: ‘डाक बम’ क्या होती है, जिसके लिए 'कांवड़िया' बन गई है पुलिस? क्या आपने देखी है 'हठ योग' वाली ये अनूठी शिव भक्ति

What is Dak Bam: कांवड़ यात्रा की इन दिनों धूम मची हुई है लेकिन क्या आप ‘डाक बम’ के बारे में जानते हैं. जिसके लिए यूपी पुलिस को कांवड़िया बनना पड़ गया है. 

Dak Bam: ‘डाक बम’ क्या होती है, जिसके लिए 'कांवड़िया' बन गई है पुलिस? क्या आपने देखी है 'हठ योग' वाली ये अनूठी शिव भक्ति

What is Dak Kanwar: सनातन की परंपरा में साधना और अराधना को लेकर एक बेहद ही अद्भुद बात है. वो है प्रण. यूं कहिए कि एक तरह का हठ. वो चाहे उपवास हो, फलाहार हो, या फिर निर्जला जैसे व्रत. इसमें भी बात जब सृष्टि के आदियोगी भगवान शिव की बात होती है, तो फिर भक्तों का प्रण किसी हठयोगी जैसा हो जाता है. जैसे कांवड़ यात्रा की परंपरा और इसमें भी डाक कांवड़. क्या होता है डाक कांवड़, कौन होते हैं ये कांवड़िए, जो 24 घंटे में गंगा नदी से शिवधाम तक जलाभिषेक का प्रण लेते हैं. 

आज की स्पेशल रिपोर्ट हमने इन्हीं डाक कांवड़ियों पर तैयार की है, जिनका जत्था एक बहुत ही कठिन भक्ति यात्रा से गुजरता है. इस पथ पर कोई दौड़ता है, तो कोई लेटकर चलता है, तो कोई एक रफ्तार से मीलों तक सफर करके भगवान शिव का जलाभिषेक करता है. क्या है इस परंपरा के पीछे की मान्यता, समझिए आज की रिपोर्ट से.

डाक बम किसे कहा जाता है?

बोल बम. बम बम भोले. ये जयकारा ना सिर्फ शिव भक्तों की पहचान होता है, बल्कि यही उनके कठिन लक्ष्य का सहारा भी होता है. ये शिव भक्तों की खास श्रेणी होती है, जिसे कहते हैं डाक बम. डाक का अर्थ ही होता है डांकना, यानी बिना किसी विराम के चलते जाना. इसीलिए ऐसे कांवड़िए, जो गंगा से जल उठाने के बाद अपने शिवधाम तक बिना रुके चलते हैं, उन्हें डाक बम कहा जाता है. एक सांस में ये डाक बम कितनी दूरी तय करते हैं, आप सुनकर हैरान रह जाएंगे. 

डाक बम की अविराम यात्रा

सुल्तानपुर से बैद्यनाथ धाम- 110 किमी

हरिद्वार से पलवल- 250 किमी

हरिद्वार से नीमराना- 200 किमी

निश्चित समय में पूरा करते हैं सफर

मिसाल के ये लिए ये तीन कांवड़ यात्रा पथ है, जिस पर सबसे ज्यादा डाक बम निकलते हैं. इनकी यात्रा कैसी होती है, कहां से शुरुआत करते हैं और इस में किस प्रक्रिया का पालन करते हैं, समझिए जी मीडिया की अलग अलग टीम के साथ. 

सबसे पहले चलिए डाक कांवड़ियों के इस चत्थे के साथ जो राजस्थान के नीमराना से हरिद्वार के लिए रवाना हुआ. इनके साथ हमारी टीम भी इनके ट्रक में सवार हो गई. 

जैसा कि हमने आपको पहले बताया, हरिद्वार से निमराना का डाक कांवड़ पथ करीब 200 किलोमीटर है, जिसे 13 घंटे में पूरा करना होता है, इसलिए ये डाक कावड़िए बाइक के साथ आए हैं. आपको बता दें, कि पहले ये यात्रा पैदल ही हुआ करती थी, आज भी कई डाक बम पैदल ही यात्रा तय करते हैं, लेकिन बाइक के साथ ये कैसे डाक बम है, पहले इसे समझिए.

पुलिस ने कांवड़ यात्रा के लिए खास इंतजाम

इस पूरे जत्थे में कई भक्त ऐसे हैं, जो डाक कावड़ के एक्सपर्ट्स हैं, यानी इन्होंने कई बार हरिद्वार से निमराना तक बिना रुके हुए कांवड़ ले जा चुके हैं. लेकिन मौजूदा दौर में इनके सामने कुछ परेशानियां है, जो नई हैं. हमने इसे जानने की कोशिश की. इस जत्थे में एक भक्त हमें ऐसा भी मिला, जो नाबालिग है, लेकिन शिव भक्ति में इतना लीन, कि 200 किलोमीटर की यात्रा भी उसके लिए कुछ भ नहीं.

इस जत्थे की यात्रा मुजफ्फरनगर तक ट्रक से पूरी हुई, इसके बाद यहां से बाइक पर सवारी. जैसा कि इस डाक कावड़ यात्री ने बताया, हरिद्वार से बाहर निकलने तक हर जगह के लिए अलग यात्रा पथ बनाया गया है, यूपी पुलिस ने इस पर ट्रैफिक रूल्स और शांतिपूर्ण यात्रा बनाए रखने के लिए खासा इंतजाम किया है.

यूपी में कावड़ यात्रा कुछ घटनाओं की वजह से विवादित होती रही है. इसमें सड़क पर चलते आम यात्रियों के साथ कांवड़ियों की बदसुलूकी और मारपीट जैसी बातें हर साल सुर्खियों में आती है. ऐसे में बाइक से डाक कांवड़ की यात्रा भी काफी संवेदनशील होती है. डाक बम यात्रियों को एक तो निश्चित समय में ये यात्रा पूरी करनी होती है, ऊपर से पूरी तरह उपवास. ऐसे में ये यात्रा दोगुनी कठिन हो जाती है. इसकी शुरुआत हो जाती है मुजफ्फरनगर से, जहां हरियाणा राजस्थान और यूपी के दूसरे इलाकों से लोग जमा होते हैं और डाक यात्रा की शुरुआत हरिद्वार से करते हैं. यहां कैसे हैं डाक यात्रियों के लिए इंतजाम, आपको दिखाते हैं.

नियम तोड़ने वालों पर की जा रही सख्ती

शिव भक्ति का पथ है. सब शुभ हो, मंगल हो और शांति पूर्वक हो, प्रशासन का ये प्रयास सहज है. इस बात की आशंका के बीच, कि डाक कावड़ियों की यात्रा में असहज कुछ भी हो सकता है. इसी आशंका के साथ हमारी टीम ने मुजफ्फरनगर से हरिद्वार के डाक कावड़ रूट का जायजा लिया और समझने की कोशिश की कि पूरी व्यवस्था कैसे है. 

ऐसा इसलिए कि हरिद्वार से यूपी और दूसरे राज्यों को जाने वाले कांवडिए, धार्मिक रूप से कई संवेदनशील क्षेत्रों से होकर गुजरते हैं. जैसे कि मेरठ का  रूट. पुलिस के इस एक्शन पर कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं, लेकिन यूपी पुलिस का कहना है, हमारा मकसद है, किसी भी अप्रिय वारदात और टकराव को रोकना. इसलिए मेरठ से लेकर मुजफ्फरनगर तक कई तरह के एक्शन लिए जा रहे हैं.

इससे डाक कांवड़ियों भी अछूते नहीं है. यूपी पुलिस ने पहले ही ये साफ कर दिया है कि किसी भी बाइक में अगर साइलेंसर नहीं है तो उसे आगे नहीं जाने दिया जाएगा, भले ही वो डाक बम क्यों न हो. मुजफ्फरनगर पुलिस ने एक खास टीम बनाई है, जो सिर्फ बिना साइलेंसर वाली बाइक पर ही नजर रख रही हैं. 

कांवड़ियों की वेशभूषा में आए पुलिसकर्मी

इसके अलावा कई बाइक्स प्रेशर हॉर्न से भी लैस है, जिसे कावड़ियों का जत्था इस्तेमाल कर रहा है. लेकिन पुलिस इन पर सख्त है. जो भी बाइक बिना साइलेंसर पकड़ी जा रही है. उसे सीज किया जा रहा है. इस दौरान कई डाक कांवड़िए ऐसे भी मिले, जो अपनी गलती मानकर आजीवन ट्रैफिक रूल्स का पालन करने का प्रण कर रहे हैं.

ऐसा नहीं, कि डाक कांवड़ यात्रियों पर पुलिस सिर्फ सख्ती ही कर रही है, बल्कि इनकी सुरक्षा के लिए अपनी वर्दी भी बदल दी है. मुजफ्फरनगर के बाद हर थाने की क्राइम टीम ने पूरे कांवड़ मार्ग पर अपने जवान तैनात किए हैं, जो पुलिस वर्दी के बजाय कांवड़ियों की वेषभूषा में हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि कई बार ऐसी घटनाए होती है कि कांवड़ियों की भीड़ में घुसकर कई असमाजिक तत्व हंगामा खड़ा कर देते हैं, और बदनाम होते हैं शिव भक्त. इसलिए यूपी पुलिस के सैकड़ो जवान हरिद्वार से लेकर तमाम संवेदनशील इलाकों में कांवड़ पथ पर शिवभक्त के रूप मे तैनात हैं.

अब आपको ले चलते हैं, यूपी पुलिस के ऐसे कैंप में जहां कांवड़ियों की बकायदा सेवा की जा रही है. कांवड़ रूट पर मौजूद इन कांवड़ शिविरों में किस तरह थके कावड़ियों की सेवा की जा रही है. कहीं कांवड़ियों फल और जूस तक दिया जा रहा है, तो लंगर पर खाना खिलाया जा रहा है. इन शिविर में पुलिस के सिपाहियों के साथ प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद हैं. sho रैंक के अधिकारी हाथों में फर्स्ट एड बॉक्स लेकर कांवड़ियों को दवाई लगा रहे है. पट्टी मलहम लगा रहे हैं.

राह में रुकता नहीं, व्यवधान पर सुनता नहीं!
 
इसी तरह मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना इलाके की sdm मोनालिसा जौहरी हैं. एसडीएम साहिबा खुद कांवड़ मार्ग में खड़ी होकर कावड़ियों को फल और जूस दे रही है. ये सारी कवायद इसलिए, क्योंकि आम कावड़ियों के साथ डाक बम कांवड़ियों की यात्रा अपनी मंजिल तक बिना किसी व्याधान या अनहोनी के पूरी हो. 

सेवा धर्म सर्वोपरि. ये कहावत आपने सुनी होगी. आपके अंदर का सेवा भाव बाहरी दुनिया में बहुत कुछ बदल सकता है. अगर ये नहीं है, तो बहुत सारी चीजें नकारात्मक हो सकती हैं. जैसे कोई भी अप्रिय घटना. लेकिन जब मामला भीड़ का हो, जत्थे का हो, काम सिर्फ सेवा भाव से नहीं चलता. 

बात सख्त कानूनी निगरानी और कार्रवाई की भी आती है. डाक बम कांवडिये, जिन्हें सबसे उग्र माना जाता है, उनकी शांति मय यात्रा के लिए पुलिस ने सख्त इंतजाम किए हैं. खबरदार, हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि 20 जुलाई से कांवड़ यात्रा का ऐसा जत्था शुरु होने वाला है, जो अपनी राह में रुकता नहीं, व्यावधान पर सुनता नहीं. 

डाक कांवड़ियों की सुरक्षा के इंतजाम

ऐसा इसलिए, क्योंकि, हरिद्वार से डाक कांवड़ियों का रेला निकलना शुरू हो चुका है. ये कोई साधारण कांवड़ यात्रा नहीं बल्कि शिवभक्तों की वो रिले रेस है. जो गंगाजल लेकर बिना रुके सीधा भगवान शिव के चरणों तक पहुंचती है. इन डाक कांवड़ियों की रफ्तार जितनी तेज होती है..उतनी ही तेज नजरें इस वक्त कांवड़ रूट पर योगी फोर्स की हैं.

वजह भी साफ है. हरिद्वार से शुरू होकर ये कांवड़ रूट पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सबसे संवेदनशील जिलों जैसे मुज़फ्फरनगर, मेरठ, सहारनपुर और बागपत से होकर गुजरता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पुलिस मशीनरी इस वक्त एक-एक मोड़, एक-एक चौराहे पर ऑपरेशन डाक कांवड़ चला रही है. सभी टीमों को एक्टिव कर दिया गया है. योगी फोर्स ने कांवड़ मार्ग पर खासकर डाक कांवड़ियों के लिए सुरक्षा के खास इंतजाम किए हैं.

125 किलोमीटर लंबे मार्ग पर रेत के कट्टों से डिवाइडर बनाए गए हैं. हर 250 मीटर पर डिवाइडर से ट्रैफिक को अलग किया गया है. हर 500 मीटर पर साइन बोर्ड लगाए गए हैं. 350 से ज्यादा फ्लैक्स बोर्ड भी लगाए गए हैं. वन-वे ट्रैफिक की व्यवस्था लागू की गई है. डाक कांवड़ियों के लिए खास कॉरिडोर बनाया गया है. पुलिस लगातार निगरानी कर रही है ताकि यात्रा सुरक्षित हो.

बवाल से निपटने के लिए खास इंतजाम

मुजफ्फरनगर में हर गली, हर चौराहे पर जवान तैनात हैं. प्रशासन जानता है कि डाक कांवड़ की रफ्तार के साथ किसी भी छोटी चिंगारी से बड़ा बवाल हो सकता है. इसलिए इस बार योगी सरकार ने सख्ती का पूरा प्लान तैयार कर लिया है. 

यहां आप नोट कर लीजिए, अगर आपके रास्ते में भी कोई डाक कांवडियां सामने आए तो थोड़ा निजी एहतियात बरतिए. वो एक लक्ष्य लेकर चला है, उसके रास्ते में कोई भी अड़चन उसे उद्ध्वेलित कर सकती है. इसलिए बचाव ही बड़ा समाधान है. हर हालत में. बाकी की जिम्मेदारी तो यूपी पुलिस की है ही.  

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