जिस देश की जेल में बंद हैं भारतीय नर्स निमिषा, 2500 साल पुराना है उसका इतिहास! आज भी इन वजहों से दुनियाभर में है फेमस
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जिस देश की जेल में बंद हैं भारतीय नर्स निमिषा, 2500 साल पुराना है उसका इतिहास! आज भी इन वजहों से दुनियाभर में है फेमस

भारतीय नर्स निमिषा प्रिया यमन के 'सना' शहर की सेंट्रल जेल में बंद हैं. हालांकि भारत सरकार के प्रयासों के चलते इस देश ने निमिषा की फांसी को टाल दिया है. हालांकि इस देश की स्थिति फिलहाल ठीक नहीं है. यह मानवीय संकटों का सामना कर रहा है. वहीं यहां का 'सना' शहर काफी प्राचीन है. 

जिस देश की जेल में बंद हैं भारतीय नर्स निमिषा, 2500 साल पुराना है उसका इतिहास! आज भी इन वजहों से दुनियाभर में है फेमस

यमन इन दिनों भारतीयों के बीच काफी चर्चाओं में है, क्योंकि यहां भारतीय नर्स निमिषा को 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी. हालांकि भारत सरकार की पहल और प्रयासों के चलते इस फांसी को फिलहाल टाल दिया गया है. दरअसल यमन के जिस शहर की सेंट्रल जेल में निमिषा बंद है उसका इतिहास काफी पुराना है. फिलहाल इस देश के हालात काफी खराब हैं. यहां युद्ध, भुखमरी के साथ ही गरीबी से लोगों का जीवन काफी प्रभावित हो गया है. 

क्या है भारतीय नर्स निमिषा का मामला?
केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया नर्स हैं. साल 2008 में वह भारत से बाहर यमन गई थी. जहां इस देश में उन पर अपने बिजनेस पार्टनर व्यक्ति की हत्या का आरोप लगा, जो कि इसी देश की नागरिक था. इसके बाद अदालत ने इस आरोप में निमिषा को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. दरअसल निमिषा को यहां एक क्लीनिक खोलना था, जिसके लिए कानून के मुताबिक यहां के एक स्थानीय साझेदार की जरूरत थी. इसी साथी की हत्या के आरोप में 2017 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था और 2020 में फांसी की सजा सुनाई थी. 16 जुलाई को निमिषा को फांसी होनी थी, लेकिन फिलहाल इसे भारत सरकार के प्रयासों से टाल दिया गया है. 

2500 साल पुराना है शहर
2014 से गृहयुद्ध सहित कई कारणों के चलते यमन में कई लोग फिलहाल युद्ध, भुखमरी, गरीबी और बीमारियों से प्रभावित है. इसकी राजधानी सना पर हूतियों का कब्जा है. यहां इन्हीं का हुक्म चलता है. हालांकि इसके बावजूद यहां के लोगों ने अपनी संस्कृति को बचा रखा है. बता दें कि सना लगभग 2500 साल पुराना शहर है. इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया है. यह शहर आज भी अपनी प्रचीन संस्कृति को भूला नहीं है. सफेद जिप्सम के जटिल ज्यामितीय पैटर्न से सजी इस शहर की कई बहुमंजिला इमारतें आज भी लोगों को अट्रैक्ट करते हुए अपनी प्राचीनता को दर्शाती हैं. अंतरराष्ट्रीय प्रयास से भी रीति-रिवाजों, वास्तुकला और संस्कृति को बचाने का प्रयास जारी है. माना जाता है कि इस शहर को नूह के पुत्र शेम ने बसाया था. 

बता दें कि यमन के लाल सागर तट पर स्थित बंदरगाह शहर मोचा पर करीब 15वीं शताब्दी में कॉफी व्यापार का केंद्र हुआ करता था. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस देश के लोगो को सबसे पहले कॉफी बनाने वाले लोगों में से एक माना जाता है. 

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