Bihar SIR News: बिहार में SIR करवाने का मकसद क्या है? जानिए चुनाव आयोग ने SC में दाखिल जवाब में क्या कहा
Advertisement
trendingNow12849957

Bihar SIR News: बिहार में SIR करवाने का मकसद क्या है? जानिए चुनाव आयोग ने SC में दाखिल जवाब में क्या कहा

Bihar SIR Campaign News: चुनाव आयोग ने  सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब ने SIR के दौरान वोटर लिस्ट में  नाम शामिल करने के लिए लोगों से  भारतीय नागरिकता साबित करने के सबूत मांगने के फैसले का बचाव किया है. 

Bihar SIR News: बिहार में SIR करवाने का मकसद क्या है? जानिए चुनाव आयोग ने SC में दाखिल जवाब में क्या कहा

EC Reply to SC on Bihar Voter List Revision Drive: बिहार में वोटर लिस्ट के रिविजन को लेकर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है. इस जवाब में चुनाव आयोग ने लोगों से  भारतीय नागरिकता साबित करने के सबूत मांगने के फैसले का बचाव किया है. आयोग का कहना है कि आर्टिकल 326 और जनप्रतिनिधत्व क़ानून के तहत आयोग की जिम्मेदारी बनती है कि वो सुनिश्चित करें कि सिर्फ भारतीय नागरिकों के नाम ही मतदाता सूची में शामिल हों.

बिहार में वोटर पुनरीक्षण पर EC ने SC को क्या दिया जवाब?

आयोग ने कहा कि यह कहना ग़लत होगा कि नागरिकता को तय करने का काम सिर्फ केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है. संविधान के मुताबिक अलग अलग मकसद के लिए विभिन्न ऑथोरिटी इस बारे में फैसला ले सकती है. सिर्फ भारतीय नागरिक ही वोट डालने का अधिकार रखते हैं, लिहाजा यह सुनिश्चित करना इलेक्शन कमीशन का काम है.

अपने जवाब में इलेक्शन कमीशन ने कहा कि चुनाव आयोग अपनी ओर से नागरिकता के निर्धारण की कोई स्वतंत्र कवायद नहीं कर रहा है. इसके बजाय आयोग की इस पूरी  कवायद का मकसद सिर्फ इतना भर है कि जो लोग भारत के नागरिक नहीं है, वो मतदाता सूची में शामिल न हो.

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में आयोग ने कहा कि आधार कार्ड चूंकि अपने आप में भारतीय नागरिकता को साबित नहीं करता. इसलिए उसे 11 डॉक्यूमेंट में शामिल नहीं किया गया. हालांकि SIR में दूसरे डॉक्यूमेंट को सप्लीमेंट देने के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल हो सकता है.

आधार कार्ड नागरिकता का सबूत नहीं- EC

आयोग ने कहा है कि आधार कार्ड सिर्फ किसी व्यक्ति की पहचान का सबूत है. इसके ज़रिए किसी की नागरिकता साबित नहीं हो सकती. जनवरी 2024 के बाद जारी आधार कार्ड में तो यह बकायदा डिक्लेमर भी दिया गया है कि आधार किसी व्यक्ति की नागरिकता को साबित नहीं करता.

यही नहीं विभिन्न हाईकोर्ट अपने फैसलों में यह बात कई बार कह चुके हैं कि आधार कार्ड अपने आप मे भारतीय नागरिकता को साबित नहीं करता है. आर्टिकल 326 के तहत सिर्फ वो ही नागरिक वोट डाल सकते है जो भारतीय नागरिक हो. इसलिए आधार कार्ड को गणना प्रपत्र में 11 डॉक्यूमेंट में शामिल नही किया. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरे डॉक्यूमेंट को सप्लीमेंट देने के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल नही हो सकता.

इलेक्शन कमीशन ने कहा कि फर्जी राशन कार्ड की बहुतायत को देखते आयोग ने इसे 11 डॉक्यूमेंट में शामिल नहीं किया है. इसी साल 7 मार्च को पीआईबी की ओर से जारी एक प्रेस लिस्ट में यह कहा गया है कि केंद्र सरकार ने 5 करोड़ फर्जी राशन कार्ड होल्डर के नाम को हटाया है और राशन डिस्ट्रीब्यूशन के सिस्टम को आधार कार्ड से लिंक किया है. 

बिहार में SIR की वजह क्या है?

हालांकि SIR की प्रकिया में भी  निवार्चक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी(ERO) राशन कार्ड समेत सभी डॉक्यूमेंट को देखेगे. उस डॉक्यूमेंट को स्वीकार करना या  न करना ERO की संतुष्टि पर निर्भर करेगा. वो हर केस में उपलब्ध तथ्यों के आधार पर( case to case basis) पर फ़ैसला लेंगे.

मतदाता पहचान पत्र अभी तक की वोटर लिस्ट के आधार पर जारी किए गए है. SIR का मकसद है कि वोटर लिस्ट की जांच पड़ताल करना. इसलिए इसे 11 डॉक्यूमेंट की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया. इसे मतदाता सूची में नाम शामिल करने की योग्यता का सबूत नहीं माना जा सकता वर्ना फिर तो SIR की पूरी कवायद ही निर्रथक हो जाएगी.

आयोग ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने गुमराह करने वाली मीडिया रिपोर्ट्स को आधार बनाया है. आरोप लगाया कि याचिकाकर्ताओं की मंशा ठीक नहीं है. उन्होंने पुराने आंकड़े दिए है. इनमें से कुछ याचिकाकर्ता जिनमे सांसद/ विधायक शामिल हैं, वे बिहार में चुनाव लड़ रही राजनीतिक पार्टियों से हैं. जहां एक ओर उनकी राजनीतिक पार्टी बूथ लेवल पर एजेंट प्रोवाइड कर इस कवायद में सहयोग प्रदान कर रही है. उसी समय उनकी पार्टी के कुछ नेता चुनाव आयोग की ओर से अंजाम दी जा रही इस पारदर्शी कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने जानबूझकर कोर्ट से इन तथ्यों को छुपाया है.

आयोग ने बिहार से क्यों की शुरुआत

इलेक्शन कमीशन ने कहा कि इस मसले को लेकर दाखिल तमाम याचिकाएं premature है ,जो सिर्फ न्यूज़ रिपोर्ट्स / कयासों पर आधारित है. याचिकाकर्ताओं पास आरोप को स्थापित करने के लिए कोई ठोस मैटेरियल नहीं है. आयोग ने कहा कि EC के पास SIR कराने का अधिकार है. 

EC ने कहा कि चुनाव आयोग और उसके अधिकारियों की ओर से वो हर संभव कोशिश की गई है जिसके जरिए यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी वाजिब मतदाता  का नाम मतदाता सूची से बाहर ना हो. यही नहीं, इस प्रकिया में कई स्टेज पर वोटर लिस्ट को  चेक किया जाएगा. किसी भी मतदाता का नाम उचित प्रक्रिया को पूरा किए बगैर/ न्याय  के बुनियादी सिद्धांतो के तहत  पूरा मौका दिए बगैर मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा.

चुनाव आयोग राष्ट्रीय स्तर पर SIR कराएगा. इसकी शुरुआत बिहार से इसलिए की गई है क्योंकि यही यहां पर इसी साल नवंबर में चुनाव होने हैं. इसका मकसद मतदाता सूची को दुरस्त करना और अयोग्य लोगों को इस सूची से बाहर करना है. लोकतंत्र के लिए  मतदाता सूची की शुद्धता ज़रूरी है और चुनाव आयोग की यह जिम्मेदारी बनती है.

'एक ही व्यक्ति के कई जगह बने वोटर कार्ड'

बिहार में इससे पहले SIR 2002 -2003 में की गई थी. पिछले 25 सालों में बिहार की वोटर लिस्ट में काफी बदलाव आए हैं. तेजी से हो रहा शहरीकरण और लोगों का पढ़ाई/ जीविका और दूसरी वजह से एक जगह से दूसरी जगह माइग्रेट होना अब एक रेगुलर ट्रेंड बन चुका है. इस तरह की बहुत से उदाहरण है ,जब मतदाता एक राज्य से दूसरे राज्य में शिफ्ट हो गए लेकिन अभी भी उनके पुराने निवास स्थान की मतदाता सूची में उनके नाम बने हुए हैं.

समरी रिवीजन के बाद भी कई राजनीतिक पार्टियों ने मतदाता सूची को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की थी. उन्होंने मतदाता सूची में यहां न रहने वाले लोगों और मृतकों के नाम शामिल होने को लेकर अपनी आशंकाएं जाहिर की थी. लिहाजा उनकी शंकाओं के समाधान और लोगों के विश्वास को मजबूत करने के लिए कमीशन ने SIR करने का फैसला लिया है.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news

;