SC News: DNA मित्रों अब हम जांच एजेंसी ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय पर देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणियों का विश्लेषण करेंगे.
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Supreme Court on ED: देश के चीफ जस्टिस को आज भरी अदालत में ये कहना पड़ा कि हमें कुछ कहने के लिए मजबूर मत कीजिए, वर्ना हम बहुत सख्त टिप्पणी करेंगे. सोचिए आखिर ऐसा क्या हुआ. जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट को ऐसा कहना पड़ा. चीफ जस्टिस की बेंच के सामने मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी से जुड़ा मामला सुनवाई के लिए आया था. प्लॉट आवंटन से जुड़े इस मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को ईडी ने समन जारी किया था. लेकिन कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस समन को खारिज कर दिया था. जिसके बाद ईडी इस फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी.
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के रवैये को ही कठघरे में खड़ा कर दिया. आप हमें कुछ कहने के लिये मज़बूर ना कीजिए. वर्ना हम बहुत सख्त टिप्पणी करेगे. बेहतर होगा कि राजनीतिक लड़ाई मतदाता आपस में लड़े, आप क्यों इसका ज़रिया बन रहे है? तुरंत ED की ओर से पेश हुए ASG ने कहा कि वो याचिका को वापस ले रहे हैं. लेकिन इसे दूसरे मामलों में नजीर की तरह नहीं लिया जाना चाहिए. पर अदालत का गुस्सा कम नहीं हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो ASG के आभारी हैं कि उन्होंने हमें कुछ सख्त टिप्पणी करने से बचा लिया.
क्या ईडी के रवैये में बदलाव आएगा?
ये टिप्पणी निश्चित तौर पर ईडी को चुभी होगी. वैसे 2 महीने पहले ईडी ने तमिलनाडु से जुड़े एक घोटाले की जांच पर रोक लगाते हुए कहा था कि ईडी सारी हदें पार कर हा है. संविधान के संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रहा है.
ईडी और विपक्ष!
सुप्रीम कोर्ट ने जो टिप्पणी ईडी पर आज की है. उससे पूरा विपक्ष खुश होगा. अभी हाल ही में ईडी ने जब रॉबर्ट वॉड्रा से पूछताछ की तोकांग्रेस ने ये आरोप लगा दिया कि केंद्र सरकार ने हर महीने ईडी को कांग्रेस नेताओं पर कार्रवाई का टारगेट दिया है. हालांकि इस आरोपों के बाद छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे को ईडी ने गिरफ्तार भी किया है.
दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार इन सबके ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले चल रहे हैं. जिनकी जांच ईडी कर रही है. लेकिन इन सारे नेताओं का आरोप है कि ईडी सिर्फ विपक्ष के नेताओं को ही टारगेट कर रहा है. जबकि बीजेपी या उसके सहयोगी दलों के नेताओं से जुड़े मामलों में ईडी का सारा उत्साह ठंडा पड़ जाता है.