कामचटका को यूं ही नहीं कहा जाता 'काल', डमरू की तरह यहां अक्‍सर डोलती है धरती
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कामचटका को यूं ही नहीं कहा जाता 'काल', डमरू की तरह यहां अक्‍सर डोलती है धरती

Kamchatka earthquake: रूस के कामचटका में 8.8 तीव्रता के भूकंप ने कई देशों को बड़ी चिंता में डाल दिया है. दरअसल यह 1952 के बाद से इस क्षेत्र में आया सबसे बड़ी भूकंप है. वहीं इसके साथ ही आई सुनामी से मुसीबतें और भी बढ़ गई हैं. 

कामचटका को यूं ही नहीं कहा जाता 'काल', डमरू की तरह यहां अक्‍सर डोलती है धरती

Russia Earthquake: रूस में आए भूकंप ने हर तरफ तबाही मचाना शुरू कर दिया है. जहां इसका प्रभाव सिर्फ रूस तक ही नहीं बल्कि जापान, कनाडा और अमेरिका में भी दिख सकता है. दरअसल इन देशों में भी सुनामी का खतरा मंडरा रहा है. यही कारण है कि प्रशांत महासागर से जुड़े कई देशों में सुनामी आने की चेतावनी भी जारी करनी पड़ी. जानकारी के लिए बता दें कि आज यानी बुधवार को रूस के कैमचटका में करीब 8.8 तीव्रता का भूकंप आया. इस भूकंप के बाद चारों तरफ तबाही का मंजर देखने को मिला. कई इमारतें भी देखते-देखते धराशायी हो गईं. समंदर में हलचल के बाद सुनामी ने भी दस्तक दे दी है. ऐसे में मंजर और भी खतरनाक हो सकता है. हालांकि इसके बाद प्रमुख सवाल यह है कि कहां पर और क्यों भूकंप आया है? आखिर इस जगह का क्या इतिहास रहा है. 

कामचटका में आया भूकंप
रूस में भूकंप जिस जगह आया है, वो कामचटका है. दरअसल ये प्रशांत महासागर के किनारे बसा हुआ है. इसके एक तरफ ओखोटस्क सागर है और दूसरी तरफ प्रशांत महासागर और बेरिंग सागर है. यहां का भूकंप इतना जोरदार था कि इसके बाद जापान, अमेरिका और रूस जैसे प्रशांत महासागर से जुड़े कई देशों में सुनामी आने की चेतावनी भी जारी करनी पड़ी. बता दें कि इस भूकंप से 4 मीटर तक ऊंची सुनामी लहरें तट तक आईं. इससे कई इलाकों में नुकसान हुआ है. वहीं इसे 1952 के बाद से कामचटका में आया सबसे बड़ा भूकंप बताया जा रहा है, क्योंकि इससे पहले इतना बड़ा भूकंप 1952 में ही आया था. उस समय इसकी तीव्रता 9.0 थी. वहीं अगले महीने करीब 7.5 तीव्रता का भूकंप आने की संभावना है. भूकंप के साथ ही पहली सुनामी लहर ने सेवेरो-कुरीलस्क को प्रभावित किया है. जहां एक बस्ती और अलेड मछली पकड़ने की सुविधा आंशिक रूप से जलमग्न हो गई है. 

क्यों आता है यहां भूकंप?
कामचटका में भयानक भूकंप आने की कुछ प्रमुख वजह है. दरअसल यहां भूकंप और ज्वालामुखी बहुत आते हैं. वहीं यह महासागर के रिंग ऑफ फायर का हिस्सा है. ये वो इलाका है जहां धरती की प्लेटें लगातार खिसकती रहती हैं. यहां प्रशांत प्लेट हर साल करीब 86 मिमी की दर से ओखोट्स्क प्लेट के नीचे धंस रही है. ऐसे में यहां मेगाथ्रस्ट भूकंप उत्पन्न होते हैं. इसलिए यहां बार-बार भूकंप आते हैं और ज्वालामुखी फटते रहते हैं. जानकारी के लिए बता दें कि यहां लगभग 160 ज्वालामुखी हैं, जिनमें से 29 अभी भी एक्टिव हैं. यानी ये ज्वालामुखी कभी भी फट सकते हैं. ऐसे में यहां बड़ी तबाही हो सकती है. यहां का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी क्ल्यूचेवस्काया है, जो करीब 4,750 मीटर ऊंचा है. दरअसल ये उत्तरी गोलार्ध का सबसे बड़ा सक्रिय ज्वालामुखी है. 

खूबसूरत कुदरती नजारे
रूस की इस जगह पर भूकंप के चलते तबाही के मंजर दिख रहे हैंस लेकिन ये जगह कुदरती खूबसूरती भी है. दरअसल यहां का मौसम काफी ठंडा है. इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल भी घोषित किया है. यहां लोग मछली और केकड़े पकड़ने का काम करते हैं. वहीं यहां की आबादी भी कम है. गर्म पानी के झरने भी इस जगह को खास बनाते हैं. 

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