छोड़ी भारत की हंसी वादियां; न घर का बचा, न घाट का, शख्स को सताने लगी मुल्क की याद, कनाडा में क्यों हुआ भूल पर पछतावा?
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छोड़ी भारत की हंसी वादियां; न घर का बचा, न घाट का, शख्स को सताने लगी मुल्क की याद, कनाडा में क्यों हुआ भूल पर पछतावा?

Canada News: घर परिवार में अक्सर बड़े समझाते हैं कि कोई भी फैसला बहुत सोच-समझकर लेना चाहिए वरना पछतावा करना पड़ेगा. खुद से लिए फैसले कभी-कभी लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन जाते हैं, ऐसा ही कुछ हुआ भारत छोड़कर कनाडा बसे एक युवक के साथ जो इस समय काफी ज्यादा पछता रहा है.

छोड़ी भारत की हंसी वादियां; न घर का बचा, न घाट का, शख्स को सताने लगी मुल्क की याद, कनाडा में क्यों हुआ भूल पर पछतावा?

Canada News: 'सच ये है कि घर से तिरे जन्नत नहीं अच्छी, हूरों (परी) की तिरे सामने सूरत नहीं अच्छी...' आप ये सोच रहे होंगे कि हमने बेखुद देहलवी का ये मशहूर शेर क्यों लिखा है? सोचना लाजिमी भी है क्योंकि हम आपको बताने जा जा रहे हैं एक ऐसी कहानी के बारे में जिसमें एक शख्स को अपनी करनी पर काफी ज्यादा पछतावा हो रहा है. वो भारत की हंसी वादियों को छोड़कर विदेश की उन हंसी गलियों में खुशनुमा जीवन बिताने का सपना देख रहा था जिसके बारे में उन्होंने लोगों से सुना था, अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने देश को छोड़ने का तो फैसला कर लिया लेकिन ढलती हुई शाम और उगते हुए सूरज के साथ उन्हें एहसास होने लगा कि उनका ये फैसला उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती थी, हालांकि तब तक उनके हाथों से मोती फिसल चुका था. जानिए आखिर उसके साथ ऐसा क्या हुआ? 

युवक को हुआ पछतावा
भारत देश की हंसी वादियों को छोड़कर युवक ने कनाडा रहने का फैसला लिया और इसके लिए भारत की नागरिकता छोड़ दी और कनाडा की नागरिकता हासिल कर ली. हालांकि अब लगभग डेढ़ साल बाद उन्हें ये एहसास हुआ कि उसका ये फैसला उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती थी. उन्होंने कनाडा में लगातार बढ़ती भारत विरोधी भावना को लेकर रेडिट पर अपनी चिंता जाहिर की है और कनाडा को छोड़कर हमेशा के लिए भारत लौटने पर विचार कर रहा है. वो रेडिट पर ये भी बताया कि मुझे लगता है कि बढ़ती भारत विरोधी भावना और भी बदतर होने वाली है.

यूजर्स ने दी ऐसी प्रतिक्रिया
रेडिट पर उसने कहा कि मैं यहां उन लोगों से सलाह लेने और उनकी बातें सुनने आता हूं जिनके पास ओसीआई (Overseas Citizen of India) है या फिर वो किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं कि जिसके पास ओसीआई है और जो अब भारत वापस आकर वहां रह रहा है और काम कर रहा है. उन लोगों को किस तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ा रहा है और उनके लिए नौकरी पाना कितना ज्यादा मुश्किल है. उनके इस सवाल पर लोगों ने तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दी.

एक यूजर्स ने कमेंट करते हुए लिखा कि मैं हाल में ही दक्षिण भारत से कनाडा की नागरिक बनी हूं. हालांकि मैं बेहतर स्वास्थ्य की वजह से भारत आ रही हूं न कि भारत विरोधी मुद्दों की वजह से. उन्होंने आगे ये लिखा कि सच कहूं तो मुझे कभी किसी तरह का नस्लवाद का सामना नहीं करना पड़ा हालांकि उनके वर्कप्लेस पर उनके साथ एक कॉकेशियन लड़की अजीबो-गरीब तरह से व्यवहार करती थी और जिसकी वजह से उन्हें अपने काम में और मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. 

इन मुश्किलों को देखते हुए उन्होंने मैनेजर से शिकायत की जिसके बाद परेशान करने वाली उस लड़की को कपनी से बाहर निकाल दिया गया और उसके मैनेजर ने कहा कि हम चाहते हैं कि तुम कंपनी में ही रहो और साथ मैनेजर ने उस महिला कर्मचारी से माफी मांगी जो उसे सहना पड़ा. इसके अलावा उसने कहा कि जहां अच्छे लोग होते हैं वहां पर बुरे भी लोग होते हैं. साथ ही एक व्यक्ति ने कहा कि मुझे कनाडा बेहद पसंद है और एक ने लिखा कि भारत में कॉर्पोरेट संस्कृति मुश्किल हो सकती है. अगर आपके पास अच्छी बचत है, तो आप भारत में रोजमर्रा की परेशानियों से बचकर अच्छा जीवन जी सकते हैं.

F&Q
सवाल- भारतीयता छोड़कर कनाडा के नागरिक बने युवक को किन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है?
जवाब- युवक को कनाडा में लगातार बढ़ती भारत विरोधी भावना को देखते हुए कनाडा में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

सवाल- कनाडा की कुल आबादी कितनी है? 
जवाब- मीडिया रिपोर्ट के मुतबिक कनाडा की कुल आबादी लगभग 40 मिलियन (4 करोड़) है.

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अभिनव त्रिपाठी

जी न्यूज में न्यूज डेस्क पर बतौर सब एडिटर कार्यरत. देश- विदेश की खबरों को सरल भाषा में लिखते हैं. साहित्य और राजनीति में विशेष दिलचस्पी. यूपी के सुल्तानपुर जिले से ग्रेजुएशन, महात्मा गांधी काशी विद...और पढ़ें

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