VIDEO: कर्तव्य पथ पर पहली बार नजर आया भारत का 'प्रलय', जिससे चीन-पाकिस्तान भी डरते हैं!
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VIDEO: कर्तव्य पथ पर पहली बार नजर आया भारत का 'प्रलय', जिससे चीन-पाकिस्तान भी डरते हैं!

गणतंत्र दिवस की झांकी में पहली बार रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की सामरिक मिसाइल 'प्रलय' शामिल की गई. शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय सतह से सतह पर मार करने की क्षमता रखती है. ये भारत की पहली पारंपरिक अर्द्ध-बैलिस्टिक मिसाइल है. इसे स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी से बनाया गया है. 

VIDEO: कर्तव्य पथ पर पहली बार नजर आया भारत का 'प्रलय', जिससे चीन-पाकिस्तान भी डरते हैं!

नई दिल्लीः गणतंत्र दिवस की झांकी में पहली बार रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की सामरिक मिसाइल 'प्रलय' शामिल की गई. शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय सतह से सतह पर मार करने की क्षमता रखती है. ये भारत की पहली पारंपरिक अर्द्ध-बैलिस्टिक मिसाइल है. इसे स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी से बनाया गया है. इसका गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होना कई मायनों में काफी खास है. ये न सिर्फ स्वदेशी रक्षा उत्पादन का प्रतीक है बल्कि यह ये भी दिखाती है कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है.

  1. 400 किमी तक है प्रलय मिसाइल की रेंज
  2. भारत की पहली अर्ध बैलिस्टिक मिसाइल

400 किमी तक है प्रलय मिसाइल की रेंज 

प्रलय मिसाइल की खासियतों की बात की जाए तो इसकी रेंज 400 किमी है. इसे मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है. यह सेना की सूची में सतह-से-सतह पर मार करने वाली सबसे लंबी दूरी की मिसाइल है. हालांकि सेना सेना के पास अपने शस्त्रागार में ब्रह्मोस मिसाइल भी है, लेकिन वह सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है.

 

भारत की पहली अर्ध बैलिस्टिक मिसाइल

प्रलय भारत की पहली सामरिक अर्ध बैलिस्टिक मिसाइल है. ये सामरिक युद्ध क्षेत्र की गतिशीलता को बदलने का दमखम रखती है. यह अपने साथ 350 से 700 किलो तक के पारंपरिक हथियार ले जाने में सक्षम है. इसकी ये खासियत इसे और घातक बनाती है. प्रलय मिसाइल उड़ान के दौरान कलाबाजियां करने में सक्षम है. ये इंटरसेप्टर मिसाइलों को चकमा देने और हवा में एक तय सीमा के बाद अपना रास्ता बदलने में सक्षम है. प्रलय भारत की उत्तरी और पश्चिमी सीमा से किसी भी पारंपरिक मिसाइल का जवाब दे सकती है. 

सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन

बता दें कि गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर हुई परंपरागत परेड में देश की सैन्य ताकत और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने समारोह में राष्ट्र का नेतृत्व किया. इस अवसर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो मुख्य अतिथि रहे. परेड में इंडोनेशिया के 352 सदस्यीय मार्चिंग और बैंड दस्ते ने भी भाग लिया.

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