दुनिया को अलविदा कह गए तबला के बादशाह उस्ताद जाकिर हुसैन, करोड़ों कमाने के बावजूद 5 रुपए के सिक्के को क्यों मानते थे बेशकीमती?
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दुनिया को अलविदा कह गए तबला के बादशाह उस्ताद जाकिर हुसैन, करोड़ों कमाने के बावजूद 5 रुपए के सिक्के को क्यों मानते थे बेशकीमती?

Zakir Hussain Death: जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च साल 1951 को मुंबई में हुआ था. उन्हें साल 1988 मं पद्मश्री से नवाजा गया था. वहीं साल 2002 में पद्म भूषण और साल 2023 में पद्म विभूषण से भी नवाजा गया था. जाकिर हुसैन 3 बार ग्रैमी अवॉर्ड भी जीत चुके हैं. 

दुनिया को अलविदा कह गए तबला के बादशाह उस्ताद जाकिर हुसैन, करोड़ों कमाने के बावजूद 5 रुपए के सिक्के को क्यों मानते थे बेशकीमती?

नई दिल्ली: Zakir Hussain Death: मशहूर तबलावादक उस्ताद जाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे. दुनियाभर में शास्त्रीय संगीत से अपनी अलग पहचान बनाने वाले इस तबलावादक ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में आखिरी सांस ली. वह हाई बीपी के मरीज थे, जिसके चलते उन्हें हार्ट से संबंधित परेशानियां हुईं. जाकिर हुसैन इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती थे, जहां रविवार देर रात उनकी मौत हो गई. 

  1.  तबलावादक उस्ताद जाकिर हुसैन की हुई मृत्यु 
  2. 11 वर्ष की उम्र में दिया था अपना पहला पर्फॉर्मेंस 

इस दुर्लभ बीमारी से थे पीड़ित 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 73 साल के जाकिर हुसैन को इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस नाम की फेफड़ों से जुड़ी एक दुर्लभ बीमारी थी, जिसके चलते उनकी सेहत बिगड़ती चली गई. जाकिर हुसैन लंबे समय से अमेरिका में रह रहे थे. उनका सोशल मीडिया पर आखिरी पोस्ट भी अमेरिका की गलियों की है. 6 हफ्ते पहले किए गए इस पोस्ट में वह अमेरिका की सड़कों पर घूमते हुए वहां की हवाओं का लुत्फ उठा रहे थे. 

जाकिर हुसैन का जीवन 
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च साल 1951 को मुंबई में हुआ था. उन्हें साल 1988 मं पद्मश्री से नवाजा गया था. वहीं साल 2002 में पद्म भूषण और साल 2023 में पद्म विभूषण से भी नवाजा गया था. जाकिर हुसैन 3 बार ग्रैमी अवॉर्ड भी जीत चुके हैं. उनके पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी भी पेशेवर तबला वादक थे. मात्र 11 वर्ष की उम्र में जाकिर हुसैन ने ऑडियंस के सामने अपना पहला पर्फॉर्मेंस दिया था. वहीं 1973 में उन्होंने अपना पहला एल्बम ' लिविंद इन द मटिरियल वर्ल्ड' लॉन्च किया था. सिर्फ तबलवादन ही नहीं जाकिर हुसैन पेशे से एक एक्टर भी रह चुके हैं. उन्होंने 12 फिल्मों में अभिनय किया है. 

क्यों कीमती था 5 रुपए का सिक्का? 
जाकिर हुसैन को बचपन से ही तबला बजाने का शौक था. उनके हाथ कोई बर्तन आता था तो वे उससे धुन निकालने लगते थे. एकबार 12 वर्ष की उम्र में वे अपने पिता के साथ एक कॉन्सर्ट में गए थे. यहां पर वह उस्ताद अली अकबर खान, पंडित रविशंकर, पंडित शांता प्रसाद, पंडित किशन महाराज और बिस्मिल्लाह खान से मिले. जाकिर जब अपने पिता के साथ स्टेज पर पर्फॉर्म कर रहे थे तब हर कोई उन्हें देखकर दंग रह गया था. पर्फॉर्मेंस समाप्त होने के बाद जाकिर को 5 रुपए मिले थे. जाकिर हुसैन ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था,' मैंने अपनी जिंदगी में बहुत पैसे कमाए, लेकिन वो 5 रुपए मेरे लिए सबसे ज्यादा कीमती थी.' 

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श्रुति कौल

ज़ी न्यूज में सब एडिटर. वनस्थली विद्यापीठ यूनिवर्सिटी राजस्थान से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन. ये राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों, विज्ञान और ट्रेवल से जुड़े विषयों पर लिखती हैं. लि...और पढ़ें

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