Indian TARA Bomb: नाम सुनते ही थर-थर कांपेगा दुश्मन, DRDO ने ट्रायल किया शुरू
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Indian TARA Bomb: नाम सुनते ही थर-थर कांपेगा दुश्मन, DRDO ने ट्रायल किया शुरू

DRDO ने TARA प्रिसीजन गाइडेड बॉम्ब सिस्टम के कैप्टिव फ्लाइट का ट्रायल शुरू कर दिया है. जो जैगुआर, मिराज 2000 और सुखोई जैसे लड़ाकू विमानों से हमला करने में सक्षण है. ट्रायल में बॉम्ब को 3 वजन कैटेगरी में रखा गया है.

Indian TARA Bomb: नाम सुनते ही थर-थर कांपेगा दुश्मन, DRDO ने ट्रायल किया शुरू

भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, देश की सुरक्षा के लिए एक से बढ़कर एक हथियार बनाता है. चाहे वह फाइटर जेट हो एडवांस मिसाइल. अब इस बार DRDO ने एक ऐसा बॉम्ब विकसित किया है, जिसे भारत के लड़ाकू विमानों से दागा जा सकता है. फिलहाल इस बॉम्ब सिमस्ट के कैप्टिव फ्लाइट ट्रायल शुरू किए गए हैं.

  1. TARA बॉम्ब का तीन वजन कैटरी में फ्लाइट ट्रायल शुरू
  2. जैगुआर, मिराज, सुखोई से सटीक हमला करने में सक्षम

तीन वजन कैटेगरी में उपलब्ध
भारतीय सेना के देसी हथियारों में एक नई ताकत जुड़ने के लिए पूरी तरीके से तैयार है. IDRW की रिपोर्ट के अनुसार DRDO ने Tactical Advanced Range Augmentation (TARA) प्रिसीजन गाइडेड बॉम्ब सिस्टम के कैप्टिव फ्लाइट ट्रायल शुरू कर दिए हैं, जिसे भारतीय वायु सेना के जैगुआर स्ट्राइक जेट में इंटीग्रेट किया गया है, जिसकी मदद से दुश्मन के इलाकों में अंदर तक घुसकर सटीक अटैक करने में मदद मिलेगी.

TARA बॉम्ब बॉडी, मल्टी-वेट क्लासेस में उपलब्ध होंगे, जिसमें पहला 250 किग्रा, दूसरा 450 किग्रा और तीसरा 500 किग्रा वजनी होगा. ये सभी बॉम्ब्स DRDO द्वारा विकसित जनरल पर्पज (GP) बॉम्ब और हाई स्पीड लो-ग्रैड (HSLD) बॉम्ब्स पर आधारित हैं, जिन्हें Jaguar, Mirage 2000 और Sukhoi Su-30 MKI जैसे विमानों के साथ सफलतापूर्वक इंटीग्रेट किया जा चुका है.

सटीक हमला करने में सक्षम
TARA में इनेशियल नेविगेशन सिस्टम (INS) और GPS का इस्तेमाल किया गया है, जिसकी मदद से बॉम्ब बीच रास्ते में भटकता नहीं है, जिससे सर्कुलर एरर प्रोबबल (CEP) 30 मीटर से भी कम हो जाती है. इसके टर्मिनल फेज में सेमी-एक्टिव लेजर (SAL) सीकर जोड़ा गया है, जिससे यह अपने लक्ष्य को टारगेट करने में 3 मीटर से ज्यादा नहीं भटकता है. इस ड्यूल-गाइडेंस सिस्टम से बॉम्ब अपनी सटीकता बनाए रखता है. जिसके चलते यह और अधिक घातक बन जाता है.

वहीं बॉम्ब में लगे एक्टुएटेड फिन्स पीछे की ओर एरोडायनामिक कंट्रोल प्रदान करते हैं, जिससे टर्मिनल मोन्यूवरेबलिटी और फ्लेक्सिबल एंगल ऑफ अटैक की क्षमता मिलती है. वहीं इसकी स्पीड 640 से 1,200 किमी/घंटा तक हो सकती है, वहीं लड़ाकू विमानों से दागने पर इसकी रेंज 50-70 किलोमीटर तक पहुंच सकती है. इसके डिजाइन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह लड़ाकू विमानों को शॉर्ट और मीडियम रेंज की एयर डिफेंस से बाहर रहकर भी हमला करने में सक्षम बनाता है.

ट्रायल के बाद लाइव टेस्टिंग
इसी साल शुरू हुए कैप्टिव फ्लाइट का ट्रायल किसी अज्ञात एयरबेस पर किया जा रहा है, जिसमें जेट में फिच होने के बाद रिलीज मेकेनिज्म, एवियोनिक्स और फ्लाइट डायनामिक्स का आकलन किया जा रहा है. वहीं जैगुआर स्ट्राइक में इस्तेमाल होने वाले लाइजनिंग पॉड से लेजर डेजिग्नेशन की सहायता से बॉम्ब की सटीकता को परखा जा रहा है. इन टेस्टों पर खरा उतरते ही TARA बॉम्ब की लाइव टेस्टिंग की जाएगी.

बता दें TARA 250 की मदद से छोटे टारगेट्स जैसे कि दुश्मनों के काफिलों या राडार इंस्टॉलेशन्स पर आसानी से अटैक किया जा सकता है, वहीं TARA 450 और TARA 500 से दुश्मनों के ब्रिज, अंडरग्राउंड फैसिलिटीज और बंकरों को नेस्तनाबूत करने के लिए किया जाएगा.

इस मॉडर्न और मस्टी यूज बॉम्ब सिस्टम की मदद से भारत, वैश्विक स्तर पर अपनी प्रिसीजन वेपनरी में बढ़ती ताकत को दिखा रहा है. यह प्रोजेक्ट भारत की रक्षा उत्पादों की ताकत में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाने में इजाफा करेगा.

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प्रशांत सिंह

इससे पहले न्यूज 24, इनशॉर्ट्स, शेयरचैट जैसे संस्थानों में स्पेशल प्रोजेक्ट्स और बतौर टीम लीड की जिम्मेदारी निभा चुका हूं.

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