द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से शुरू हुआ यह सफर, 2000 के दशक तक चला जब भारतीय वायुसेना ने आखिरी बार अपने बॉम्बर बेड़े को अलविदा कहा.
भारतीय वायुसेना ने करीब 50 सालों तक अपनी हवाई ताकत का एक ऐसा पहलू संभाला, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. बॉम्बर जेट्स. ये विशाल और ताकतवर विमान दुश्मन के इलाकों में गहरे घुसकर भारी मात्रा में बम गिराने की क्षमता रखते थे, और दशकों तक भारतीय हवाई रणनीति का एक अहम हिस्सा रहे. लेकिन क्या आप जानते हैं, अब भारतीय वायुसेना के पास कोई भी डेडिकेटेड बॉम्बर जेट नहीं है? यह कहानी उस युग की है जब ये 'बमवर्षक' विमान आसमान में भारत की ताकत का प्रतीक थे.
Hawker Siddeley Canberra जैसे विमानों ने 1965 और 1971 के युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, दुश्मन के ठिकानों को तबाह करते हुए देश की सुरक्षा में अहम योगदान दिया. आज उनकी जगह मल्टी-रोल फाइटर जेट्स ने ले ली है, जो बमबारी के साथ-साथ हवाई लड़ाई और टोही मिशन भी बखूबी निभा सकते हैं.
भारतीय वायुसेना ने Hawker Siddeley Canberra जैसे बॉम्बर जेट्स के साथ अपनी बमबारी क्षमताओं की शुरुआत की. ये विमान अपनी मारक क्षमता और लंबी दूरी तक उड़ान भरने की क्षमता के लिए जाने जाते थे. इन्होंने 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, दुश्मन के एयरफील्ड्स और सैन्य ठिकानों पर कहर बरपाया.
भारतीय वायुसेना ने इन बॉम्बर जेट्स का संचालन करीब 50 सालों तक किया. यह एक लंबी अवधि थी जिसमें इन विमानों ने कई ऑपरेशनों और अभ्यासों में भाग लिया. 2007 में भारतीय वायुसेना ने अपने आखिरी बॉम्बर स्क्वाड्रन, नंबर 35 स्क्वाड्रन 'रेप्टर्स' को निष्क्रिय कर दिया. जो Canberra विमान उड़ाता था. इसके साथ ही भारतीय वायुसेना में समर्पित बॉम्बर जेट्स का युग समाप्त हो गया.
आधुनिक युद्ध में, मल्टी-रोल फाइटर जेट्स ज्यादा प्रभावी साबित हुए हैं. ये एक ही विमान से हवा से हवा में मुकाबला करने, हवा से जमीन पर हमला करने और टोही मिशन भी कर सकते हैं. साथ ही, सटीक गाइडेड मूनिशन्स और स्मार्ट बमों के विकास ने फाइटर जेट्स को भी बॉम्बर जैसी सटीकता और मारक क्षमता दे दी है. अब एक छोटा फाइटर जेट भी बड़े बॉम्बर के बराबर नुकसान पहुंचा सकता है.
आज, भारतीय वायुसेना के पास Su-30MKI, Rafale, मिराज 2000 और तेजस जैसे मल्टी-रोल फाइटर जेट्स हैं. ये विमान न केवल हवाई लड़ाई में माहिर हैं, बल्कि ये सटीक बमबारी करने और दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने की भी क्षमता रखते हैं. जिससे भारतीय वायुसेना की ताकत पहले से कहीं ज्यादा घातक हो गई है.
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