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Gaza Hunger Crisis: गाजा में इजराइली हमलों के बीच हालात बेहद भयावह होते जा रहे हैं. यहूदी फौज की भारी बमबार के बीच मौत का कहर देखने वाले बेगुनाह फिलिस्तीनियों को अब भूख-प्यास की मार झेलनी पड़ रही है. इजराइल ने अवैध तरीके से गाजा की नाकाबंदी कर दी है. यूनाइटेड नेशन (UN) ने गाजा में भूखमरी और कुपोषण को लेकर मानवाधिकार संगठनों और दुनिया को आगाह किया है.
यूनाइटेड नेशन हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि गाजा में हर पांच में से एक बच्चा कुपोषण का शिकार है. गाजा में अब हालात हर रोज बद से बदतर होते जा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की रिलीफ एजेंसी (UNRWA) के प्रमुख फिलिप लाजारिनी ने बताया कि गाजा के लोग जिंद और मौत से लड़ रहे हैं. वह चलती-फिरती लाशें बन चुके हैं.
इजराइली क्रूरता और नाकाबंदी की वजह से अब तक 100 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत सिर्फ भूख की वजह से हो चुकी है, जिनमें से ज्यादातर छोटे बच्चे हैं. लाजारिनी ने कहा कि अगर तुरंत इलाज और खाना न दिया गया, तो और बच्चों पर मौत का खतरा मंडरा रहा है.
गाजा के एक नागरिक हाना अल-मधहून ने बताया, "अगर बाजार में खाना है भी तो इतना महंगा कि आम आदमी खरीद ही नहीं सकता." उन्होंने बताया कि लोग गहने और जरूरी सामान बेचकर सिर्फ आटा खरीदने को मजबूर हैं." गाजा की भयावह हालात को देखते हुए 8 महीने की गर्भवती महिला वलाय ने बीबीसी से कहा, "मैं दुआ करती हूं कि मेरा बच्चा अभी इस दुनिया में न आए, क्योंकि यह दुनिया उसके लायक नहीं रही."
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलिस्तीन में महंगाई 58 फीसदी तक बढ़ गई है. नाकाबंदी की वजह से रोजमर्रा की जरुरत के सामनों की सप्लाई न होने की वजह से यहां सामानों की किल्लत हो गई है. इसकी वजह से सब्जियों की कीमत 135 फीसदी, चीनी और दूसरी चीजों की कीमतों में 117 फीसदी, चावल और फलों की कीमत में 140 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है.
तीन बच्चों की मां हाना ने कहा कि उन्होंने खुद बच्चों को कचरे के ढेर में खाना खोजते देखा है. जिंदा रहने के लिए उन्हें हर रोज नई जंग करनी पड़ती है. एक स्थानीय राहत कार्यकर्ता ताहानी शहादा ने कहा कि साधारण चीजों जैसे खाना पकाना या नहाना अब लक्जरी बन चुकी हैं. उन्होंने बताया, "मेरा आठ महीने के बेटे ने कभी ताजा फल नहीं खा पाया है, उसे इसका स्वाद तक नहीं पता."
डॉक्टर असील. गाजा में एक ब्रिटिश मेडिकल चैरिटी के साथ काम कर रही हैं. उन्होंने ने बताया कि उनके पति जब राहत सामग्री लेने गए तो उन्हें गोली मार दी गई. उन्होंने कहा, "अगर भूख से मरना है तो मर जाएं, क्योंकि राहत केंद्र तक जाना मौत के मुंह में जाने जैसा है."
खाने की लाइन में लगे लोगों को मारी गोली
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, पिछले दो महीनों में 1,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी उस वक्त मारे गए जब वे सहायता लेने जा रहे थे. इनमें से 766 लोग अमेरिकी निजी सुरक्षा कंपनियों के जरिये संचालित राहत केंद्रों के पास मारे गए, जबकि 288 यूएन और अन्य एजेंसियों के राहत काफिलों के पास मारे गए.