Bengali Muslims in Haryana: गुरुग्राम में कथित अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई के नाम पर बांग्ला भाषी मुस्लिम मजदूरों में दहशत है. पुलिसिया डर से हजारों लोग गांव लौटने को मजबूर हैं. स्थानीय लोगों ने पुलिस पर अवैध हिरासत, उत्पीड़न और मानवाधिकार हनन के आरोप लगाए हैं.
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Gurugram News Today: असम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान के बाद अब भारतीय जनता पार्टी शासित हरियाणा में भी मुसलमान निशाने पर हैं. हरियाणा पुलिस लगातार बांग्लादेशी और रोहिंग्या के नाम पर बांग्ला भाषी मुसलमानों की जांच कर रही है. जेल और डिटेंशन सेंटर जाने के डर से बड़ी संख्या मुस्लिम समुदाय के लोग पलायन करने को मजबूर हैं.
न्यूजलांड्री में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुग्राम में कथित अवैध प्रवासियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के बाद बांग्ला भाषी मुसलमानों ने पलायन शुरू कर दिया. पुलिसिया कार्रवाई के डर से बांग्ला भाषी मुसलमानों में दहशत फैल गई है. ये मजदूर दशकों से इस शहर में घरेलू नौकर, ड्राइवर, सफाई कर्मचारी और दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहे थे.
खासतौर पर बंगाली मार्केट से लगभग 400 लोग अपने गांव पश्चिम बंगाल लौट चुके हैं. वहीं, साउथ सिटी-2 के क्यू ब्लॉक में करीब दो सौ किराए के घर खाली मिले हैं, जिनमें कोई नहीं रहता है. स्थानीय लोगों का अनुमान है कि पिछले हफ्ते से अब तक एक हजार से ज्यादा लोग इस इलाके को छोड़ चुके हैं.
क्यू ब्लॉक की आबादी में मध्यम और निचले तबके के परिवार शामिल हैं. स्थानीय निवासियों का आरोप है कि कई लोगों को हिरासत में लिया गया और उन्हें परेशान किया गया. कम से कम दो लोगों ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर जांच की मांग की है कि उन्हें सत्यापन के नाम पर परेशान न किया जाए.
हालांकि, सेक्टर 50 पुलिस थाना के एसएचओ सत्यवान ने कहा कि पुलिस ने घरों का दौरा किया, लेकिन किसी को हिरासत में नहीं लिया गया और स्थानीय लोगों को सत्यापन प्रक्रिया की सूचना दी गई. यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब भारत के अलग-अलग राज्यों में बिना कानूनी दस्तावेजों के रहने वाले कथित बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ अभियान चल रहा है. इस पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और उचित प्रक्रिया न अपनाए जाने की चिंता जताई जा रही है.
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषियों को निशाना बनाने का आरोप लगा चुकी हैं. स्थानीय प्रवासियों ने पुलिस की कार्रवाई के दौरान पैदा हुई मुश्किलात को भी उजागर किया है. गुरुग्राम में 20 साल से रहने वाले एक 51 साल के शख्स ने बताया कि उन्हें और उनके बेटे को बिना वजह हिरासत में लिया गया.
पीड़िता ने बताया कि उनकी बेटी घरेलू कामगार है. वह पिता की गिरफ्तारी की वजह से काम पर नहीं जा पाई. वहीं, किराना दुकान के मालिक राहुल अमीन हक ने पुलिस से बांग्ला मुसलमानों को परेशान न करने की मांग की है. अन्य स्थानीय लोगों ने भी पुलिस के जरिये गलत तरीके से उनके परिवारजनों को हिरासत में लिए जाने और मारपीट के आरोप लगाए हैं.
रिपोर्ट में बताया गया कि अंजू और उनके बेटे को पुलिस ने दो बार उठाया और उन्हें धमकी भी दी गई. इन हालातों के चलते कई लोग गांव लौटने को मजबूर हो रहे हैं. पुलिस ने सभी आरोपों का खंडन किया है, लेकिन इस क्षेत्र में डर और असमंजस का माहौल बना हुआ है. स्थानीय लोगों ने मीडिया और प्रशासन से इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देने की मांग की है.