Trending Photos
Shakuntala Railway Line: जब तक अंग्रेजों ने भारत पर राज किया, उन्होंने लोगों से खूब लगान वसूला. भारत से जाने के बाद भी एक ऐसी जगह बच गई, जहां से वो लगान वसूलते रहे. आजादी के बाज अंग्रेज चले गए, लेकिन अभी भी उनका अधिकार भारत के इस रेल लाइन पर है. ब्रिटेन की एक प्राइवेट कंपनी भारत के इस रेलवे ट्रैक को कंट्रोल करती है. इस रेलवे ट्रैक को खरीदने के लिए भारतीय रेलवे ने कई बार कोशिश की, लेकिन नतीजा नहीं निकल सकता. हर साल रेलवे को इस ब्रिटिश कंपनी को 2 से 3 करोड़ की रॉयल्टी देनी पड़ती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. भारत की इकलौती प्राइवेट रेलवे ट्रैक शकुंतला रेलवे पर भारत का कंट्रोल होगा. भारतीय रेल (Indian Railway) ब्रिटिश कंपनी क्लिक-निक्सन से शकुंतला रेलवे (Shakuntala Railway) का अधिग्रहण करने जा रही है.
शकुंतला रेलवे पर भारत का होगा कंट्रोल
भारतीय रेल महाराष्ट्र के यवतमाल से अचलपुर के बीच 188 किमी लंबे शंकुलता रेलवे का अधिग्रहण करने जा रही है. साल 1916 में बने इस रेलवे ट्रैक पर अब रेलवे का अधिकार होगा. आजादी के बाद भी इस ट्रैक पर ब्रिटिश कंपनी क्लिक निक्सन एंड कंपनी का अधिकार रह गया था. साल 2017 से यवतमाल-मुर्तिजापुर और अप्रैल 2019 में मुर्तिजापुर-अचलपुर पर ट्रेनों की आवाजाही बंद है. माना जा रहा है कि अब अधिग्रहण के बाद यहां फिर से रेल सेवा बहाल होगी.
ब्रिटिश कंपनी वसूलती है लगान
शकुंतला रेलवे ट्रैक पर सिर्फ एक ट्रेन शंकुतला पैसेंजर ट्रेन चलती थी, जो अब बंद हो चुकी है. इस इलाके में रहने वाले लोग फिर से इसे शुरू करने की मांग कर रहे हैं. 5 डिब्बों के साथ यह ट्रेन रोज 800 से 1 हजार लोग को उनकी मंजिल तक पहुंचाती थी. ब्रिटिश कंपनी के अधिकार वाली इस ट्रैक का इस्तेमाल करने के लिए रेलवे को 1 से 2 करोड़ रुपये रॉयल्टी के तौर पर देना पड़ता है.
अंग्रेजों ने अपने मुनाफे के लिए बनाया था ये ट्रैक
महाराष्ट्र के अमरावती में कपास की खेती होती थी. कपाल को अमरावती से मुंबई पोर्ट तक पहुंचाने के लिए अंग्रेजों ने इस रेलवे ट्रैक का निर्माण करवाया था. ब्रिटेन की क्लिक निक्सन एंड कंपनी ने इस रेलवे ट्रैक को बनाने के लिए सेंट्रल प्रोविंस रेलवे कंपनी (CPRC) की स्थापना की. साल 1947 में जब भारत आजाद हो गया तो भारतीय रेलवे ने इस कंपनी के साथ एक समझौता किया. जिसके चलते इस ट्रैक का इस्तेमाल करने पर उसे हर साल कंपनी को रॉयल्टी देनी पड़ती थी. अमरावती के लोग इस ट्रेन को चलाने के लिए लंबे वक्त से मांग कर रहे हैं. इस नैरो गेज को ब्रॉड गेज में कन्वर्ट करने की मांग की जा रही है. अब उम्मीद है कि भारतीय रेल के अधिकार में आने के बाद इस ट्रैकल पर तेजी से काम होगा.