रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को संसद को बताया कि बीते 10 वर्षों में रेलवे नेटवर्क में बड़े पैमाने पर सुधार हुए हैं और अब देश का 78% से ज्यादा ट्रैक 110 किलोमीटर प्रति घंटे और उससे ज्यादा की गति के लिए तैयार हो चुका है.
Trending Photos
भारतीय रेलवे अब पुराने धीमे नेटवर्क की छवि को पीछे छोड़, तेज रफ्तार के युग में कदम रख चुका है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को संसद को बताया कि बीते 10 वर्षों में रेलवे नेटवर्क में बड़े पैमाने पर सुधार हुए हैं और अब देश का 78% से ज्यादा ट्रैक 110 किलोमीटर प्रति घंटे और उससे ज्यादा की गति के लिए तैयार हो चुका है.
रेल मंत्री ने बताया कि तेज रफ्तार ट्रेनों के लिए ट्रैक को अपग्रेड करने के तहत 60 किलोग्राम की मजबूत पटरियां, चौड़े बेस वाले कंक्रीट स्लीपर, मोटे वेब स्विच, लंबे रेल पैनल, एच बीम स्लीपर और आधुनिक ट्रैक रिन्यूअल व रखरखाव मशीनों का उपयोग किया जा रहा है.
4 गुना बढ़े हाई स्पीड ट्रैक
सबसे खास बात यह है कि 130 किमी/घंटे से ज्यादा गति झेल सकने वाले ट्रैक की लंबाई 2014 में जहां सिर्फ 5,036 किमी थी, उसे 2025 तक 23,010 किमी तक बढ़ा दिया जाएगा, जो कुल रेलवे नेटवर्क का 21.8% होगा. पहले यह हिस्सा महज 6.3% था.
मीडियम स्पीड वाले ट्रैक
इतना ही नहीं, 110-130 किमी/घंटे की गति वाली ट्रेनों के लिए ट्रैक की लंबाई 2014 के 26,409 किमी से बढ़कर 2025 तक 59,800 किमी हो जाएगी, जो अब रेल नेटवर्क का 56.6% हिस्सा होगा. वहीं, 100 किमी/घंटे से कम गति वाले ट्रैक की लंबाई घटकर 47,897 किमी से 22,862 किमी रह जाएगी.
रेल मंत्री का बयान
रेल मंत्री ने बताया कि वर्तमान में चल रही वंदे भारत ट्रेनें सेमी-हाई स्पीड ट्रेनें हैं, जिनकी डिजाइन स्पीड 180 किमी/घंटे और ऑपरेटिंग स्पीड 160 किमी/घंटे तक है. इनकी औसत स्पीड ट्रैक की स्थिति, रुकने के पॉइंट और रखरखाव पर निर्भर करती है. इस कड़ी में अगला कदम वंदे भारत स्लीपर ट्रेन सेट है, जिसका पहला प्रोटोटाइप तैयार हो चुका है. अब इसके व्यापक फील्ड टेस्ट किए जा रहे हैं, जिसके बाद पहला स्लीपर रेक जल्द ही पटरियों पर दौड़ता नजर आएगा.