भारत का इकलौता शख्स, जिसके पास खुद की ट्रेन, रेलवे की गलती से बन गया था पूरी रेल का मालिक
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भारत का इकलौता शख्स, जिसके पास खुद की ट्रेन, रेलवे की गलती से बन गया था पूरी रेल का मालिक

भारतीय रेल से सफर करते वक्त आपने कई बार ये घोषणाएं सुनी होगी कि ‘रेलवे आपकी संपत्ति है…’ लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि आप रेलवे के मालिक बन गए हैं.

भारत का इकलौता शख्स, जिसके पास खुद की ट्रेन, रेलवे की गलती से बन गया था पूरी रेल का मालिक

Indian Railway Train Owner: भारतीय रेल से सफर करते वक्त आपने कई बार ये घोषणाएं सुनी होगी कि ‘रेलवे आपकी संपत्ति है…’ लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि आप रेलवे के मालिक बन गए हैं. रेलवे पर मालिकाना हक भारतीय रेलवे और भारत की सरकार का है, लेकिन खुद रेलवे की गलती से एक शख्स कुछ वक्त के लिए पूरी ट्रेन का मालिक बन गया था.  कुछ साल पहले की बात है, जब एक शख्स रेलवे की एक पूरी ट्रेन का मालिक बन गया. ये कोई फर्जीवाड़ा या फेक नहीं बल्कि कानूनी मुहर के साथ हुआ. भले ही लोगों को पढ़ने या सुनने में थोड़ी हैरानी हो, लेकिन बात सौ टके सही है. रेलवे की एक गलती से ये शख्स पूरी ट्रेन का मालिक बन गया था. जानिए क्या है रेलवे की ट्रेन का मालिक बनने का पूरा किस्सा...

ट्रेन का बन गया मालिक  

जिस शख्स की बात हम कर रहे हैं, उनका नाम संपूर्ण सिंह  है . पंजाब के लुधियाना के कटाणा गांव के रहने वाला एक मामूली किसान एक पूरी ट्रेन के मालिक बन गया. हालांकि ये मालिकाना हक कुछ घंटों के लिए ही रहा. दिल्ली से अमृतसर जाने वाली ट्रेन, स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस (Delhi-Amritsar Swarna Shatabdi Express) कुछ घंटों के लिए एक किसान की हो गई थी. दरअसल लुधियाना-चंडीगढ़ रेल लाइन के बनने के लिए साल 2007 में रेलवे की ओर से किसानों की जमीन खरीदी गई. संपूर्ण सिंह की जमीन भी रेलवे लाइन के बीच आ गई थी. रेलवे ने 25 लाख रुपये प्रति एकड़ में उनकी जमीन का अधिग्रहिण किया था. 

कैसे हुई गलती 
यहां तक तो सब ठीक था, लेकिन कुछ दिन बात मामला तब फंसा जब संपूर्ण सिंह को पता चला कि रेलवे ने उतनी ही बड़ी जमीन नजदीक के गांव में 71 लाख रुपये प्रति एकड़ में अधिग्रहित की है. संपर्ण सिंह ने रेलवे के इस दोहरे मापदंड के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रेलवे को मुआवजे की रकम 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख करने का आदेश दिया, बाद में उसे बढ़ाकर 1.47 करोड़ रुपये कर दी गई. 

रेलवे से हुई गलती  

कोर्ट ने नार्थ रेलवे को आदेश दिया कि वो साल 2015 तक संपूर्ण सिंह को ये भुगतान करें. मगर रेलवे ने सिर्फ 42 लाख रुपये दिये थे, जबकि 1.05 करोड़ रुपये चुकाने में विफल रहा.  कोर्ट के आदेश के बाद भी रेलवे मुआवजे की रकम चुकाने में विफल रहा, जिसके बाद साल 2017 में जिला और सत्र न्यायाधीश जसपाल वर्मा ने लुधियाना स्टेशन पर ट्रेन को कुर्क करने का आदेश दे दिया. इसके साथ ही स्टेशन मास्टर के ऑफिस को भी कुर्क करने का आदेश दिया.  कोर्ट के आदेश के बाद किसान संपूर्ण सिंह स्टेशन पहुंचे और उस वक्त वहां मौजूद ट्रेन अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस को कुर्क कर लिया और उस ट्रेन के मालिक बन गए.  हालांकि कि कुछ ही मिनटों में सेक्शन इंजीनियर ने कोर्ट के अधिकारी के ज़रिये ट्रेन को मुक्त करा लिया. रिपोर्ट्स की माने तो ये मामला आज तक कोर्ट में विचाराधीन है.  

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