खामनेई- ट्रंप सब मिले हुए हैं! ईरान ने मिलिट्री बेस पर हमले से पहले कतर-अमेरिका को सूचना क्यों दी? सच्चाई जान आपका दिमाग चकरा जाएगा
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खामनेई- ट्रंप सब मिले हुए हैं! ईरान ने मिलिट्री बेस पर हमले से पहले कतर-अमेरिका को सूचना क्यों दी? सच्चाई जान आपका दिमाग चकरा जाएगा

Iran Attack military base On Qatar: इजरायल और ईरान जंग के बीच जब ईरान ने कतर में अमेरिकी एयरबेस अल उदीद पर मिसाइलें दागी तो पूरी दुनिया में यह बात उठने लगी कि ईरान इस बार अमेरिका से भी टक्कर लेने का मन बना चुका है, तभी सूचना आई कि ईरान ने अमेरिकी एयरबेस पर हमला करने से पहले ही अमेरिका को बता दिया था. अब सवाल यह है कि ईरान ने पहले बताकर क्यों हमला किया. जानें जवाब.

 

फोटो साभार- (Grok)
फोटो साभार- (Grok)

Isreal iran Attack: सोमवार (23 जून) को ईरान ने कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे अल-उदेद पर मिसाइल हमला कर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया. ईरान ने यह हमला अमेरिका द्वारा ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान में परमाणु ठिकानों पर हमले के जवाब में किया. लेकिन तभी दुनियाभर में यह सूचना मिली कि ईरान ने इस हमले की पहले से सूचना कतर और अमेरिका को दे दी थी. फिर सभी के मन में सवाल उठा फिर ये कौन सा हमला था. आइए समझते हैं कि आखिर क्या कोई ईरान की मजबूरी रही? या किसी से खौफ में हो गए खामनेई, आखिर क्यों दी पहले हमले की सूचना.

हमला करने से पहले ईरान ने दी थी सूचना
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान का कतर में अमेरिकी एयरबेस पर हमला सिर्फ प्रतीकात्मक था. जान-माल का नुकसान कम से कम हो. इसलिए पहले ही सूचना दी गई थी. नतीजतन, ईरान की ज्यादातर मिसाइलें नष्ट कर दी गईं और कोई हताहत नहीं हुआ. ईरान ने अमेरिकी हमलों के बाद जवाबी कार्रवाई का वादा पूरा करने के लिए यह हमला किया था. इसकी पुष्टि खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की, जिन्होंने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया कि ईरान की प्रतिक्रिया 'कमज़ोर और अपेक्षित' थी, और 'उम्मीद है कि आगे कोई नफ़रत नहीं होगी'

सूचना देने के लिए शुकिया ईरान
ट्रंप ने इसके साथ ही कहा कि मैं ईरान का शुक्रिया अदा करता हूं कि उसने पहले सूचना दी, जिससे कोई जान नहीं गई और न ही कोई घायल हुआ. शायद अब ईरान क्षेत्र में शांति और सौहार्द की दिशा में बढ़ सकता है, और मैं इजरायल को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करूंगा. कुछ ही घंटों बाद ट्रंप ने एक और पोस्ट में ऐलान किया था कि ईरान और इजरायल ने 'पूर्ण और स्थायी युद्धविराम' पर सहमति जताई है, जो अगले छह घंटों में लागू होगा. लेकिन ट्रंप का यह भी दावा अभी तक झूठ ही निकला है. समाचार लिखे जाने तक ईरान और इजरायल में भयंकर जंग चल रही है.

ईरान ने पहले सूचना क्यों दी?
ईरान का यह हमला सांकेतिक था. अमेरिका ने 22 जून को ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए थे और पहले ही बता दिया था कि यह एक बार का हमला है. इसके बाद ईरान पर दबाव था कि वह जवाब दे, ताकि उसकी धमक बनी रहे. लेकिन वह बड़ा युद्ध नहीं चाहता था, क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था पहले ही कमजोर है. इसलिए, ईरान ने कतर में अल-उदेद बेस को निशाना बनाया, जहां अमेरिकी सेंट्रल कमांड का मुख्यालय है. कतर में ही क्यों हमला किया इसके पीछे एक तर्क यह है कि ईरान और कतर के बीच अच्छे रिश्ते हैं. कतर ने इस क्षेत्र में तटस्थ मध्यस्थ की भूमिका निभाई है, जैसे कि इजरायल और हमास के बीच बातचीत में.

ईरान ने कतर को दी पहले सूचना फिर हटाए गए विमान
ईरान ने हमले से पहले कतर को सूचना दी, जिसके बाद कतर ने अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया. अमेरिका ने भी पिछले एक हफ्ते में अल-उदेद से अपने ज्यादातर विमान हटा लिए थे. 19 जून तक वहां केवल पांच अमेरिकी विमान बचे थे. इससे साफ है कि ईरान का मकसद बड़ा नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि अपनी ताकत दिखाना था.

इजरायल-ईरान जंग में ईरान को भयंकर नुकसान
पिछले 12 दिनों से ईरान और इजरायल के बीच जमकर जंग चल रही है. इजरायल ने ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के मुख्यालय समेत कई ठिकानों पर हमले किए. जिसमें कई वैज्ञानिक, सैनिक, कमांडर मारे जा चुके हैं. इन हमलों में ईरान की रक्षा प्रणाली, सैन्य और परमाणु ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाया. जवाब में ईरान ने पहली बार अपने देश की बड़ी मिसाइलें इजरायल पर दागी है, जिससे नेतन्याहू के देश में भी भयंकर नुकसान हुआ है. दोनों देश खासकर अब ईरान जंग नहीं चाहता है. 

ईरान नहीं चाहता जंग
तभी तो ईरान ने धमकी दी थी कि वह होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है, लेकिन ऐसा नहीं किया. यह जलमार्ग दुनिया भर में ईरानी ऊर्जा जरूरतों के लिए अहम है. इसके अलावा, ईरान ने अपने सहयोगी समूहों, जैसे यमन के हूती या लेबनान के हिजबुल्लाह को इस हमले में शामिल नहीं किया. इससे साफ है कि ईरान ने सोच-समझकर सीमित जवाब दिया ताकि तनाव और न बढ़े.

अमेरिका का मिशन पूरा?
जिस तरह ट्रंप सीजफायर की बात कर रहे हैं उससे लग रहा है कि अमेरिका मध्य पूर्व में लंबा युद्ध नहीं चाहता. सवाल यह है कि क्या इजरायल ने अपने सारे टॉरेगेट पूरे कर लिए जैसे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह खत्म कर दिया. या ईरान अमेरिका की सभी शर्त मान गया. यह तो समय बताएगा लेकिन अभी दोनों देशों के बीच सीजफायर की संभावना होती दिख रही है.

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