Bihar Chunav 2025: क्या होगा जब महागठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर देगा?
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Bihar Chunav 2025: क्या होगा जब महागठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर देगा?

Bihar Chunav 2025: तेजस्वी यादव ने शायद यह नहीं सोचा हो कि महागठबंधन के बगैर हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी, बसपा जैसे दलों को बिहार में पैठ बनाने का मौका मिल जाएगा. सरकार से जो वर्ग नाखुश होगा, वो महागठबंधन की अनुपस्थिति में इन दलों को वोट कर सकता है. इससे महागठबंधन का आधार कमजोर हो जाएगा.

Bihar Chunav 2025: क्या होगा जब महागठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर देगा?
Bihar Chunav 2025: क्या होगा जब महागठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर देगा?

Bihar Chunav 2025: राजद नेता और महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादवे ने एक इंटरव्यू में बिहार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने के संकेत दिए हैं. महागठबंधन के घटक दलों ने तेजस्वी यादव की इस बात का समर्थन भी किया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई महागठबंधन चुनाव का बहिष्कार कर सकता है? तेजस्वी यादव ने कहा था, हम सभी पार्टियों के लोगों से बात करेंगे. चुनाव का क्या मतलब होगा, जब लोकतंत्र में लोग वोट ही नहीं देंगे. हम इस पर गंभीरता से विचार कर सकते हैं और चुनाव बहिष्कार पर बात कर सकते हैं. एक बड़ा सवाल यह भी है कि अगर महागठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर दिया तो क्या कोई संवैधानिक संकट उत्पन्न होगा? इससे पहले जान लेते हैं कि तेजस्वी यादव के चुनाव बहिष्कार के संकेत पर भाजपा ने क्या कहा है?

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चुनाव बहिष्कार के संकेत पर भाजपा का रिएक्शन

एक्स पर बीजेपी के हैंडल से किए गए पोस्ट में कहा गया है कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को एसआईआर के मुद्दे पर भारी समर्थन की उम्मीद थी, लेकिन वोटर इनसे नहीं जुड़े और वोटर पुनरीक्षण में हिस्सा लिया. इससे साफ हो गया कि बिहार के मतदाताओं ने तेजस्वी के एसआईआर के विरोध को खारिज कर दिया. अब तक 98% से ज्यादा मतदाता एसआईआर का हिस्सा बन चुके हैं. अब तेजस्वी यादव को अनुमान हो गया है कि बिहार उनको गंभीरता से नहीं लेता. इसलिए हार सामने देख अब वे चुनाव बहिष्कार की बात करने लगे हैं. 

बीजेपी की ओर से यह कहा गया है कि तेजस्वी का यह इरादा और भी ख़तरनाक है. यह सीधा जनमत पर हमला है. चुनाव बायकॉट की बात लोकतंत्र में कोई भी दल नहीं करता है. किसी जमाने में बायकॉट का नारा नक्सली और माओवादी लगाया करते थे, लेकिन अब तेजस्वी उस लाइन पर चलने की मंशा जाहिर कर चुके हैं. हार की हताशा में जनता के प्रति खिसियाहट और जनमत पर आघात नहीं सहेगा बिहार.

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जितने दल लड़ेंगे, उन्हीं के बीच होगा मतदान

अब आइए जानते हैं कि चुनाव बहिष्कार करने से क्या फर्क पड़ सकता है. दरअसल, चुनाव आयोग का काम स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है. चुनाव में जो दल हिस्सा लेंगे, मतगणना उसी आधार पर कराई जाएगी. अगर कोई दल चुनाव में हिस्सा नहीं लेता है तो फिर कोई संवैधानिक संकट खड़ा नहीं होने वाला. ऐसी स्थिति में जो प्रत्याशी होंगे, उन्हीं के बीच चुनाव कराए जाएंगे. अगर सामने कोई प्रत्याशी नहीं होगा तो जो भी उम्मीदवार मैदान में होगा, वो निर्विरोध जीत जाएगा.

2024 के लोकसभा चुनाव में भी उठी थी ये बात

ऐसा नहीं है कि देश में पहली बार चुनाव ​बहिष्कार की बातें की जा रही हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में भी कुछ दलों के नेताओं की ओर से इस तरह की बातें कही गई थीं. हालांकि आधिकारिक तौर पर ऐसा किसी दल की ओर से नहीं कहा गया था. 

1989 में कांग्रेस ने जीत ली थी मिजोरम की सभी 40 सीटें

एक वाकया 1989 में मिजोरम में हुआ था, जब वहां के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार के विरोध में मुख्य विपक्षी दल मिजो नेशनल फ्रंट ने चुनाव बहिष्कार कर दिया था. इसका परिणाम यह हुआ कि सभी 40 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल कर ली थी और उस विधानसभा में विपक्ष का कोई नेता जीतकर नहीं आया था. उस चुनाव को कैंसिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रिजेक्ट कर दिया था.

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तेजस्वी ने बोल तो दिया है पर करना इतना आसान नहीं

तेजस्वी यादव ने चुनाव बहिष्कार के संकेत तो दे दिए हैं पर क्या वाकई महागठबंधन ऐसा कुछ करने वाला है या कर सकता है? इसकी उम्मीद कम है. वैसे भी विपक्ष आरोप लगाता है कि मोदी सरकार में विपक्ष की कोई सुनवाई नहीं हो रही है तो फिर चुनाव न लड़ने से कौन सी सुनवाई हो पाएगी. दूसरी बात यह कि ऐसा करने से बिहार में आम आदमी पार्टी और बसपा जैसे दल जो महागठबंधन में नहीं हैं, को पैर पसारने का मौका मिल सकता है और यह महागठबंधन के लिए हानिकारक हो सकता है.

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