Bihar Flood: बिहार में बाढ़ के दौरान जो पलायन की तस्वीर होती है वह काफी भयावह होती है. बाढ़ पीड़ित अपने घरों को छोड़कर छोटे छोटे बच्चों के साथ ऊंचे स्थानों पर शरण लेने पहुँचते हैं. जंगल झाड़ियों में अपना तंबू बनाते हैं. बंजारों की तरह रहने को विवश होते हैं. इन दिनों भागलपुर में ऐसी ही तस्वीर देखने को मिल रही है जहाँ दर्जनों पीड़ितों ने ऊंचे स्थानों पर डेरा डाला लेकिन अफसोस की कोई इंतजाम इन पीड़ितों के लिए मुहैया नहीं कराया गया. यह तस्वीर भागलपुर में रविन्द्र भवन की है जहाँ नाथनगर के दियारा इलाके के पीड़ितों ने शरण लिया है. छोटे बच्चे भूख से बिलखते नजर आये. छोटे से टेंट में क़ई दिनों तक ऐसे ही ज़िन्दगी कटेगी. भले ही सरकार बार-बार कहती हो कि बिहार के खजाने पर पहला हक बाढ़ पीड़ितों का है, लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है. गंगा में जलस्तर बढ़ने के बाद जो पीड़ित ऊंचे स्थान पर पहुंचे हैं. उनके लिए अभी तक कोई भी व्यवस्था नहीं कराई गई है. बाढ़ पीड़ित सत्तू या चुरा खाकर गुजारा कर रहे हैं. बाढ़ पीड़ितों की तस्वीर और कहानी काफी दर्दनाक है.