DNA: अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर प्लेन कंपनी को बचाने के लिए BBC ने घुमा दिए सारे Facts? यहां जानिए पूरा सच, कैसे किया 'खेला'
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DNA: अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर प्लेन कंपनी को बचाने के लिए BBC ने घुमा दिए सारे Facts? यहां जानिए पूरा सच, कैसे किया 'खेला'

DNA on Ahmedabad Plane Crash Update: खुद को अभिव्यक्ति और सच्चाई का अलंबरदार कहने वाली विदेशी मीडिया किस कदर अपने फायदे के लिए तथ्यों को घुमा देती है. यह आपको अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर बीबीसी की रिपोर्ट से समझ सकते हैं.

 

DNA: अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर प्लेन कंपनी को बचाने के लिए BBC ने घुमा दिए सारे Facts? यहां जानिए पूरा सच, कैसे किया 'खेला'

DNA on BBC Misleading Report on Ahmedabad Plane Crash: भारत में चांदी पर निवेश करके चांदी काटने का मौका मिल रहा है लेकिन दुनिया के कुछ डिजायनर इंटरनेशनल न्यूज चैनल दुनिया की सबसे बड़ी प्लेन निर्माता कंपनियों को क्लीन चिट देने का माहौल तैयार कर रहे हैं ताकि ये विमान कंपनियां चांदी काटती रहें. उनकी प्रतिष्ठा पर कोई आंच ना आए. वो दुनिया के बड़े विमान हादसों के बाद जवाबदेही से बच सकें. आज आपको भी अहमदाबाद में हुए बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान हादसे की शुरूआती जांच रिपोर्ट और उस पर दुनिया में प्रतिष्ठित माने जाने वाले बीबीसी न्यूज के विश्लेषण के बारे में जानना चाहिए. किस तरह बड़ी कंपनी को क्लीन चिट देने के लिए इस रिपोर्ट के तथ्यों को तोड़ा मरोड़ा गया. जिससे अब बीबीसी की रिपोर्ट पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

बीबीसी की गुमराह करने वाली हेडलाइन

सबसे पहले आपको अहमदाबाद हादसे की जांच रिपोर्ट से जुड़ी खबर बताने वाली बीबीसी न्यूज की हेडलाइन को ध्यान से देखना चाहिए. इसमें लिखा है. Piolet cut off fuel to engines - no fault with plane यानि पायलट ने इंजन का ईंधन बंद कर दिया - विमान में कोई खराबी नहीं. इस हेडलाइन को अगर आप भी पढ़ेंगे तो सबसे पहले आपके दिमाग में आएगा कि दो भारतीय पायलटों ने विमान के फ्यूल स्विच ऑफ कर दिए. इसलिए 242 लोगों को लेकर उड़ रहा विमान हादसे का शिकार हो गया. जिसमें विमान में सवार 241 और कुल 260 लोगों की मौत हो गई यानी पूरी गलती भारतीय पायलटों की थी और बोइंग 787 ड्रीमलाइनर में कोई कमी नहीं थी. 

लेकिन जो बीबीसी की ये हेडलाइंस और एंकर बता रहे हैं. ये सच्चाई नहीं है...आज आपको जानना चाहिए..अहमदाबाद हादसे की ​शुरुआती जांच रिपोर्ट में क्या कहा गया है. भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो की इस रिपोर्ट में हादसे के एक एक सेकेंड की जानकारी दी गई है. हादसे के वक्त क्या क्या हुआ. विमान हादसे का शिकार क्यों हुआ. आप भी इन जानकारियों को बहुत ध्यान से पढ़िएगा.

जानिए प्लेन हादसे की असल रिपोर्ट

12 जून को हुए इस हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट एक महीने के बाद यानि 12 जुलाई को आई. 15 पन्ने की इस रिपोर्ट में बताया गया. दोनों इंजन बंद होने की वजह से विमान हादसे का शिकार हुआ. विमान के टेकऑफ के तुरंत बाद एक-एक करके दोनों फ्यूल स्विच बंद हो गए थे. विमान ने दोपहर 1 बजकर 38 मिनट और 42 सेकेंड पर 180 नॉट्स की एयरस्पीड हासिल की. ये हादसे के दिन विमान की अधिकतम दर्ज की गई रफ्तार थी. इसके फौरन बाद इंजन 1 और इंजन 2 के फ़्यूल कट-ऑफ़ स्विच एक-एक करके बंद हो गए.

इस दोनों फ़्यूल स्विच के बंद होने में एक सेकेंड का अंतर था. फ्यूल स्विच बंद होने की वजह से दोनों इंजन भी बंद हो गए क्योंकि इंजन में फ्यूल की सप्लाई बंद हो गई थी. इस रिपोर्ट में हादसे के दौरान कॉकपिट में पायलटों के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग का भी जिक्र है. जिसमें एक पायलट ने दूसरे पायलट से पूछा- तुमने कट-ऑफ़ क्यों किया. दूसरे पायलट ने जवाब दिया कि उसने ऐसा नहीं किया.

अपने आप चालू-बंद हो गए इंजन

10 सेकेंड बाद यानि 1 बजकर 38 मिनट और 56 सेकंड पर पहले इंजन का फ़्यूल कट-ऑफ़ स्विच फिर से चालू हो गया. इसके ठीक चार सेकेंड बाद दूसरे इंजन का फ़्यूल कट-ऑफ़ स्विच भी ऑन हो गया. इसका मतलब ये है कि पायलटों ने विमान को संभालने की कोशिश की होगी. लेकिन नौ सेकेंड बाद यानी 1 बजकर 39 मिनट और 5 सेकंड पर प्लेन के एक पायलट ने ज़मीन पर मौजूद एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल अधिकारियों को मेडे मेडे मेडे का संदेश भेजा . जो क्रैश जैसे खतरे से पहले भेजा जाता है.

ट्रैफ़िक कंट्रोल ने उनसे इस कॉल के बारे में पूछा तो उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. थोड़ी ही देर में ट्रैफ़िक कंट्रोल ने विमान को क्रैश होते देखा. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि जब इंजनों ने काम करना बंद किया, तो रैम एयर टर्बाइन जो एक छोटी प्रोपेलर जैसी डिवाइस होती है. अपने आप एक्टिव हो गई ताकि इमरजेंसी में विमान को हाइड्रॉलिक पावर मिल सके.

प्लेन से नहीं टकराया कोई पक्षी

रिपोर्ट के मुताबिक उड़ान के रास्ते के आसपास किसी बड़ी बर्ड एक्टिविटी की जानकारी नहीं मिली यानि प्लेन से कोई पक्षी नहीं टकराया. .जैसा कि आपने वीडियो में देखा कि एयरपोर्ट के रनवे की बाउंड्री पार करने से पहले ही विमान ने ऊंचाई खोनी शुरू कर दी थी. इसी वजह से दोबारा फ़्यूल कट-ऑफ़ स्विच ऑन होने के बावजूद प्लेन हादसे का शिकार हो गया. ये हादसे की शुरूआती रिपोर्ट है, इस रिपोर्ट में ये नहीं बताया गया कि फ्यूल स्विच कैसे बंद हुए, लेकिन बीबीसी की एंकर और हेडलाइंस ने भारतीय पायलटों को दोषी बताकर विमान कंपनी को क्लीन चिट दे दी. आज आपको भी इस रिपोर्ट की असलियत और बीबीसी के फैलाए गए भ्रम के बारे में जानना चाहिए.  

बीबीसी की हेडलाइंस में बताया गया पायलट ने इंजन का फ्यूल स्विच बंद किया. लेकिन रिपोर्ट में बताया गया एक पायलट ने सिर्फ दूसरे पायलट से पूछा क्या तुमने फ्यूल स्विच बंद किया. जिसके जवाब में उसने कहा उसने ऐसा नहीं किया..यानि पायलटों ने फ्यूल स्विच नहीं बंद किए थे.

मैंने फ्यूल स्विच नहीं किया- पायलट

बीबीसी की हेडलाइंस में कहा गया विमान में कोई खराबी नही. जबकि प्रारंभिक रिपोर्ट में विमान को क्लीन चिट नहीं दी गई. अभी भी ये पता किया जा रहा है कि ये फ्यूल​ स्विच एक साथ कैसे बंद हुए. इसकी असली वजह क्या है?

हेडलाइंस के अलावा इस रिपोर्ट की शुरूआत में एंकर ने कहा एक पायलट ने दूसरे पायलट से पूछा तुमने फ्यूल स्विच क्यों बंद कर दिया. लेकिन इस एंकर ने ये नहीं बताया कि दूसरे पायलट ने फौरन जवाब दिया था उसने ऐसा नहीं किया.

बीबीसी ने घुमा दिए रिपोर्ट के तथ्य

बीबीसी की एंकर ने आगे कहा कि अब ये जांच पायलट्स के एक्शन पर फोकस हो गई है यानी बीबीसी की एंकर ने दुनिया को समझाने की कोशिश की है कि जांच का दायरा अब​ विमान की खामियों से हटकर पायलट की गलती पर फोकस हो गया है. ये भी भ्रम फैलाने की साजिश थी क्योंकि अमेरिका में हवाई सुरक्षा के मानकों को तय करने वाले Federal Aviation Administration ने खुद 2018 में बोइंग 787 विमान में फ्यूल कंट्रोल स्विच लॉकिंग में खराबी को लेकर चेतावनी दी थी.

यानी बीबीसी की इस रिपोर्ट में एंकर की कमेंट्री और हेडलाइन, भारतीय पायलट्स के साथ एक बेइमानी है और अब बीबीसी से सवाल पूछे जा रहे हैं. क्या ये बेईमानी जानबूझकर विमान कंपनी को बचाने की एक कोशिश है. बोइंग के पक्ष में भ्रम फैलाने की साजिश है. आज हमने बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के वर्चुअल मॉडल से फ्यूल स्विच की स्थिति और उसके बंद होने की वजह जानने की कोशिश की. 

बहुत अनुभवी थे दोनों पायलट्स

ये फ्यूल स्विच बंद होना बहुत असमान्य घटना थी, जो किसी बड़ी तकनीकी खराबी की तरफ इशारा करती है. आज आपको प्लेन क्रैश रिपोर्ट के कुछ और हिस्सों के बारे में जानना चाहिए. जिसमें विमान के पायलटों की फिटनेस और अनुभव की जानकारी दी गई है.

एयर इंडिया की फ़्लाइट में सवार होने से पहले पायलटों और क्रू का टेस्ट किया गया था ताकि यह तय किया जा सके कि वो इस विमान को उड़ाने के लिए फिट हैं. ऐसा हर उड़ान के पहले होता है. इस रिपोर्ट के मुताबिक दोनों पायलट मुंबई के थे और उड़ान से एक दिन पहले अहमदाबाद पहुंचे थे. यानि उनको भरपूर आराम मिला था. 

सभी पायलटों और क्रू मेंबर्स का 12 जून को दोपहर 12 बजे ब्रीथ एनालाइज़र टेस्ट भी किया गया. ये टेस्ट इसलिए किया जाता है..ताकि पता लगाया जा सके कि पायलट या क्रू ने अल्कोहल का सेवन तो नहीं किया है और क्या वो शारीरिक और मानसिक रूप से फ्लाई के लिए फिट हैं. इस टेस्ट में भी दोनों पायलट बिल्कुल फिट साबित हुए थे.

इस फ्लाइट को उड़ा रहे दोनों पायलट बेहद अनुभवी थे. कैप्टन सुमित सभरवाल के पास 15 हजार 638 घंटे का उड़ान अनुभव था. जबकि को पायलट क्लाइव कुंदर के पास 3 हजार 403 घंटे तक विमान उड़ाने का अनुभव था . यानि ये दोनों पायलट इतने अनुभवी थे कि वो फ्यूल स्विच ऑफ करने की भूल बिल्कुल नहीं कर सकते. 

विदेशी मीडिया की पत्रकारिता से रहें सावधान

लेकिन विदेशी चैनलों के डिजायनर पत्रकार अलग एजेंडा चला रहे हैं, जिसे हम आज आपके सामने लेकर आए. हालांकि भारत में सवाल खड़े हुए तो बीबीसी ने अपनी हेडलाइन, जिसे एडिट किया जा सकता है. उसे बदल दिया है. लेकिन एंकर की कही बात नहीं बदल पाया. आज हम एक बार फिर आपको आगाह करते हैं कि बड़े नामों वाले ऐसे विदेशी चैनलों और इनके डिजायनर पत्रकारों के भारत विरोधी एजेंडे में ना फंसे और इनकी रिपोर्ट अगर संदिग्ध लगे तो आंख मूंदकर भरोसा करने के बजाय सच को जानने की कोशिश करें और सच पता लगने के बाद दूसरों को भी बताएं.

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देविंदर कुमार

अमर उजाला, नवभारत टाइम्स और जी न्यूज चैनल में काम कर चुके हैं. अब जी न्यूज नेशनल हिंदी वेबसाइट में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं. राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और जियो पॉलिटिकल मामलों पर गहरी पकड़ हैं. धर...और पढ़ें

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