Raghuji Bhosale: 1817 की लड़ाई के बाद खोई थी तलवार, 200 साल बाद नीलामी में महाराष्‍ट्र को मिलेगी
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Raghuji Bhosale: 1817 की लड़ाई के बाद खोई थी तलवार, 200 साल बाद नीलामी में महाराष्‍ट्र को मिलेगी

Raghuji Bhosale: महाराष्ट्र सरकार ने 1817 की सीताबर्डी की लड़ाई में खोई रघुजी भोसले की ‘फिरंगी’ तलवार 200 साल बाद लंदन की नीलामी से वापस हासिल की. यूरोपीय स्टील से बनी यह ऐतिहासिक तलवार सुनहरी जड़ाई और खुदे नाम से सजी है. रघुजी भोसले मराठा साम्राज्य के वीर सेनापति व नागपुर भोसले वंश के संस्थापक थे.

 

Raghuji Bhosale: 1817 की लड़ाई के बाद खोई थी तलवार, 200 साल बाद नीलामी में महाराष्‍ट्र को मिलेगी

Raghuji Bhosale: महाराष्ट्र सरकार ने मराठा साम्राज्य के वीर सेनापति और नागपुर भोसले वंश के संस्थापक रघुजी भोसले की ऐतिहासिक तलवार 200 साल बाद वापस हासिल कर ली है. यह तलवार 1817 की सीताबर्डी की लड़ाई के बाद गायब हो गई थी और हाल ही में लंदन की एक नीलामी में सामने आई. सोमवार को सांस्कृतिक कार्य मंत्री आशीष शेलार ने लंदन में सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर इस धरोहर को अपने कब्जे में लिया. उन्होंने घोषणा की कि तलवार 18 अगस्त को मुंबई लाई जाएगी और विशेष कार्यक्रम में प्रदर्शित की जाएगी.

नीलामी से जीत तक का सफर

28 अप्रैल को जब तलवार की नीलामी की खबर आई, तो पूरे महाराष्ट्र में इसे वापस लाने की मांग तेज हो गई. मंत्री शेलार ने तत्काल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से चर्चा की और भारतीय दूतावास के सहयोग से एक विशेष योजना बनाई गई. राज्य की ओर से एक प्रतिनिधि ने नीलामी में हिस्सा लिया और सफलतापूर्वक तलवार का दावा जीत लिया. यह पहली बार है जब महाराष्ट्र ने विदेश से नीलामी के जरिए कोई ऐतिहासिक वस्तु खरीदी है.

तलवार की खासियत और इतिहास

यह ‘फिरंगी’ तलवार यूरोपीय स्टील से बनी सीधी धार वाली है, जिसमें सुनहरी जड़ाई का मुल्हेरी हत्था और देवनागरी में रघुजी भोसले का नाम खुदा हुआ है. 18वीं सदी की हथियार कला का अद्भुत उदाहरण मानी जाने वाली यह तलवार, इतिहासकारों के अनुसार, 1817 की सीताबर्डी की लड़ाई के बाद ब्रिटिश सेना के पास चली गई थी, संभवतः युद्ध लूट या उपहार के रूप में.

रघुजी भोसले की वीरगाथा

रघुजी भोसले (1695–1755) छत्रपति शाहू महाराज के अधीन प्रमुख सेनापति थे, जिन्हें उनकी वीरता के लिए ‘सेनासाहेब सुभा’ की उपाधि दी गई. उन्होंने 1745 और 1755 में बंगाल के नवाब अलीवर्दी खान के खिलाफ सफल अभियान चलाए और बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, चांदा और संभलपुर तक मराठा साम्राज्य का विस्तार किया. नागपुर को राजधानी बनाकर उन्होंने इसे मराठा शक्ति का अहम केंद्र बनाया और शासन, व्यापार व प्रशासन को मजबूत किया. उनकी मृत्यु के बाद, उनकी विरासत को उनके उत्तराधिकारियों ने आगे बढ़ाया.

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शिवम तिवारी

वायरल न्यूज़ का फैक्ट चेक कर पाठकों तक सही जानकारी पहुंचाते हैं. अजब-गजब से लेकर हेल्थ, लाइफस्टाइल की दुनिया में गहरी दिलचस्पी. ABP न्यूज से यात्रा शुरू की. एक साल से पत्रकारिता में सक्रिय....और पढ़ें

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