Malegaon Blast Cast: मालेगांव बम ब्लास्ट केस में 17 साल बाद एनआईए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सबूतों के अभाव में सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया. अब इस मामले में प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है.
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Hindu Terrorism Debate: मालेगांव बम ब्लास्ट केस में करीब 17 साल बाद एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया गया है. इसमें बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा और अन्य आरोपी एनआईए कोर्ट से बरी हो गए हैं. कोर्ट का मानना है कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि बम मोटरसाइकिल में था. अब इस मामले में प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है. इसी कड़ी में फिर से हिंदू आतंकवाद पर डिबेट शुरू हो गई. लेकिन इन सबके बीच कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने विवादित बयान दे दिया है. उन्होंने कहा कि हिंदू आतंकवादी हो सकता है.
'हिंदू आतंकवादी हो सकता है'
असल में इस फैसले के बाद संसद भवन परिसर के बाहर भी इस पर प्रक्रियाएं आई हैं. कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी से एक निजी टीवी चैनल ने जब पूछा तो उन्होंने साफ कहा कि हां हिंदू आतंकवादी हो सकता है. उन्होंने कांग्रेस की ओर से हिंदू आतंकवाद जैसी टर्म दिए जाने पर माफी मांगने की बात से भी मना कर दिया है. कांग्रेस सांसद ने कहा कि जब हम मुस्लिम आतंकवादी कहते हैं तो हिंदू आतंकवाद कहने की मजबूरी हो जाती है.
फडणवीस बोले- आतंकवाद भगवा न कभी था..ना है..ना कभी रहेगा
उधर प्रतिक्रियाओं के दौर में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मालेगांव ब्लास्ट केस में NIA कोर्ट द्वारा सात आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने लिखा कि आतंकवाद भगवा न कभी था, न है, न कभी रहेगा. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर उन्होंने यह बात लिखी है.
आतंकवाद भगवा न कभी था, ना है, ना कभी रहेगा!#MalegaonVerdict
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) July 31, 2025
17 साल का लंबा इंतजार
बता दें कि गुरुवार को मालेगांव बम ब्लास्ट केस में 17 साल बाद एनआईए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सबूतों के अभाव में सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने माना कि एटीएस और एनआईए की चार्जशीट में विरोधाभास था और अभियोजन यह साबित नहीं कर सका कि बम मोटरसाइकिल में था या उसे किसने लगाया. प्रसाद पुरोहित पर बम बनाने या सप्लाई करने के भी कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले. जांच में लापरवाही सामने आई, जैसे कि घटनास्थल से फिंगरप्रिंट न लेना और पंचनामा सही से न होना. अदालत ने 19 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा था, जिसमें साध्वी प्रज्ञा, ले. कर्नल पुरोहित समेत सात लोगों पर यूएपीए और आईपीसी की धाराओं में केस चला था.
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