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दवा से भी काबू नहीं बीपी, रेजिस्टेंस हाइपरटेंशन है वजह, पर इन 7 बातों में उलझ कर लाखों मरीज नहीं जाते डॉ. के पास

What Is Resistance Hypertension: यदि आपको हाई बीपी की शिकायत है और ये दवा लेने के बावजूद काबू में नहीं आ रहा तो इसके बारे में अपने डॉक्टर जरूर बात करें, यह खतरनाक मेडिकल कंडीशन रेजिस्टेंस हाइपरटेंशन का संकेत हो सकता है. यदि आप इन 7 बातों को सच मानकर डॉक्टर की फीस बचाने की कोशिश कर रहे हैं तो यह आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है. 

 

क्या है रेजिस्टेंस हाइपरटेंशन

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क्या है रेजिस्टेंस हाइपरटेंशन

डॉ. बीसी कलमथ, डायरेक्टर और एचओडी कार्डियक साइंस, केआईएमएस अस्पताल, ठाणे ने एनडीटीवी को बताया कि जब किसी मरीज का बीपी मूत्रवर्धक सहित कम से कम तीन एंटी-हाइपरटेंसिव दवाओं की खुराक के बावजूद कंट्रोल नहीं होता है तो उसे रेजिस्टेंस हाइपरटेंशन कहते हैं. यह हाई बीपी का एक गंभीर रूप है, जिसका इलाज करना कठिन है. ये परेशानी बीपी के उन मरीजों में होती जो अपनी उपचार योजनाओं का पालन करते हैं, टाइम पर दवाओं का सेवन करते हैं, कम सोडियम आहार का पालन करते हैं और शारीरिक रूप से सक्रिय रहते हैं. 

हाई बीपी रेंज

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हाई बीपी रेंज

एनआईएच की रिपोर्ट के अनुसार, आपका रक्तचाप दिन भर आपकी गतिविधियों के आधार पर बदलता रहता है. एक स्वस्थ सिस्टोलिक रक्तचाप 120 mm Hg से कम होता है. एक स्वस्थ डायस्टोलिक रक्तचाप 80 mm Hg से कम होता है. आपका बीपी तब हाई होता है जब आपकी सिस्टोलिक रीडिंग लगातार 130 mm Hg या उससे अधिक, या डायस्टोलिक रीडिंग 80 mm Hg या उससे अधिक हो. नोट - सिस्टोलिक दबाव, यह रक्त प्रवाह का वह बल है जब खून हार्ट से बाहर पंप किया जाता है. डायस्टोलिक दबाव, यह हार्ट की धड़कनों के बीच मापा जाता है जब हार्ट खून से भर रहा होता है.

मिथक- दवा टाइम पर नहीं लेने से नहीं कंट्रोल हो रहा बीपी

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मिथक- दवा टाइम पर नहीं लेने से नहीं कंट्रोल हो रहा बीपी

सच- इसमें कोई दोराय नहीं कि बीपी की दवा को बिना मिस किए समय पर लेना जरूरी है. लेकिन रेजिस्टेंस हाई बीपी होने पर दवा को सभी नियम के साथ लेने के बावजूद ब्लड प्रेशर में बहुत कम या कोई सुधार नहीं दिखता. इसलिए ये मान लेना गलत है कि दवा सही टाइम पर नहीं लेने पर से ही बीपी कंट्रोल नहीं हो पा रहा है. 

मिथक- हाई बीपी डाइट और एक्सरसाइज नहीं करने का नतीजा

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मिथक- हाई बीपी डाइट और एक्सरसाइज नहीं करने का नतीजा

सच- जीवनशैली ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाती है, लेकिन रेजिस्टेंस हाई बीपी होने पर हेल्दी लाइफस्टाइल होने पर भी हाइपरटेंशन पर कोई असर नहीं होता है. यह स्लीप एपनिया, गुर्दे की बीमारी, या प्राथमिक एल्डोस्टेरोनिज़्म जैसे हार्मोनल असंतुलन जैसी अंदरूनी कंडीशन से जुड़ा हो सकता है. 

मिथक- रेजिस्टेंस हाइपरटेंशन सिर्फ बुढ़ापे में होता है

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मिथक-  रेजिस्टेंस हाइपरटेंशन सिर्फ बुढ़ापे में होता है

सच-  हालांकि बढ़ती उम्र इसके जोखिम को काफी ज्यादा बढ़ा देता है, लेकिन यह समस्या युवाओं में भी हो सकता है. खासकर उन लोगों में जिनकी फैमिली में इसकी हिस्ट्री है.

 

मिथक- अधिक दवा लेना ही एकमात्र समाधान है

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मिथक- अधिक दवा लेना ही एकमात्र समाधान है

सच - कुछ मामलों में खुराक बढ़ाना या दवाइयां मिलाना पर्याप्त नहीं होता. उपचार के लिए दवा के मिश्रण का पुनर्मूल्यांकन, दूसरे कारणों का समाधान, या रीनल डिनर्वेशन जैसे विकल्पों पर विचार करना पड़ सकता है. 

मिथक- रेजिस्टेंस हाइपरटेंशन सबको नहीं होता, ये बहुत रेयर है

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मिथक-  रेजिस्टेंस हाइपरटेंशन सबको नहीं होता, ये बहुत रेयर है

सच- स्टडी से पता चलता है कि हाई बीपी से पीड़ित 10% तक लोगों में रजिस्टेंस हाई बीपी उच्च हो सकता है. लेकिन यह कोई दुर्लभ बीमारी नहीं है, इसलिए इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह स्ट्रोक, दिल के दौरे और गुर्दे की विफलता का एक प्रमुख जोखिम कारक है.

मिथक- लक्षणों से इसे पहचानना आसान है

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मिथक-  लक्षणों से इसे पहचानना आसान है

सच- हाई बीपी की तरह ही रेजिस्टेंस हाइपरटेंशन के कोई साफ लक्षण नहीं होते. इसलिए नियमित निगरानी जरूरी है, खासकर अगर आप पहले से ही दवा ले रहे हैं और कोई सुधार नहीं दिख रहा है.

मिथक- थोड़े आराम से इसे कंट्रोल किया जा सकता है

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मिथक- थोड़े आराम से इसे कंट्रोल किया जा सकता है

सच- तनाव बीपी को प्रभावित कर सकता है, लेकिन रेजिस्टेंस हाइपरटेंशन केवल चिंता या अत्यधिक काम करने से नहीं होता. यह एक ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसे आमतौर पर कंट्रोल रखना पड़ता है और ट्रीटमेंट के साथ समय समय पर डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है.  

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