एक नहीं... 2 जजों के खिलाफ महाभियोग? धनखड़ के इस्तीफे पर आ गई एक और 'कहानी'
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एक नहीं... 2 जजों के खिलाफ महाभियोग? धनखड़ के इस्तीफे पर आ गई एक और 'कहानी'

Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर नई कहानी सामने आई है. बताया जा रहा है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग को लेकर बढ़े मामले के कारण उन्होंने इस्तीफा दिया है. 

एक नहीं... 2 जजों के खिलाफ महाभियोग? धनखड़ के इस्तीफे पर आ गई एक और 'कहानी'

Jagdeep Dhankhar Resgins: देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. वहीं दूसरी तरफ इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस वर्मा को भी पद से हटाने की प्रक्रिया तेज हो चुकी है. उनके आवास से भारी मात्रा में कैश मिला था. जस्टिस वर्मा के इस्तीफा देने के लिए राजी नहीं है. ऐसे में उन्हें पद से हटाने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में प्रस्ताव दिए गए हैं. इस बीच सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि उनके जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया को राज्यसभा में शुरू करने के कदम से सरकार नाराज हुई और इसके चलते उन्होंने अचानक इस्तीफा दिया. 

महाभियोग को लेकर बढ़ा मामला 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धनखड़ ने कुछ विपक्षी नेताओं से जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग का नोटिस राज्यसभा में देने को कहा, हालांकि सरकार चाहती थी कि यह नोटिस सिर्फ लोकसभा में ही आए. कांग्रेस एक वरिष्ठ सांसद और वकील ने बताया कि रविवार 20 जुलाई 2025 को जल्दबाजी में एक महाभियोग नोटिस तैयारी किया. इसपर केवल 63 विपक्षी दलों के सांसदों ने हस्ताक्षर किया. NDA का इसपर हस्ताक्षर न करने का कारण था कि उन्हें इस नोटिस को लेकर कोई अंदाजा नहीं था. सोमवार को धनखड़ ने पहली कार्य मंत्रणा समिति की बैठक के बाद सदन में घोषणा की,'  मुझे आपको सूचित करना है कि मुझे अनुच्छेद 217(1)(बी) के साथ अनुच्छेद 218 और अनुच्छेद 124 के तहत जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए एक वैधानिक समिति गठित करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है. यह प्रस्ताव मुझे आज प्राप्त हुआ है. इस पर राज्य सभा के 50 से अधिक सदस्यों के हस्ताक्षर हैं.'   

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धनखड़ से नाराज हुई भाजपा? 
ऐसे में जस्टिस वर्मा को पद से हटाने के लिए सरकार की क्रेडिट लेने की साजिश विफल हो गई. इसको लेकर लोकसभा के एक अधिकारी ने कहा,' सरकार महाभियोग प्रस्ताव को पहले लोकसभा में पारित कराना चाहती थी. इसे सरकार की सफलता के रूप में प्रचारित किया जाता और न्यायपालिका को एक स्पष्ट संदेश दिया जाता,लेकिन धनखड़ ने बाजी मार ली.' ऐसे में नाराज भाजपा ने फैसला लिया कि जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू धनखड़ की शाम को होने वाली बैठक में शामिल नहीं होंगे. उपराष्ट्रपति के काफी इंतजार के बाद भी दोनों नेता वहां नहीं पहुंते, हालांकि इसको लेकर जेपी नड्डा ने कहा कि उन्होंने इसकी जानकारी धनखड़ को पहले ही दे दी थी. 

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सरकार से खफा है धनखड़? 
धनखड़ ने इसके बाद ही तय कर लिया था कि उनके जाने का समय आ गया है. 'HT'की रिपोर्ट के मुताबिक एक सूत्र ने बताया कि धनखड़ ने पिछले हफ्ते राज्यसभा में विपक्ष के एक नेता के साथ मुलाकात में उन्होंने खुलकर दबाव के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने केंद्र की मांग पूरी करने के लिए सीमा से बाहर जाकर काम किया. एक अन्य ने कहा कि उपराष्ट्रपति ने बताया कि राज्यसभा के सभापति के तौर पर अपनी भूमिका के लिए उन्हें विपक्ष से काफी आलोचना झेलनी पड़ रही है.  इसके अलावा उन्होंने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से मिलने की अनुमति न मिलने पर भी नाराजगी जताई. धनखड़ के करीबी सांसदों के मुताबिक यह समस्या तब शुरू हुई जब विपक्ष के धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद NDD का कोई वरिष्ठ नेता उनके पक्ष में नहीं आया.    

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