Jammu Kashmir News: जम्मू कश्मीर में आतंकियों की मदद करने वाले दो आतंकियों के खिलाफ आरोप तय हुए हैं. यह मामला मामला नियंत्रण रेखा (LoC) के पार से प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के हैंडलरों और कमांडरों द्वारा रची गई एक सुनियोजित आपराधिक साजिश से संबंधित है.
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Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए जवानों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. लगातार घाटी में एक के बाद एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया जा रहा है. इसी बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अधिनियम के तहत नियुक्त विशेष न्यायाधीश की अदालत ने एक बहुचर्चित आतंकवाद वित्तपोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 13, 38, 39, 40 और आईपीसी की धारा 120-बी के तहत आरोप तय किए हैं. ये आरोप दो आरोपियों के खिलाफ तय किए गए हैं, मामला नियंत्रण रेखा (LoC) के पार से प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के हैंडलरों और कमांडरों द्वारा रची गई एक सुनियोजित आपराधिक साजिश से संबंधित है. जानते हैं विस्तार से इसके बारे में.
आरोप तय होने के बाद शब्बीर अहमद भट, पुत्र घ. मोहम्मद भट निवासी खादरमोह काकापोरा और जावेद अहमद यातू पुत्र अब्बू मजीद निवासी पातालबाग पंपोर के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की गई है, जबकि पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा हैंडलर सुमामा उर्फ बाबर उर्फ इलियास के खिलाफ भी आपराधिक कार्यवाही शुरू की गई है. ये जांच पुलिस स्टेशन काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) द्वारा की गई थी. पूरा मामला नियंत्रण रेखा (LoC) के पार से प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के हैंडलरों और कमांडरों द्वारा रची गई एक सुनियोजित आपराधिक साजिश से संबंधित है, जो खाड़ी देशों और अन्य विदेशी क्षेत्रों में स्थित पाकिस्तानी नागरिकों के साथ घनिष्ठ समन्वय में, जम्मू और कश्मीर में आतंकी धन पहुंचा रहे हैं.
यह धन तीर्थयात्रियों, प्रवासियों और व्यापारियों के वेश में कूरियर का उपयोग करके एक सुव्यवस्थित नेटवर्क के माध्यम से भेजा जा रहा था, जिससे धार्मिक और व्यावसायिक यात्रा की आड़ में अवैध वित्तीय प्रवाह को छुपाया जा रहा था. जांच के दौरान पता चला कि शब्बीर अहमद भट एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग एप्लिकेशन का उपयोग करके पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के हैंडलर सुमामा उर्फ बाबर उर्फ इलियास के साथ लगातार और सुरक्षित डिजिटल टच में था. उमराह करने के लिए सऊदी अरब में रहते हुए, शब्बीर अहमद भट ने हैंडलर के निर्देश पर मदीना में लश्कर के ज्ञात संचालकों से बड़ी मात्रा में सऊदी रियाल प्राप्त किए. इसके अतिरिक्त, उसने उमराह के लिए यात्रा करने वाले अन्य कश्मीरी निवासियों के साथ समन्वय किया और उन्हें उन विशिष्ट व्यक्तियों से धन एकत्र करने का निर्देश दिया जिनकी पहचान और स्थान उसने साझा किए थे.
कश्मीर लौटने पर, ये कूरियर शब्बीर अहमद भट को धनराशि सौंप देते थे, जो फिर विदेशी मुद्रा को भारतीय रुपये में परिवर्तित कर लश्कर-ए-तैयबा के हैंडलर के निर्देशों के अनुसार सक्रिय आतंकवादियों और उनके परिवारों के बीच धनराशि वितरित करता था. जांच में एक अन्य आरोपी जावेद अहमद याटू की भी शब्बीर अहमद भट और पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के हैंडलर के बीच संपर्क स्थापित करने और उसे सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका का पता चला. इस अंतरराष्ट्रीय फंडिंग मॉड्यूल के संचालन को संभव बनाने में उसकी भागीदारी महत्वपूर्ण थी. हालांकि इस मामले में आरोप तय होना बाकी है. बता दें कि यह गुप्त रूप से संचालित आतंकी वित्तपोषण नेटवर्क की पहचान, पर्दाफाश और उसे ध्वस्त करने के लिए काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर के निरंतर प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.