Jitendra Awhad: जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि कोंकण में शिमगा के समय रातभर भजन-कीर्तन होते हैं. क्या वे भी सुप्रीम कोर्ट के नियमों का उल्लंघन करते हैं?
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Maharashtra Sound Row: शरद पवार के पार्टी के नेता जितेंद्र आव्हाड ने हाल ही में बयान दिया कि इस पर बवाल मचना तय है. उन्होंने मस्जिदों पर लाउडस्पीकर को लेकर दिए गए बयान में हिंदू मंदिरों की काकड़ आरती को भी सवालों के घेरे में ला दिया. उन्होंने कहा कि अगर अजान पर रोक लग सकती है तो फिर मंदिरों की काकड़ आरती और भजन-कीर्तन पर भी सवाल उठने चाहिए. उन्होंने पंढरपुर और सिद्धिविनायक जैसे मंदिरों का जिक्र करते हुए कहा कि यहां की आरती भी तो सुबह 5.30 बजे होती है. क्या वह कानून के दायरे में नहीं आती?
'सुप्रीम कोर्ट के नियमों का उल्लंघन'?
असल में जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि कोंकण में शिमगा के समय रातभर भजन-कीर्तन होते हैं. क्या वे भी सुप्रीम कोर्ट के नियमों का उल्लंघन करते हैं? उन्होंने विधानसभा में भी इस विषय को उठाते हुए कहा कि अगर आप और मैं सामान्य बातचीत करते हैं और वहां डेसीबल मीटर रखा हो. तो हम भी दोषी हो सकते हैं.
हालांकि सच्चाई जानने के लिए जी न्यूज की एक टीम जब मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर पहुंची तो सामने आया कि वहां सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पूरी तरह पालन हो रहा है. मंदिर में सुबह 5.30 बजे की काकड़ आरती के दौरान सिर्फ गर्भगृह के पास लगे काले रंग के साउंड बॉक्स का उपयोग किया जाता है. जिसकी आवाज भी बेहद धीमी रखी जाती है. मंदिर के बाहर लगे लाउडस्पीकर पूरी तरह बंद रहते हैं और साउंड बाहर न जाए इसके लिए पर्दों से सुरक्षा दीवार को ढका गया होता है.
ऐसे में सवाल उठता है कि शरद पवार के करीबी नेता जितेंद्र आव्हाड को मस्जिदों में लगे अवैध लाउडस्पीकर की तुलना मंदिरों की कानूनी और मर्यादित आरती से क्यों करनी पड़ी. लोगों का पूछना है कि क्या यह धार्मिक भावनाओं को भड़काने की एक सियासी कोशिश है या फिर तथ्यों को जाने बिना दिया गया एक बयान है.
FAQs:
Q1: जितेंद्र आव्हाड ने काकड़ आरती को लेकर क्या बयान दिया?
Ans: उन्होंने कहा कि अगर मस्जिद में अजान पर रोक है तो मंदिरों में काकड़ आरती और भजन-कीर्तन भी बंद होने चाहिए.
Q2: सिद्धिविनायक मंदिर में काकड़ आरती के दौरान क्या नियम अपनाए जाते हैं?
Ans: आरती के समय सिर्फ गर्भगृह के पास का म्यूजिक बॉक्स चलता है. बाहर के लाउडस्पीकर बंद रहते हैं.