Haridwar News: जापान के संत ताकायुकी उर्फ बालकुंभ गुरु मुनि की निरंजनी अखाड़े में महामंडलेश्वर बनने जा रहे हैं. बालकुंभ गुरु मुनि ने बुधवार को अपने जापानी शिष्यों के साथ हरिद्वार पहुंचकर निरंजनी अखाड़े के साधु संतों से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया.
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करन खुराना/हरिद्वार: जापान के संत ताकायुकी उर्फ बालकुंभ गुरु मुनि की निरंजनी अखाड़े में महामंडलेश्वर बनने जा रहे हैं. बालकुंभ गुरु मुनि ने बुधवार को अपने जापानी शिष्यों के साथ हरिद्वार पहुंचकर निरंजनी अखाड़े के साधु संतों से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने जापानी गुरु और उनके शिष्योंको मनसा देवी की पवित्र चुनरी भेंट कर आशीर्वाद दिया.
ताकायुकी से बने बालकुंभ गुरु मुनि
उनके सहयोगियों के द्वारा बताया गया कि वे 20 साल पहले भारत में उत्तराखंड के दौरे पर आए थे. जिसके बाद उन्होंने संन्यास ले लिया था. और बालकुंभ गुरु मुनि बन गए. उन्होंने अपने जापान के टोक्यो स्थित घर को भी मंदिर बना दिया है और जल्द उत्तराखंड में भी एक आश्रम बनाने जा रहे हैं. बालकुंभ गुरु मुनि के साथ जापान में 3 हजार से ज्यादा अनुयायी जुड़े हुए हैं.
क्या बोले अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष?
निरंजनी अखाड़े पहुंचने पर अखाड़े के सचिव और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने जल्द उनके पट्टाभिषेक किए जाने की घोषणा की. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि बालाकुंभ गुरु मुनि धर्म का प्रचार-प्रसार करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. कहा कि आगे उनको पंचायती अखाड़ा निरंजनी का महामंडलेश्वर किया जाएगा. 41 वर्षीय बालकुंभ गुरु मुनि दुनियाभर में सनातन का प्रचार प्रसार करना चाहते हैं.
100 बार कर चुके भारत की यात्रा
जापान के संत ताकायुकी उर्फ बालकुंभ गुरु मुनि ने बताया कि वह अब तक 100 बार भारत की यात्रा कर चुके हैं. एक बार एक महीने का प्रवास भी यहां किया था. उन्होंने बताया कि वह जापान में हर दिन यज्ञ करते हैं. उन्होंने वहां एक शिव मंदिर की भी स्थापना की है. उनकी योजना उत्तराखंड में भी एक मंदिर बनवाने की है. कहा कि वह वह भगवान शिव के महत्व को समझते हैं, इसीलिए उनका मकसद दुनिया में सनातन धर्म की दिव्यता और वैज्ञानिकता को पहुंचाना है.