F-35 News: ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की पिटाई के दौरान माना गया, चीन ने अपना कबाड़ PAK को महंगे दाम बेचा होगा. अमेरिकी F-35 फाइटर जेट की 15 दिन में 3 नाकामियां सामने आईं तब भारतीय अधिकारी की वो बात याद आई जब उन्होंने कहा था कि अमेरिका ने कोई अधिकारिक प्रपोजल नहीं भेजा है और F-35 कोई फ्रिज नहीं कि डोर खोलकर देखा और ले आए.
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India and F-35: अब अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के उड़ते ताबूत का DNA टेस्ट करेंगे. शायद आपके अंदर सवाल उठ रहा होगा कि F-35 फाइटर जेट और भारत से ट्रंप की नफरत के बीच क्या कनेक्शन है. ये कनेक्शन समझने के लिए आपको ट्रंप की खिसियाहट का DNA टेस्ट जरूर पढ़ना चाहिए. ट्रंप, अमेरिका के जिस F-35 फाइटर जेट को बेचने के लिए भारत के पीछे पड़े थे, वो अब उड़ता ताबूत बन चुका है. अमेरिकी हथियार उद्योग का सिरमौर माने जाने वाला F-35 फाइटर जेट कैलिफोर्निया में क्रैश हो गया.
लगातार सामने आ रहे दुर्घटना के मामले
ये अमेरिकी नेवी का फाइटर जेट था जो पायलट ट्रेनिंग मिशन के लिए लेमोर एयरबेस से उड़ा था. वीडियो में नजर आ रहा आग का गोला साफ साफ बता रहा है कि अमेरिका का पांचवीं पीढ़ी का ये विमान पूरी तरह तबाह हो गया है. हालांकि विमान का पायलट क्रैश से पहले इजेक्ट कर गया था.
ट्रंप का दांव फेल
ट्रंप ने सोचा था कि 25 प्रतिशत टैरिफ का दांव चलकर वो भारतीय बाजार और अर्थव्यवस्था को क्रैश कर देंगे. भारतीय बाजार अपनी रफ्तार से चल रहा है. लेकिन मिस्टर 25 परसेंट यानी राष्ट्रपति ट्रंप जिस फाइटर जेट को अमेरिका का गुरूर समझ रहे हैं वो आसमान में चकनाचूर हो गया.
शायद आपके अंदर सवाल उठ रहा होगा कि F-35 फाइटर जेट और भारत से ट्रंप की नफरत के बीच क्या कनेक्शन है. ये कनेक्शन समझने के लिए आपको ट्रंप की खिसियाहट का DNA टेस्ट जरूर पढ़ना चाहिए.
ट्रंप की खिसियाहट आपने देखी, लेकिन भारत को लेकर ट्रंप के अंदर असुरक्षा की भावना भी है. और इस असुरक्षा के पीछे है वो डील जो रूस ने भारत को दी है. भारत को रूस से क्या ऑफर मिला है, ये भी आपको गौर से पढ़ना चाहिए.
F-35 के पोस्टमार्टम का विश्लेषण
रुस चाहता है कि भारत उससे पांचवीं पीढ़ी का सुखोई-57 फाइटर जेट खरीदे. अपने ऑफर में रूस ने कहा है, अगर भारत डील करता है तो वो भारत को सुखोई-57 बनाने का लाइसेंस भी देगा और साथ ही विमान की पूरी तकनीक भी भारत को ट्रांसफर की जाएगी. इसके साथ ही साथ रूस ने भारत को चौथी पीढ़ी के सुखोई-35 का लाइसेंस देने का भी ऑफर दिया है. रूस का ये भी दावा है कि अगर डील हुई तो सुखोई-57 के साथ ही साथ भारत को रूस कॉम्बेट ड्रोन भी देगा.
यही है ट्रंप के अंदर बैठा डर अगर भारत ने F-35 की जगह सुखोई-57 को खरीदने का फैसला किया. तो दुनिया में अमेरिका के F-35 का कद घट जाएगा. F-35 की वजह से जमीन पर ट्रंप के अहम को इतनी बड़ी चोट मिली थी कि ट्रंप की बौखलाहट आजतक कम न हुई. F-35 और भारत से जुड़ी ट्रंप के इस खिसियाहट को समझने के लिए हमें थोड़ा फ्लैश बैक में यानी पीछे जाना होगा.
दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भारत को लेकर ट्रंप ने जो पहला ऐलान किया था उसमें भारत को F-35 की डील देने की पेशकश थी. ट्रंप चाहते थे कि भारत F-35 फाइटर जेट खरीदे ताकि अमेरिका की इस पांचवीं पीढ़ी के विमान की पहुंच दक्षिण एशिया तक हो जाए और अमेरिकी हथियार उद्योग क्षेत्र को फायदा हो.
एजेंडे में F-35 था ही नहीं!
फरवरी 2025 में जब प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप की मुलाकात हुई थी. तब मुलाकात के एजेंडा में F-35 का जिक्र नहीं था. लेकिन ट्रंप ने फिर भी F-35 का ऑफर दिया. पेशकश के बाद भी भारत ने F-35 खरीदने की कथित डील को कभी आगे नहीं बढ़ाया. इस वजह से ट्रंप ने टैरिफ के जरिए भारत को ब्लैकमेल करने की कोशिश की और ये कोशिश भी नाकाम ही नजर आ रही है. आखिर भारत सरकार ने एयरफोर्स के लिए F-35 की डील को आगे नहीं बढ़ाया.
F-35 को 10 साल पहले अमेरिकी नेवी ने पहली बार अपने बेड़े में शामिल किया था. लेकिन तब से लेकर अब तक पांचवीं पीढ़ी का ये कथित हाईटेक विमान तीन बार क्रैश हो चुका है. तीनों बार जांच में पायलट की गलती नहीं सामने आई है. यानी हादसों की वजह F-35 की तकनीक है जो पुख्ता नहीं है. कई मौकों पर इस विमान को इमरजेंसी लैंडिंग भी करनी पड़ी है.
F-35 की तकनीकी खामियों की एक तस्वीर तो भारत में भी नजर आई थी. जब ब्रिटिश नेवी के एक F-35 फाइटर जेट को केरल में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी. 38 दिनों तक ये विमान भारत में ही खड़ा रहा था. तकनीकी खामियों और लगातार क्रैश की घटनाएं सबसे बड़ी वजह रही हैं कि भारतीय एयरफोर्स कभी F-35 पर भरोसा नहीं कर पाई और इसलिए सरकार ने ट्रंप के F-35 वाले ऑफर को कभी स्वीकार नहीं किया.
F-35 फाइटर जेट की दूसरी बड़ी दिक्कत है, इस जेट में लगे अमेरिकी कलपुर्जे जो सिर्फ अमेरिका में बनाए जाते हैं. यानी भारतीय जरूरतों के हिसाब से F-35 को तैयार नहीं किया जाएगा. बल्कि भारतीय एयरफोर्स को खुद को F-35 के मानकों के हिसाब से बदलना होगा. कुछ एक्सपर्ट तो ये भी मानते हैं कि F-35 साइबर अटैक्स के सामने कमजोर साबित हो सकता है. जिसकी वजह से आज तक पश्चिमी जगत को छोड़कर किसी देश ने F-35 को लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है.
F-35 से दूरी बनाए रखने की एक और बड़ी वजह है. इस विमान की कीमत
एक F-35 लाइटनिंग विमान की कीमत तकरीबन 963 करोड़ रुपए है और इसकी सालाना मेंटनेंस तकरीबन 57 करोड़ रुपए पड़ती है. यानी एक F-35 खरीदने का मतलब है पूरे हजार करोड़ का निवेश. इन्हीं मुद्दों की वजह से भारतीय एयरफोर्स ने इन जेट्स पर अबतक ध्यान नहीं दिया है, इसलिए ट्रंप खिसिया रहे हैं कि जिस F-35 को उन्होंने दुनिया के सबसे बेहतरीन फाइटर जेट की तरह पेश किया, भारत ने उसे सिरे से नकार दिया.