पेट में गैस से लेकर खट्टी डकार तक, आयुर्वेद में छिपे हैं वात, पित्त और कफ दोष के ये अचूक इलाज!
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पेट में गैस से लेकर खट्टी डकार तक, आयुर्वेद में छिपे हैं वात, पित्त और कफ दोष के ये अचूक इलाज!

अनहेल्दी लाइफस्टाइल और गलत खानपान की वजह से अधिकतर लोग सेहत से जुड़ी समस्या से परेशान रहते हैं. आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ को संतुलित करने के लिए डाइट के बारे में बताया है. 

 

पेट में गैस से लेकर खट्टी डकार तक, आयुर्वेद में छिपे हैं वात, पित्त और कफ दोष के ये अचूक इलाज!

आजकल की भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल में मानसिक या शारीरिक समस्याएं आम सी बातें बनकर रह गई हैं. हालांकि, भारतीय चिकित्सा पद्धति या आयुर्वेद के पास इससे बचने का रास्ता भी है. आयुर्वेद बताता है कि 'प्राकृतिक नुस्खे' जिंदगी में स्वस्थ रहने का जरिया है. ये वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है. जिससे कई समस्याएं कोसो दूर भाग जाती हैं.

वात, पित्त और कफ की समस्या
आयुर्वेद के अनुसार, वात, पित्त और कफ के असंतुलन से शरीर में कई रोग उत्पन्न होते हैं. प्राकृतिक चिकित्सा और सही आहार के जरिए इन दोषों को संतुलित कर स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है. भोजन में 75-80 प्रतिशत क्षारीय पदार्थ (फल, सब्जियां) और 20-25 प्रतिशत अम्लीय पदार्थ होने चाहिए. असंतुलित आहार से अम्लता बढ़ती है, जिससे पित्त और कफ दोष उत्पन्न होते हैं. प्राकृतिक चिकित्सा और सही आहार से इन दोषों को संतुलित कर स्वस्थ रहा जा सकता है.हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि सोयाबीन, गाजर, मुनक्का, अंजीर और तुलसी जैसे प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का सेवन इन समस्याओं को ठीक करने में मददगार है.

पेट में गैस और जोड़ों में दर्द में खाएं ये चीजें
वात दोष के कारण पेट में गैस, जोड़ों में दर्द, साइटिका, लकवा और अंगों का सुन्न होना जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. इसके लिए रेशेदार भोजन, जैसे कच्चे फल, सलाद और पत्तेदार सब्जियां, खानी चाहिए. सुबह 2-4 लहसुन की कलियां और मक्खन का उपयोग वात रोग को जल्द ठीक करता है. कुछ दिन फल या सब्जियों का रस लेने से भी लाभ मिलता है. गलत आहार, जैसे बेसन, मैदा और अधिक दालें खाने से वात दोष बढ़ता है. आलस, गड़बड़ लाइफस्टाइल और व्यायाम न करना भी इसका कारण है.

एलर्जी और खून की कमी पर ना खाएं ये चीजें
पित्त दोष से पेट में जलन, खट्टी डकार, एलर्जी, खून की कमी और चर्म रोग हो सकते हैं. मसालेदार, खट्टे और ज्यादा नमक वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए. गाजर का रस सुबह-शाम पीना और अनार, जामुन, मुनक्का, सौंफ के साथ ही दूब का रस लेना भी लाभकारी होता है. फलों और सब्जियों का रस पीने से पित्त रोग जल्द ठीक होता है. चीनी, नमक और मिर्च-मसालों का अधिक सेवन पित्त दोष का मुख्य कारण है.

सर्दी खांसी-फेफड़ों में टीबी होने पर खाएं ये चीजें
वात और पित्त के बाद नंबर आता है कफ का. शरीर में इसके असंतुलन से बलगम, सर्दी, खांसी, दमा, मोटापा और फेफड़ों की टीबी जैसी समस्याएं भी होती हैं. आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि मुनक्का, कच्ची पालक, अंजीर, अदरक, तुलसी और सोयाबीन का सेवन फायदेमंद है. दूध और दही से परहेज करना चाहिए, लेकिन दूध में सोयाबीन मिलाकर पी सकते हैं. ताजे आंवले का रस या सूखा आंवला चूसने से कफ ठीक होता है. तली-भुनी चीजें और चिकनाई वाले पदार्थों से बचना चाहिए.इसके अवाला, सिद्ध प्रणाली भी त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करने, पाचन तंत्र को मजबूत करने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में प्रभावी है.

इनपुट-आईएएनएस

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है.  Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत और स्किन से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 

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