आजकल साइलेंट वॉक का ट्रेंड काफी तेजी से बढ़ रहा है. हर कोई इस नई फिटनेस हैबिट को अपनाने में लगा है. लेकिन आखिर ऐसा क्या है इस साधारण से दिखने वाले वॉकिंग स्टाइल में, जो लोगों को दीवाना बना रहा है? हेल्थ एक्सर्ट का कहना है कि यह न सिर्फ शरीर के लिए फायदेमंद है बल्कि दिमाग को भी शांति देता है. आइए जानते हैं इसके क्या क्या फायदे हैं.
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Silent Walk Benefits: आज के समय में सबसे ज्यादा बीमारी दिल और दिमाग से जुड़ी हो रही हैं. ऐसे में हर कोई दिल और दिमाग को फिट रखने के लिए हर तरीका अपना रहा है. लेकिन क्या आपको पता है कि बिना कोई खर्च किए भी आप अपने दिल को फिट रख सकते हैं. फिटनेस की दुनिया में इन दिनों एक नया ट्रेंड तेजी से वायरल हो रहा है साइलेंट वॉक का. हेल्थ एक्सपर्ट्स इसे हेल्थ केयर का नया मंत्र बता रहे हैं. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे न सिर्फ दिल मजबूत होता है, बल्कि दिमाग से जुड़ी परेशानियां जैसे तनाव, थकान और चिंता भी दूर करता है. आइए जानते हैं क्या है साइलेंट वॉक और इसके फायदे.
साइलेंट वॉक का सीधा मतलब है शांत होकर धीरे-धीरे टहलना. यह वॉक करने का सबसे सही तरीका है. साइलेंट वॉकिंग का मतलब हेडफोन, ईयरफोन या फोन का प्रयोग किए बिना, दोस्तों की टोली में उलझे बिना चुपचाप टहलना. शांत रहकर टहलने से हम नेचर के ज्यादा करीब होते हैं और खुद को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं.
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक टहलना खुद में ही एक पूरी एक्सरसाइज है. कोशिश करनी चाहिए कि सुबह धीमे-धीमे पूरी तरह से शांत यानी साइलेंट वॉक की जाए. इसका कारण है कि सुबह अल्ट्रा वॉयलेट किरणें नहीं होतीं, ऑक्सीजन ठीक से मलता है और शरीर को हल्की धूप से विटामिन D अच्छे से मिलती है. अगर किसी कारण से आप सुबह नहीं टहल पा रहे हैं तो शाम को सनसेट के बाद ही वॉक करनी चाहिए.
दिमाग भी रहता है शांत
अगर साइलेंट वॉककिया जाए तो इससे शरीर को वॉकिंग के पूरे लाभ मिलते हैं. अगर आप बिना बात किए, बिना फोन का यूज किए चुपचाप टहलते हैं तो इससे सबसे पहले तो आपका मन शांत होने लगेगा. योग के मुताबिक आपका प्राण आपके साथ होता है. आप वॉक के दौरान अपने आप को महसूस कर रहे होते हैं, अपने बारे में सोचते हैं. साथ ही इससे सभी प्रकार के दिमाग से जुड़ी समस्याएं भी दूर होने लगती है.
दिल भी रहता है फिट
साइलेंट वॉकिंग दिल के लिए बेहद फायदेमंद है. रिसर्च में पाया गया है कि कई लोगों को वॉक के दौरान हार्ट अटैक आया है, लेकिन ज्यादातर केस उन लोगों के थे जो ट्रेडमिल पर दौड़ रहे थे या हैवी एक्सरसाइज कर रहे थे. ऐसे में जब हार्ट पहले से कमजोर हो और उस पर ज्यादा प्रेशर डाला जाए, तो स्ट्रोक का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है. लेकिन साइलेंट वॉक में ऐसा बिलकुल नहीं होता है. धीरे-धीरे और शांत माहौल में चलने से दिल पर किसी भी प्रकार का प्रेशर नहीं बढ़ता, ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है और शरीर को भरपूर ऑक्सीजन मिलती है. इससे फेफड़े भी फिट रहते हैं.
नहीं होती है एनर्जी की कमी
हमारा शरीर पांच तत्वों आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी से बना है. लेकिन बिजी लाइफ के कारण हम हर दिन नेचर से दूर होते जा रहे हैं. जब हम एकांत में साइलेंट वॉक करते हैं, तो हमारी नजरें आसपास के पेड़-पौधों, मिट्टी, पानी और सूरज की रोशनी पर जाती हैं. इससे फिर से हमारा नेचर से जुड़ाव होता है और शरीर को इन तत्वों की एनर्जी मिलती है. जैसे सूरज की रोशनी से हमें अग्नि तत्व मिलता है, जो शरीर को एनर्जी से भर देता है और हमें पावरफुल महसूस कराता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी इसे अपनाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.