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Bangalore ITI: एक पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है. यह तस्वीर 1950 के दशक की है, जिसमें बेंगलुरु की इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज (ITI) में महिलाएं टेलीफोन जोड़ते हुए दिख रही हैं. यह तस्वीर लोगों को पुराने दिनों की याद दिला रही है और हर तरफ तारीफ बटोर रही है.
महिलाओं की मेहनत की झलक
तस्वीर में साड़ी पहने महिलाएं अपनी मेज पर बैठकर बड़े ध्यान से टेलीफोन के पुर्जे जोड़ रही हैं. यह तस्वीर इंडियन हिस्ट्री पिक्स नाम के सोशल मीडिया हैंडल ने शेयर की है. यह हमें भारत के शुरुआती औद्योगिक दिनों की याद दिलाती है. उस समय भारत में टेलीफोन बनाना एक बड़ा काम था, और इसमें महिलाओं का योगदान बहुत खास था.
ITI का गौरवशाली इतिहास
इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज (ITI) की स्थापना 1948 में हुई थी. यह भारत की पहली सरकारी कंपनी थी, जिसने देश में टेलीफोन और संचार के लिए जरूरी उपकरण बनाए. उस समय महिलाओं का इस तरह के काम में हिस्सा लेना बहुत कम देखा जाता था. लेकिन ITI में महिलाओं ने अपनी मेहनत और लगन से देश की प्रगति में बड़ा योगदान दिया. यह तस्वीर उस दौर की मेहनती महिलाओं को सम्मान देती है.
1950s :: Ladies Assembling Telephones at Indian Telephone Industries , Bangalore pic.twitter.com/x108S7iLbv
— indianhistorypics (@IndiaHistorypic) April 9, 2025
सोशल मीडिया पर लोगों का प्यार
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस तस्वीर को देखकर लोग बहुत खुश हुए. कई लोगों ने इसे देखकर पुराने दिनों को याद किया. एक यूजर ने लिखा, "ये महिलाएं चुपचाप देश की आवाज को जोड़ रही थीं. 1950 के दशक में जब दुनिया तरक्की की बात कर रही थी, तब ये महिलाएं एक-एक तार जोड़कर टेलीफोन बना रही थीं. उन्हें न तालियां मिलीं, न सुर्खियां. फिर भी उन्होंने देश को जोड़ा."
इस तस्वीर ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर किया कि आजादी के बाद भारत को बनाने में महिलाओं का कितना बड़ा रोल था. खासकर उन क्षेत्रों में, जैसे टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग, जहां पुरुषों का दबदबा माना जाता था.
पुरानी तस्वीरों का जादू
यह पहली बार नहीं है जब कोई पुरानी तस्वीर इतनी चर्चा में आई हो. कुछ समय पहले इंडियन हिस्ट्री पिक्स ने बेंगलुरु के एमजी रोड की एक और तस्वीर शेयर की थी. उसमें 1950 के दशक का शांत बेंगलुरु दिख रहा था, जहां पुरानी कारें और साइकिल रिक्शा नजर आ रहे थे. उस तस्वीर ने भी लोगों को पुराने बेंगलुरु की सादगी की याद दिलाई. लोग आज के व्यस्त शहर की तुलना में उस शांति को याद करते हैं.