गली की आवारा बिल्ली की हुई मौत तो लोगों ने वहीं बना दिया उसका स्टैच्यू, Photo हो रही वायरल
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गली की आवारा बिल्ली की हुई मौत तो लोगों ने वहीं बना दिया उसका स्टैच्यू, Photo हो रही वायरल

Tombili Statue In Istanbul: टॉम्बिली की एक तस्वीर इंटरनेट पर बहुत लोकप्रिय हो गई थी, जिसमें वह फुटपाथ की सीढ़ियों पर आराम से लेटी हुई और सड़क की ओर देख रही थी. नेटिजन्स ने इस फोटो को मीम के रूप में भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था.

 

Tombili Statue In Istanbul
Tombili Statue In Istanbul

Cats In Instabul: इस्तांबुल को प्यार से 'बिल्लियों का शहर' कहा जाता है क्योंकि वहां हर गली-नुक्कड़ में आवारा बिल्लियां घूमती नजर आती हैं. 2016 में, टॉम्बिली नाम की एक बिल्ली (जिसका मतलब तुर्की में 'गोल-मटोल' होता है) की लंबी बीमारी के बाद मृत्यु हो गई. यह बिल्ली इस्तांबुल के जिवेरबे (Ziverbey) जिले में रहती थी और अपने मिलनसार स्वभाव के कारण स्थानीय लोगों की पसंदीदा थी. टॉम्बिली की एक तस्वीर इंटरनेट पर बहुत लोकप्रिय हो गई थी, जिसमें वह फुटपाथ की सीढ़ियों पर आराम से लेटी हुई और सड़क की ओर देख रही थी. नेटिजन्स ने इस फोटो को मीम के रूप में भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था.

आवारा बिल्ली की हुई मौत तो लोगों ने बनवाया स्टैच्यू

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 1 अगस्त 2016 को लंबी बीमारी के बाद टॉम्बिली की मृत्यु हो गई. टॉम्बिली के गुजर जाने के बाद ही लोगों ने change.org पर एक मुहिम चलायी, जिसमें नगरपालिका से गुजारिश की गयी कि उसकी याद में एक मूर्ति बनाई जाए. 17,000 से ज्यादा लोगों ने इस मुहिम को अपना समर्थन दिया. नगरपालिका ने लोगों की इस इच्छा का सम्मान किया और टॉम्बिली की एक मूर्ति बनवाकर उसके ज़िवेरबे वाले घर के पास उसी फुटपाथ पर लगा दी, जहां वो अक्सर आराम किया करती थी. और सबसे खास बात, ये मूर्ति उसी 4 अक्टूबर के दिन लगाई गयी, जिसे विश्व पशु दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.

मूर्ति लगने के कुछ ही दिन में हो गई थी चोरी

टॉम्बिली की मूर्ति ब्रांज धातु से बनी थी और इसे कलाकार सेवल शाहिन ने अपनी मर्जी से बनाया. मूर्ति का अनावरण होने के एक महीने बाद ही इसे चुरा लिया गया, लेकिन लोगों के गुस्से के बाद इसे फिर से उसी स्थान पर अज्ञात रूप से लौटा दिया गया. टॉम्बिली ही नहीं, बल्कि एक और जानवर है जो मरने के बाद मूर्ति पाने का गौरव प्राप्त कर चुका है. हचिको नाम का एक जापानी कुत्ता अपने देश में कई प्रतिमाओं के साथ गौरवान्वित है. हचिको जापान में वफादारी और प्यार का प्रतीक माना जाता है. 1924 में टोक्यो यूनिवर्सिटी में एग्रीकल्चर के प्रोफेसर हिदेसाबुरो उएनो ने कुत्ते को गोद लिया था.

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अल्केश कुशवाहा

अल्केश कुशवाहा जी हिंदी डिजिटल ट्रेंडिंग व ट्रेवल सेक्शन के इंचार्ज हैं. उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में 13 साल से ज्यादा समय का अनुभव है. उन्होंने करियर की शुरुआत कैनविज टाइम्स अखबार से साल 2012 ...और पढ़ें

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