Ancient Pregnancy Testing Method: नए जमाने में यह पता करना बहुत आसान और मिंटों का खेल हो गया कि महिला को गर्भ धारण हुआ है या नहीं? आम मेडिकल स्टोर्स पर जाकर एक किट लाते हैं, जिस पर पेशाब की कुछ बूंदें टपकाने के कुछ सेकेंड बाद ही रिजल्ट सामने आ जाता है. हालांकि क्या आपके जहन में कभी सवाल आया है कि पुराने जमाने में प्रेग्नेंसी किस तरह चेक होती थी? चलिए इस खबर में जानते हैं.
infon3st नाम के एस इंस्टाग्राम हेंड्ल के से एक पोस्ट में किया गया है, जिसमें बताया गया है कि पुराने जमाने में गेहूं और जौ की मदद से प्रेग्नेंसी का टेस्ट हुआ करता था.
इतिहासकारों के हवाले से कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पिछली कुछ शताब्दियों तक महिलाएं जौ और गेहूं की बोरियों पर पेशाब करती थीं. फिर उन गेहों की थैलियों या बोरियों को कुछ समय के लिए अलग रख दिया जाता था.
लगातार इन थैलियों को चैक किया जाता था और अगर इन थैलियों या बोरियों में मौजूद गेहूं/जौ अंकुरित हो जात थे तो मान लिया जाता था कि महिला प्रेग्नेंट है.
बात सिर्फ यहीं पर खत्म नहीं होती थी. अगर गेहूं के के अलावा जौ की थैली में मौजूद कोई बीज अंकुरित होता था तो माना जाता था कि महिला के गर्भ में पल रहा बच्चा लड़का है. जबकि गेहूं में के अंकुरण को लड़की होने का संकेत माना जाता था.
दिलचस्प बात यह भी है कि 1963 में एक रिसर्च में यह तरीक 70 फीसद तक सटीक भी पाया गया था. रिसर्च में पाया गया कि गर्भवती महिला के मूत्र में एस्ट्रोजन हॉर्मोन की मौजूदगी बीजों के अंकुरण को तेज कर सकती है. जबकि रिसर्च ने लिंग निर्धारण के तय होने को खारिज किया है.
भारत समेत कई देशों में पुराने वक्त में इस तरह के प्रयोग से महिलाएं प्रेग्नेंसी चेक किया करती थईं. हालांकि यह किसी वैज्ञानिक या चिकित्सकीय प्रमाणित पद्धति का हिस्सा नहीं है.
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