Nisar GSLV-F16 mission: नासा-इसरो मिलकर अंतरिक्ष में इतिहास रचने जा रहे हैं. NASA और ISRO का संयुक्त मिशन 'निसार' की विदाई यानी लॉन्च की बेला पल-पल नजदीक आ रही है. निसार मिशन की लॉन्च टीम से मिली जानकारी के मुताबिक ये NISAR का लॉन्च चार प्रमुख चरणों यानी प्रक्षेपण, तैनाती, कमीशनिंग और वैज्ञानिक संचालन से हो कर गुजरेगा. निसार मिशन का लॉन्च कब और कैसे होगा, कैसे इस LIVE देख सकेंगे आइए जानते हैं.
निसार मिशन चार प्रमुख चरणों से गुज़रेगा: प्रक्षेपण, प्रक्षेपण, कमीशनिंग और विज्ञान संचालन। इसे 30 जुलाई, 2025 को श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F16 रॉकेट के ज़रिए प्रक्षेपित किया जाना है। तैनाती चरण में, नासा/जेपीएल द्वारा डिज़ाइन किए गए एक जटिल बूम का उपयोग करके 12-मीटर का एक परावर्तक उपग्रह से 9 मीटर आगे बढ़ाया जाएगा। 90-दिवसीय कमीशनिंग चरण में सिस्टम जाँच, अंशांकन और उपकरण परीक्षण शामिल हैं। विज्ञान परिचालन चरण मिशन के समाप्त होने तक जारी रहेगा, जिसमें नियमित कक्षा संचालन, उपकरण अवलोकन, तथा अंशांकन, सत्यापन और विज्ञान डेटा संग्रहण के लिए संयुक्त इसरो-जेपीएल समन्वय शामिल होगा।
निसार हर 12 दिनों में द्वीपों, समुद्री बर्फ और चुनिंदा महासागरों सहित दुनिया भर की भूमि और बर्फ से ढकी सतहों की तस्वीरें लेगा. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा प्रक्षेपण का सीधा प्रसारण करेंगे.
निसार मिशन श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल-एमके II (जीएसएलवी-एमके II) के ज़रिए प्रक्षेपित होगा. प्रक्षेपण 30 जुलाई को शाम 5:40 बजे भारतीय समयानुसार निर्धारित है। प्रक्षेपण के बाद, उपग्रह 18 मिनट की उड़ान के बाद अंतरिक्ष में प्रक्षेपित हो जाएगा. यह अद्वितीय दोहरे बैंड वाला SAR उन्नत, नवीन स्वीपSAR तकनीक का उपयोग करता है, जो उच्च रिज़ॉल्यूशन और बड़े क्षेत्र की तस्वीरें प्रदान करता है.
NISAR मिशन का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी और भारतीय वैज्ञानिक समुदायों के साझा हित वाले क्षेत्रों में भूमि और बर्फ के विरूपण, भूमि पारिस्थितिकी तंत्र और समुद्री क्षेत्रों का अध्ययन करना है. S-बैंड रडार प्रणाली, डेटा हैंडलिंग प्रणाली, उच्च गति डाउनलिंक प्रणाली, अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण यान इसरो द्वारा विकसित किए गए हैं. नासा ने L-बैंड रडार सिस्टम, एक अतिरिक्त हाई-स्पीड डाउनलिंक सिस्टम, एक सॉलिड-स्टेट रिकॉर्डर, एक GPS रिसीवर और एक 9-मीटर बूम प्रोवाइड किया है जो 12-मीटर रडार रिफ्लेक्टर को सपोर्ट करता है. ISRO सैटेलाइट उपग्रह कमांडिंग और संचालन के लिए ज़िम्मेदार है, जबकि NASA कक्षा संचालन योजना और रडार संचालन योजना प्रदान करेगा.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (ISRO) का बेहद महत्वाकांक्षी नासा इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) मिशन को अंतरिक्ष में भेजने के लिए पूरी तरह तैयार है. 10 साल के टाइम फ्रेम में तैयार हुआ 1.5 अरब डॉलर का यह मिशन दोनों देशों की स्पेस एजेंसियों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित सबसे महंगे मिशनों में से एक है. इस मिशन के लिए NASA ने L-बैंड रडार प्रणाली प्रदान की है. निसार मिशन इसरो के GSLV Mk-II से प्रक्षेपित होगा.
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