Mahashivratri 2025: महादेव का ऐसा धाम जहां शिव जी के साथ विराजती हैं माता शक्ति
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Mahashivratri 2025: महादेव का ऐसा धाम जहां शिव जी के साथ विराजती हैं माता शक्ति

Mahashivratri 2025 Baba Baidyanath Dham: झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ धाम की बड़ी विशेषता है. यहां शिवजी के साथ माता शक्ति विराजती हैं. इस धाम को जागृत धाम कहते हैं. देवघर का अर्थ ही है 'देवताओं का घर'. आइए इस बारे में और जानें.

Mahashivratri 2025 Baba Baidyanath Dham
Mahashivratri 2025 Baba Baidyanath Dham

देवघर, 25 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ धाम की महिमा बड़ी निराली है. बाबाधाम में भगवान शिव के साथ साक्षात माता शक्ति विराजती हैं. इस धाम को जागृत धाम कहा गया है. देवघर जिसका अर्थ है 'देवताओं का घर' अपने नाम की तरह ही यहां के कण-कण में महादेव बसते हैं. हर मुख पर यहां 'जय शिव' का अहर्निश जाप होता है.

शिवलिंग के रूप में महादेव विराजमान
'शिव और शक्ति के मिलन स्थल' के रूप बाबा बैद्यनाथ धाम को जाना जाता है. यहां भगवान शिव के साथ मां शक्ति भी उपस्थित है. द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र में भी इसका उल्लेख 'परल्या वैद्यनाथं' के रूप में होता है. बाबा बैद्यनाथ धाम में माता सती का हृदय गिरा और उसके ऊपर शिवलिंग के रूप में महादेव विराजमान हैं. इसी वजह से इसे 'आत्मालिंग' और 'कामनालिंग' के रूप में भी जाना जाता है. 

शिवजी और माता सती का अपमान
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्रोतम में बाबा बैद्यनाथ धाम का उल्लेख है, जिसमें लिखा है, ''पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसंतं गिरिजासमेतम्। सुरासुराराधितपादपद्यं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि।'' मान्यता ये भी है कि बाबा बैद्यनाथ धाम में जो मनोकामना मांगी जाए वह जरूर पूरी होती है. देवघर में दक्ष प्रजापति के यज्ञ से शिव-शक्ति के मिलन की घटना जुड़ी है. धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि दक्ष प्रजापति ने भरी सभा में शिवजी और माता सती का अपमान किया था.

दक्ष को बकरे का सिर 
माता सती पिता के यज्ञ में शामिल होने गई थीं तभी राजा दक्ष प्रजापति ने कई ऐसी बातें महादेव के अपमान में जिससे माता सती क्रोधित हो गईं. माता सती अपने पति भोलेनाथ के अपमान को सह न सकीं और यज्ञ की अग्नि में कूदकर स्वयं को भस्म कर लिया. सती के भस्म होने की बात जानकर महादेव क्रोधित और भावुक हो गए. यज्ञ स्थल पर महादेव पहुंचकर माता सती की देह उठा लिया और उसे लेकर पूरे ब्रह्मांड में तांडव करने लगे. वहीं, महादेव की आज्ञा पर राजा दक्ष का सिर वीरभद्र ने काट दिया. बाद में ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर दक्ष को बकरे का सिर दिया गया और फिर यज्ञ को पूरा किया गया. 

माता सती का हृदय
माता सती की देह को लेकर महादेव भटक रहे थे और उनकी स्थिति देखकर देवतागण बहुत चिंतित थे. वहीं भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 51 टुकड़े किए. जहां-जहां माता सती के शरीर के अंग गिरे वहां पर आज शक्तिपीठ है. देवघर में माता सती का हृदय गिरा और वहीं पर शिवलिंग भी है. ऐसे में इस पवित्र स्थल को 'हृदयापीठ' भी कहते हैं. 

शिव और शक्ति का मिलन स्थल
बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर के तीर्थ पुरोहित है प्रभाकर शांडिल्य जिन्होंने बताया कि ''देवघर स्थित देवाधिदेव महादेव 'आत्मालिंग' हैं. बाबा बैद्यनाथ धाम में महादेव शिव और मां शक्ति दोनों का स्थान है. भगवान विष्णु ने जब माता सती के शरीर का विच्छेदन किया तो देवघर में माता का हृदय गिरा. उसी विशिष्ट स्थल पर कैलाश से लाए गए शिवलिंग को रावण द्वारा भगवान विष्णु जी ने स्थापित किया.'' उन्होंने बताया ''बाबा बैद्यनाथ धाम 'शिव और शक्ति का मिलन स्थल' है. यही वजह है कि बाबा बैद्यनाथ धाम को द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है जो एकमात्र हैं धाम है जहां शिव-पार्वती का गठबंधन होता है. यहां पर सभी मनोकामनाए पूर्ण होती हैं. 
--आईएएनएस
एबीएम/एकेजे

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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