Mahashivratri 2025: वो मंदिर जहां सूर्य की किरणें सीधे शिवलिंग का करती हैं अभिषेक, 12 अनूठे पिलर का 12 राशियों से है गहरा संबंध
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Mahashivratri 2025: वो मंदिर जहां सूर्य की किरणें सीधे शिवलिंग का करती हैं अभिषेक, 12 अनूठे पिलर का 12 राशियों से है गहरा संबंध

vidyasankara Mandir sringeri Karnataka: श्रृंगेरी के शिव मंदिर के 12 अद्वितीय पिलर खगोलीय और ज्योतिषीय रूप से बहुत महत्व रखते हैं. इसका संबंध राशिचक्र की 12 राशि से है. आइए इस महाशिवरात्रि इस मंदिर के बारे में विस्तार से जानें.

vidyasankara Mandir sringeri Karnataka
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vidyasankara Mandir zodiac pillars secrets: महाशिवरात्रि का पर्व हर एक शिवभक्त के लिए विशेष है और आज इस शुभ अवसर पर भक्त महादेव के मंदिर जाकर लगातार पूजा अर्चना कर रहे हैं. भक्त भगवान शिव का अभिषेक कर रहे हैं. इसी कड़ी में आज हम एक अनोखे शिव मंदिर के बारे में जानेंगे. दरअसल, कर्नाटक के एक शिव मंदिर में हर साल हजारों शिव भक्तों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. श्रद्धालुओं, श्रद्धालुओं की आस्था, उनकी पूजा और सूर्य की रोशनी का अद्भुत संगम इस भव्य शिव मंदिर में हर साल होता है. हम बात कर रहे हैं चिकमंगलूर जिले के श्रृंगेरी में स्थित विद्याशंकर मंदिर की जहां कुछ रोचक बातें जानकर आपकों भी बड़ी हैरानी होगी. 

अद्वितीय खगोलीय और ज्योतिषीय महत्व
1338 ई. में ऋषि विद्यारान्य ने विद्याशंकर मंदिर को बनवाया था. विजयनगर साम्राज्य के संस्थापकों के संरक्षक के रूप में  ऋषि विद्यारान्य जाना जाता था. दरअसल हर साल महाशिवरात्रि पर विद्याशंकर मंदिर के जिस पिलर पर सूर्य की किरणें गिरती हैं, लोग उसे मन्नत का द्वार मानते हैं और उसी पिलर की पूजा करते हैं. मंदिर का वास्तु अद्भुत है, द्रविड़ वास्तु के अनुसार अर्द्धगोलाकार में बनाया गया है जो अपने अद्वितीय खगोलीय और ज्योतिषीय महत्व के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है.

मंदिर में प्रवेश और निकासी 
मंदिर में प्रवेश और निकासी के लिए 6 द्वार बने हैं, दो मंडप पश्चिमी और पूर्वी हैं. पश्चिमी में ही गर्भगृह है और पूर्वी मंडप में भीतर की ओर 12 पिलर स्थित हैं जो 12 राशि चक्रों को दर्शाते हैं. इनके ऊपर छत पर छोटे झरोखे से सूर्योदय की किरणें 12 पिलर पर 12 महीनों के हिसाब से एक के बाद एक करते गिरती हैं. इसका मतलब ये हुए कि किसी एक पिलर पर सूर्य की किरणें एक माह के बराबर आती हैं. मंदिर बनाने वालों ने इसे इस तरह से बनाया कि हर महीने संबंधित राशि के स्तंभ पर ही सूर्य की रोशनी पड़ती है. बिल्कुल एक कैलेंडर की तरह. 

चतुर्याम पूजा 
मंदिर से जुड़ी अद्भुत बात तो ये है कि केवल साल के दो दिन ही गर्भगृह में किरणों का सीधा प्रवेश होता है, केवल दो ही दिन किरणें शिवलिंग पर पड़ती है, यह तब होता है जब साल के दो दिन रात और दिन एक बराबर होते हैं. ध्यान दें कि महाशिवरात्रि पर यहां शिवलिंग की पूजा अर्चना के लिए लोग श्रृंगेरी हजारों की संख्या में आते हैं. हर साल की भांति इस साल भी हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं. महाशिवरात्रि पर यहां शाम के समय 7:30 बजे चतुर्याम पूजा शुरू होती है जो अगली सुबह तक चलती है.
(Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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पद्मा श्री शुभम्

पद्मा श्री शुभम् को पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव हैं. समाचार और वर्तमान घटनाओं पर लेख लिखने में पद्मा रुचि रखती हैं. इन्होंने मास कम्युनिकेशन से बैचलर डिग्री और हिंदी विषय से एम ए की ड...और पढ़ें

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