पता है कहां हुई थी ब्रह्माण्ड की पहली 'लव मैरिज'? महादेव- मां पार्वती की शादी!
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पता है कहां हुई थी ब्रह्माण्ड की पहली 'लव मैरिज'? महादेव- मां पार्वती की शादी!

Kahan Hui Thi Shiva-Parvati Ki Shaadi: महादेव और मां पार्वती की शादी को दुनिया का पहला प्रेम विवाह माना जाता है. यह भी मान्यता है कि यह शादी दिल्ली से कुछ ही दूरी पर स्थिति उत्तराखंड के मंदिर में हुई थी. यह कौन सा मंदिर है? यहां कैसे पहुंच सकते है?  यहां आप जान सकते हैं

पता है कहां हुई थी ब्रह्माण्ड की पहली 'लव मैरिज'? महादेव- मां पार्वती की शादी!

महाशिवरात्रि यानी वो दिन जब शतयुग में महादेव और मां पार्वती की शादी हुई थी. महादेव को पाने के लिए मां पार्वती ने कड़ी तपस्या की थी और परिवार के मना करने के बावजूद भोलेनाथ से शादी करने का फैसला किया था. इसलिए इस शादी को ब्रह्माण्ड का पहला प्रेम विवाह भी कहा जाता है.  

लेकिन क्या आप जानते हैं यह अद्भुत और अकल्पनीय रूप से सुंदरता से सुशोभित शादी वर्तमान में उत्तराखंड में मौजूद रुद्रप्रयाग जिले के त्रियुगीनारायण गांव में हुई थी, जो आज त्रियुगीनारायण मंदिर के नाम से दुनिया भर में फेमस है. 

त्रियुगीनारायण मंदिर

यह वही स्थान है, जहां भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह तीन युग पहले हुआ था. त्रियुगीनारायण का नाम त्रि (तीन), युग (युगों), और नारायण (विष्णु) से आया है, जो इस स्थान के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है. मंदिर में एक हमेशा जलती हुई अग्नि, चार कुंड और ब्रह्म शिला जैसे पवित्र स्थल इस कहानी को जीवित रखते हैं. 

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सतयुग से जलती आ रही धूनी

त्रियुगीनारायण मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, और यह एक ऐतिहासिक स्थल है, जहां भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. मंदिर परिसर में जलती हुई शाश्वत अग्नि (धूनी) की विशेषता है, जो इस विवाह के समय से निरंतर जलती आ रही है.

ब्रह्मा ने करवाई थी शादी

कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने इस विवाह में पुजारी बने थे और भगवान विष्णु ने भाई के रूप में सभी रस्में निभाई थी. इस स्थल पर स्थित ब्रह्म शिला उस स्थान को चिह्नित करती है जहां यह पवित्र विवाह हुआ था. 

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चार कुंड भी हैं मौजूद

इसके अलावा यहां चार कुंड भी स्थित हैं—रुद्र कुंड, विष्णु कुंड, ब्रह्म कुंड और सरस्वती कुंड. हर कुंड का अपना धार्मिक महत्व है, जैसे कि रुद्र कुंड से स्नान करना और विष्णु कुंड में जल का सेवन करना धार्मिक क्रियाओं का हिस्सा है.

कैसे पहुंचे त्रियुगीनारायण मंदिर?

त्रियुगीनारायण मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रोड वे सोनप्रयाग से 12 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां तक पहुंचने के लिए आप 5 किलोमीटर की छोटी ट्रैकिंग भी कर सकते हैं. इसके अलावा, यदि आप केदारनाथ से आ रहे हैं, तो 25 किलोमीटर की ट्रैकिंग भी एक विकल्प है. रेल से पहुंचने के लिए, हरिद्वार रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी स्टेशन है, जो लगभग 275 किलोमीटर दूर है. इसके साथ ही हवाई मार्ग से, देहरादून हवाई अड्डा (244 किलोमीटर) से टैक्सी द्वारा त्रियुगीनारायण पहुंचा जा सकता है  

रुकने की व्यवस्था

ठहरने के लिए आपको त्रियुगीनारायण मंदिर के पास साधारण और साफ रूम मिल जाएंगे. जहां एक दिन रूकने की कीमत लगभग 500 रुपये या उससे कम होती है. यहां से आप मंदिर की आभा के साथ प्रकृति की सुंदरता के बीच रहने का अनुभव कर सकते हैं. 

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शारदा सिंह

पत्रकारिता में ग्रेजुएशन माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी भोपाल से और मास्टर्स गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी हिसार से किया है. डिजिटल मीडिया में 6 वर्षों का अनुभव है. जिसमें एनबीटी डिजिटल, अनवरत एनजीओ, हा...और पढ़ें

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