आज जहां हम 6जी इंटरनेट का इंतेजार कर रहे हैं, वहीं एक देश ऐसा भी है जहां के लोगों को मोबाइल इंटरनेट की एक्सेस ही नहीं है, यहां तक कि ब्रॉडबैंड, एटीएम जैसी सहूलियतें भी मयस्सर नहीं हैं.
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आज के दौर में इंसानों की जिंदगी का लगभग एक कदम इंटरनेट से जुड़ा है. संचार, यात्रा, शिक्षा, पेमेंट्स समेत लगभग हर चीज अब इंटरनेट के बगैर अधूरी है. थोड़ी भी देर के इंटरनेट सस्पेंड हो जाए या फिर पैक खत्म हो जाए तो अगला कदम मुश्किल हो जाता है लेकिन अगर हम कहें कि आज भी एक ऐसा देश भी है जहां इंटरनेट है ही नहीं तो क्या आप यकीन करेंगे? शायद नहीं, लेकिन यह हकीकत है.
इस देश का नाम है 'इरिट्रिया'. अफ्रीका के इस छोटो से देश में ना सिर्फ इंटरनेट बल्कि ब्रॉडबैंड, सोशल मीडिया और एटीएम जैसी सुविधाएं भी ना के बराबर हैं. ऐसे में सवाल जहन में आता है कि इस डिजिटल दुनिया इस देश के अंदर इस तरह की चीजें क्यों नहीं हैं? इसकी वजह राजनीतिक और आर्थिक है.
यह एक ऐसा देश है कि इसको अफ्रीका का 'नॉर्थ कोरिया' भी कहा जाता है. इरिट्रिया की सरकार अपने लोगों पर बहुत से गैर जरूरी प्रतिबंध और निगरानी रखती है. इसी के तहत टेलिकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी पूरी तरह सरकार का कंट्रोल रहता है. और तो और यहां के लोगों को एक लंबे समय तक फौज में रहना पड़ता है.
इसके जहां, चंद साइबर कैफे में इंटरनेट मौजूद होता है, वहां महंगाई बहुत है. TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक साइबर कैफे के अंदर एक घंटा इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए 100 इरिट्रियन नक्फा (लगभग 100 भारतीय रुपये) अदा करने होते हैं. जबकि लोगों की ओसतन आये बेहद कम है, ऐसे में वो इस खर्च को वहन नहीं कर पाते हैं.
इरिट्रिया की राजधानी का नाम अस्मारा (Asmara) है. यहां न तो मोबाइल डेटा की सुविधा है, न ही घर-घर ब्रॉडबैंड. इंटरनेट सिर्फ कुछ चुनिंदा साइबर कैफे में देखने मिलता है, वो भी बेहद सुस्त और महंगी स्पीड. एक तरफ जहां भारत का नागरिक 5G इंटरनेट स्पीड का इस्तेमाल कर रहा है वहीं दूसरी तरफ इरिट्रिया के लोग 2G से भी कम स्पीड पर साइबर कैफे में जाकर अपने बेहद जरूरी काम निपटाते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 1% लोग ही कभी इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाए हैं.
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