बलूचिस्तान पर PAK सरकार में घमासान, एक आदेश के खिलाफ विभाग ने कर दी बगावत
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बलूचिस्तान पर PAK सरकार में घमासान, एक आदेश के खिलाफ विभाग ने कर दी बगावत

Balochistan News: आयोग ने चेताया कि यह सामूहिक दंड की खतरनाक प्रवृत्ति है जो आतंकवाद से लड़ने के बजाय आम जनता के भरोसे को कमजोर करती है. बलूचिस्तान में लंबे समय से आजादी की मांग को लेकर आंदोलन जारी है. 

बलूचिस्तान पर PAK सरकार में घमासान, एक आदेश के खिलाफ विभाग ने कर दी बगावत

पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को दबाने के मामले लगातार सामने आते रहे हैं. बलूचिस्तान में पाकिस्तान सरकार के एक कदम ने इसे एक बार फिर उजागर कर दिया. लेकिन इस बार मामला बैकफायर कर गया. पाकिस्तान सरकार के ही मानवाधिकार आयोग ने वहां इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद करने के फैसले पर खुलकर सरकार की आलोचना की है. आयोग ने 6 अगस्त से पूरे बलूचिस्तान में 3जी और 4जी सेवाएं निलंबित करने को मौलिक मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन करार दिया. जिससे लाखों निर्दोष लोग प्रभावित हुए हैं.

बुनियादी अधिकारों को रौंदने वाला..
असल में एचआरसी के मुताबिक यह फैसला संचार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे बुनियादी अधिकारों को रौंदने वाला है. आयोग ने सवाल उठाया कि क्या पूरे प्रांत की आवाज दबाना और जनता को डिजिटल अंधकार में धकेलना किसी वैध सुरक्षा रणनीति का हिस्सा हो सकता है. उन्होंने क्लियर कहा कि इस तरह के कदम आतंकवादियों को नहीं बल्कि आम नागरिकों को ही सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं.

अनुचित बंदी गैरकानूनी और असंगत
आयोग ने चेताया कि यह सामूहिक दंड की खतरनाक प्रवृत्ति है जो आतंकवाद से लड़ने के बजाय आम जनता के भरोसे को कमजोर करती है. संयुक्त राष्ट्र, एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट्स वॉच और एक्सेस नाऊ जैसी संस्थाओं के हवाले से एचआरसी ने कहा कि इंटरनेट तक पहुंच एक मौलिक मानव अधिकार है और इस तरह की अनुचित बंदी गैरकानूनी और असंगत है. एमनेस्टी के मुताबिक यह न केवल सूचना का गला घोंटती है. बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी हिला देती है.

मानवाधिकार आयोग ने मांग की है कि बलूचिस्तान में इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं तुरंत बहाल की जाएं और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए आधुनिक और लक्षित उपाय अपनाए जाएं. न कि पूरे समाज को दंडित किया जाए. साथ ही उन्होंने पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट और बलूचिस्तान हाईकोर्ट से हस्तक्षेप की अपील करते हुए कहा कि बलूच नागरिकों को वही संवैधानिक अधिकार मिलें. जो बाकी देशवासियों को प्राप्त हैं.

बलूचिस्तान में लंबे समय से आजादी की मांग को लेकर आंदोलन जारी है. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन समय-समय पर बलूच नेताओं और नागरिकों पर पाकिस्तानी बलों की ज्यादतियों को लेकर चिंता जताते रहे हैं लेकिन पाकिस्तान सरकार हर बार इन्हें सुरक्षा के नाम पर दबाने का रास्ता चुनती है, जिससे वहां की स्थिति और भी विस्फोटक होती जा रही है. Ians Input

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गौरव पांडेय

देश-दुनिया-खेल की खबरों के विद्यार्थी हैं. राजनीतिक रुझानों पर ध्यान रखते हैं. तेज ब्रेकिंग करते हैं. विश्लेषण करने में एक्सपर्ट हैं.

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